Edited By Pardeep,Updated: 04 Feb, 2025 06:18 AM
मध्य प्रदेश के भोपाल में अब भिखारियों से न सिर्फ भीख लेने, बल्कि उन्हें भीख देने पर भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
नेशनल डेस्कः मध्य प्रदेश के भोपाल में अब भिखारियों से न सिर्फ भीख लेने, बल्कि उन्हें भीख देने पर भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। भोपाल के कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने सोमवार रात को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 183 के तहत भोपाल जिले में भिक्षावृत्ति को पूरी तरह से प्रतिबंधित करने का आदेश जारी किया है। इसके बाद, यदि कोई व्यक्ति भिखारियों को भिक्षा देने या उनसे कोई सामान खरीदता है, तो उसके खिलाफ भी एफआईआर दर्ज होगी और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
कलेक्टर के मुताबिक, भिक्षावृत्ति एक सामाजिक बुराई है, जिसमें कई बार आपराधिक गतिविधियां भी छिपी होती हैं। इन गतिविधियों में संलिप्त कई लोग अन्य राज्यों और शहरों से आते हैं, जिनका आपराधिक इतिहास भी हो सकता है। इसके अलावा, ट्रैफिक सिग्नलों पर भिखारियों की मौजूदगी दुर्घटनाओं का कारण बन सकती है, जिससे सुरक्षा की दृष्टि से यह निर्णय लिया गया है। कलेक्टर ने बताया कि इस प्रकार की भिक्षावृत्ति को पूरी तरह से खत्म करना जरूरी है ताकि शहर में किसी भी प्रकार की आपराधिक गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सके और आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
भोपाल नगर निगम और प्रशासन ने इस आदेश का पालन सुनिश्चित करने के लिए पूरे शहर में निगरानी तंत्र को सख्त कर दिया है। अब भिखारियों के लिए कोलार स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आश्रय स्थल को भिक्षुक गृह के रूप में आरक्षित कर दिया गया है। इसके साथ ही, प्रशासन ने सीसीटीवी कैमरों की मदद से शहर भर में भिखारियों की पहचान और उनकी धरपकड़ के लिए एक व्यापक योजना बनाई है।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस निर्णय का समर्थन करते हुए कहा है कि भिखारियों का होना किसी भी समाज के लिए ठीक नहीं है। उन्होंने कहा, "हम प्रदेश को भिक्षुक मुक्त बनाएंगे और गरीबी को दूर करने के लिए सभी प्रयास करेंगे।" मुख्यमंत्री ने यह भी आश्वासन दिया कि सरकार गरीबों के लिए रोजगार और अन्य अवसरों की व्यवस्था करेगी, ताकि भिक्षावृत्ति की समस्या पूरी तरह से समाप्त हो सके। यह कदम शहर के नागरिकों को एक साफ-सुथरा और सुरक्षित वातावरण प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।