Bank डूबने पर अब मिलेगा 5 लाख से अधिक मुआवजा, सरकार बढ़ा सकती है बीमा सीमा

Edited By Rohini Oberoi,Updated: 18 Feb, 2025 08:33 AM

now more than rs 5 lakh compensation will be given in case of bank collapse

महाराष्ट्र के न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैन लगा दिया है, जिसके बाद बैंक के बाहर जमा करने वालों की लंबी लाइन लग गई है। ये लोग अपने जमा किए हुए पैसे निकालने के लिए बैंक के बाहर खड़े थे। ऐसे में एक अहम सवाल उठता है कि...

नेशनल डेस्क। महाराष्ट्र के न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैन लगा दिया है, जिसके बाद बैंक के बाहर जमा करने वालों की लंबी लाइन लग गई है। ये लोग अपने जमा किए हुए पैसे निकालने के लिए बैंक के बाहर खड़े थे। ऐसे में एक अहम सवाल उठता है कि यदि बैंक डूबता है या किसी कारण से घोटाला होता है तो ग्राहकों को कितने पैसे मिलते हैं?

वर्तमान में बीमा सीमा क्या है? 

भारत में यदि कोई बैंक डूबता है तो सरकार ग्राहकों को सिर्फ 5 लाख रुपये तक की राशि वापस करती है चाहे उनके खाते में कितने भी पैसे जमा हों। उदाहरण के लिए अगर किसी के खाते में 10 लाख रुपये हैं और बैंक डूब जाता है तो वह व्यक्ति केवल 5 लाख रुपये ही वापस पा सकेगा।

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क्या बदलने वाला है? 

हालांकि अब इस मामले में सरकार ने एक नया कदम उठाने पर विचार किया है। वित्तीय सेवा विभाग के सचिव एम. नागराजू ने सोमवार को बताया कि सरकार जमा बीमा की सीमा को 5 लाख रुपये से बढ़ाने पर गंभीरता से विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि इस पर काम जारी है और जैसे ही सरकार इस पर निर्णय लेगी इसकी अधिसूचना जारी की जाएगी।

इस मौके पर बातचीत करते हुए डिपॉजिट इंश्योरेंस बढ़ाने की संभावना नागराजू ने कहा कि सरकार की योजना है कि जमा बीमा की सीमा बढ़ाई जाए ताकि बैंक डूबने के बाद ग्राहकों को 5 लाख रुपये से ज्यादा का मुआवजा मिल सके। उन्होंने यह भी बताया कि इस पर सक्रिय रूप से काम हो रहा है और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ एक संवाददाता सम्मेलन में इस प्रस्ताव पर चर्चा की गई।

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वहीं न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक का मामला हाल ही में न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के खिलाफ एक बड़ा घोटाला सामने आया है जिसमें बैंक के 1.3 लाख जमाकर्ताओं में से अधिकांश की राशि बीमा के अंतर्गत आएगी। बैंक की जांच में यह पता चला कि बैंक के बही-खाते में 122 करोड़ रुपये की नकदी गायब है। इस घोटाले में बैंक के महाप्रबंधक (वित्त) हितेश मेहता का नाम सामने आया है जिन्होंने कथित तौर पर गबन की गई राशि का एक बड़ा हिस्सा एक स्थानीय बिल्डर को दे दिया है।

अब क्या होगा? 

इस घोटाले के बाद सरकार ने बैंकिंग क्षेत्र को और मजबूत करने के प्रयासों को जारी रखने का संकल्प लिया है। आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने कहा कि सहकारी बैंकिंग क्षेत्र भारतीय रिजर्व बैंक की निगरानी में ठीक से विनियमित है और किसी एक बैंक के संकट के कारण पूरे क्षेत्र पर संदेह नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि दोषी बैंक के खिलाफ कार्रवाई नियामक का काम है।

डिपॉजिट इंश्योरेंस की बढ़ी हुई सीमा से क्या फायदा होगा? 

अगर सरकार डिपॉजिट इंश्योरेंस की सीमा बढ़ाती है तो यह बैंकिंग प्रणाली में विश्वास को और मजबूत करेगा। इससे ग्राहकों को यह सुरक्षा मिलेगी कि उनके पैसे बैंक में सुरक्षित हैं और बैंक डूबने पर उन्हें 5 लाख रुपये से ज्यादा का मुआवजा मिलेगा।

यह कदम बैंकिंग क्षेत्र को और मजबूत बनाएगा और ग्राहकों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करेगा।

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