Edited By Parveen Kumar,Updated: 03 Jan, 2025 05:17 PM
इंदौर प्रशासन ने शहर को भिक्षावृत्ति से मुक्त करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। अब अगर कोई भिखारी को भिक्षा देता है या उनसे कोई सामान खरीदता है, तो उसे कानूनी सजा हो सकती है। अधिकारियों ने साफ किया है कि इस नियम का उल्लंघन करने पर कड़ी कार्रवाई की...
नेशनल डेस्क : इंदौर प्रशासन ने शहर को भिक्षावृत्ति से मुक्त करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। अब अगर कोई भिखारी को भिक्षा देता है या उनसे कोई सामान खरीदता है, तो उसे कानूनी सजा हो सकती है। अधिकारियों ने साफ किया है कि इस नियम का उल्लंघन करने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
जिलाधिकारी आशीष सिंह ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 के तहत यह आदेश जारी किया है। इस आदेश में कहा गया है कि भिखारी को भिक्षा देना या उनसे कोई सामान खरीदना अब अपराध माना जाएगा। अगर कोई ऐसा करता हुआ पाया गया, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 के तहत एफआईआर दर्ज होगी, और दोषी को एक साल तक की सजा, ₹5,000 का जुर्माना, या दोनों सजा मिल सकती है।
इसके अलावा, प्रशासन ने यह भी बताया है कि अगर किसी व्यक्ति ने भिक्षावृत्ति के बारे में जानकारी दी, तो उसे ₹1,000 का इनाम दिया जाएगा। यह योजना नागरिकों को भिक्षावृत्ति के खिलाफ जागरूक करने और प्रशासन की मदद करने के लिए है।
इस बीच, महिला और बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी दिनेश मिश्रा ने बताया कि पिछले चार महीनों में लगभग 400 लोगों को पुनर्वास के लिए भेजा गया है, और 64 बच्चों को बाल देख-रेख संस्थानों में भेजा गया है। प्रशासन ने इस दौरान भिक्षावृत्ति के खिलाफ जागरूकता अभियान भी चलाया है।
यह कदम इंदौर को भिक्षुक-मुक्त बनाने के लिए उठाया गया है, और इस अभियान में केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्रालय ने देश के 10 शहरों को भिक्षुक-मुक्त बनाने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है, जिसमें इंदौर भी शामिल है।