Edited By Yaspal,Updated: 30 Sep, 2024 05:37 PM
सुप्रीम कोर्ट ने गरीब छात्र के भविष्य की चिंता करते हुए IIT धनबाद में दाखिला देने का आदेश दिया है। दरअसल, गरीब छात्र 17,500 रुपये फीस नहीं भर पाया था। इसके कारण उसका दाखिला नहीं हो पाया था
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने गरीब छात्र के भविष्य की चिंता करते हुए IIT धनबाद में दाखिला देने का आदेश दिया है। दरअसल, गरीब छात्र 17,500 रुपये फीस नहीं भर पाया था। इसके कारण उसका दाखिला नहीं हो पाया था। कोर्ट ने कहा कि प्रतिभाशाली छात्रों को निराश नहीं किया जाना चाहिए। CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने अदालत में मौजूद छात्र से कहा, “ऑल द बेस्ट, अच्छा करिए।” मुजफ्फरनगर के इस छात्र को आईआईटी धनबाद में एडमिशन मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में छात्र को छात्रावास सहित सभी सुविधाएं देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने ये भी साफ कर दिया है कि जो छात्र आईआईटी धनबाद में दाखिला ले चुके हैं, उनके दाखिले पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा, बल्कि छात्र को अतिरिक्त सीट पर एडमिशन दिया जाएगा।
इस वजह से समय पर जमा नहीं कर पाए फीस
दरअसल, छात्र ने समय पर फीस जमा नहीं कर पाने की वजह परिवार की खराब आर्थिक स्थिति बताई थी। अतुल कुमार की ओर से केस लड़ रहे वकील ने दलील दी थी कि आईआईटी धनबाद में सीट आवंटित होने के बाद फीस जमा करने के लिए उन्हें चार दिन मिले थे। अब इतने कम वक्त में 17,500 रुपये की फीस इंतजाम कर पाना उनके गरीब परिवार के लिए बहुत मुश्किल था। यूपी के मुजफ्फरनगर नगर के टोटोरा गांव के रहने वाले 18 साल के अतुल कुमार के पिता दिहाड़ी मजदूर हैं।
इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग की मिली थी सीट
आईआईटी धनबाद में एडमिशन के लिए राउंड वन अलॉटमेंट में अतुल कुमार को इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग की सीट अलॉट हुई थी और एडमिशन के लिए फीस जमा करने की लास्ट डेट 24 जून थी, पर अतुल कुमार इस समयसीमा तक फीस जमा नहीं कर पाए। उन्होंने अपने डॉक्यूमेंट तो समय पर कॉलेज की वेबसाइट पर सबमिट कर दिए थे, लेकिन फीस नहीं सबमिट कर पाए और इस वजह से उनका एडमिशन रद्द हो गया। इसके बाद अतुल इस मामले को झारखंड हाई कोर्ट ले गए, लेकिन वहां उनका काम नहीं बना। उनसे कहा गया कि वो मद्रास हाई कोर्ट में अपना केस फाइल करें। उन्होंने ऐसा ही किया, पर कोई फायदा नहीं हुआ। मद्रास हाई कोर्ट में उनके वकील ने उनसे अपना केस विड्रो करने के लिए बोला, जिसके बाद अतुल सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। सुप्रीम कोर्ट में 24 सितंबर को इस मामले की पहली सुनवाई हुई थी और अगली तारीख 30 सितंबर तय की गई थी।