Edited By Yaspal,Updated: 06 Aug, 2024 10:54 PM
सरकार ने टैक्सपेयर्स को राहत देते हुए एक संशोधन पेश किया है। सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने 23 जुलाई से पहले खरीदी गई जमीन के लिए इंडेक्सेशन के बिना 12.5% LTCG दर या इंडेक्सेशन के साथ 20% दर का चयन कर सकेंगे।
नई दिल्लीः सरकार ने मंगलवार को रियल एस्टेट संपत्तियों पर पूंजीगत लाभ कर के मामले में करदाताओं को राहत देने का प्रस्ताव रखा। अब संपत्ति मालिकों के पास पूंजीगत लाभ पर 20 प्रतिशत या 12.5 प्रतिशत कर की दर में से कोई एक चुनने का विकल्प होगा। वित्त विधेयक, 2024 में इस संशोधन का ब्योरा लोकसभा सदस्यों को वितरित किया गया है।
संशोधित प्रस्ताव के मुताबिक, 23 जुलाई, 2024 से पहले मकान खरीदने वाला कोई व्यक्ति या हिंदु अविभाजित परिवार (एचयूएफ) मुद्रास्फीति के प्रभाव को शामिल (इंडेक्सेशन) किए बिना 12.5 प्रतिशत की नई योजना के तहत कर देने का विकल्प चुन सकता है। इसके अलावा उसके पास पुरानी योजना के तहत इंडेक्सेशन के साथ 20 प्रतिशत कर का विकल्प भी होगा। दोनों विकल्पों में से जिसमें भी कर कम बने, वह उसका भुगतान कर सकता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2024-25 पेश करते हुए संपत्ति की बिक्री से होने वाले इंडेक्सेशन लाभ को हटाने के साथ कर को 12.5 प्रतिशत करने की घोषणा की थी। इसे लेकर विभिन्न तबकों में नाखुशी जताई जा रही थी।
बजट 2024 में इंडेक्सेशन नियम
प्रस्तावित बदलाव का मतलब है कि घर के मालिक जो अपनी संपत्ति बेचकर लाभ कमाते हैं, उन्हें अब महंगाई-समायोजित लाभ के बजाय पूरे लाभ की राशि पर कर देना होगा। इंडेक्सेशन का उपयोग किसी निवेश के खरीद मूल्य को समायोजित करने के लिए किया जाता है ताकि उस पर महंगाई का प्रभाव दिखाया जा सके।
पहले, इंडेक्सेशन लाभ घर के मालिकों को महंगाई के हिसाब से संपत्ति की लागत के आधार को बढ़ाने की अनुमति देता था, जिससे शुद्ध लाभ और संबंधित कर देयता कम हो जाती थी। इंडेक्सेशन को खत्म करने से करदाताओं पर कर का बोझ बढ़ने और संपत्ति सौदों में अवैध वित्तीय गतिविधियों में वृद्धि की आशंका बढ़ गई है। हालांकि, आयकर विभाग ने ऐसे दावों का खंडन किया है और इस कदम को 'लाभकारी' बताया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इंडेक्सेशन के साथ उच्च कर दर या इंडेक्सेशन के बिना 12.5% की कम दर, साथ ही पैतृक संपत्तियों के लिए कुछ प्रकार की ग्रैंडफादरिंग प्रस्तावित है। वित्त मंत्रालय में सुझावों की जांच की जा रही है और प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ इस पर चर्चा की जाएगी। वित्त मंत्रालय ने इस कदम को लेकर विभिन्न तिमाहियों में उठाई गई चिंताओं पर एक दौर की चर्चा की, जिसमें काले धन के लेन-देन में संभावित वृद्धि भी शामिल थी।