Edited By Parveen Kumar,Updated: 25 Sep, 2024 10:59 PM
बहुत जल्द आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के माध्यम से कई बीमारियों का उपचार संभव हो सकेगा।
नेशनल डेस्क : बहुत जल्द आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के माध्यम से कई बीमारियों का उपचार संभव हो सकेगा। हालांकि, इसका अर्थ यह नहीं है कि सभी बीमारियों का इलाज सिर्फ एआई ही करेगा, बल्कि एआई डॉक्टरों को बीमारियों की पहचान करने और इलाज में मदद करेगा। अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ हेल्थ ने यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ फ्लोरिडा, कॉर्नेल और 10 अन्य संस्थानों के साथ मिलकर "Bridge2AI" कार्यक्रम शुरू किया है।
इस कार्यक्रम के तहत लोगों की आवाज के डेटा को एकत्रित किया जा रहा है और उसका विश्लेषण किया जा रहा है ताकि यह पता लगाया जा सके कि विभिन्न बीमारियों के संदर्भ में किस प्रकार की आवाज निकलती है। जब इस प्रक्रिया में पूरी पहचान हो जाएगी, तो एक ऐसा एआई एप्लिकेशन विकसित किया जाएगा जो मरीज की आवाज का विश्लेषण कर चंद सेकंड में यह बताएगा कि उसे कौन सी बीमारी है। इसके बाद, उस बीमारी के अनुसार उचित इलाज भी सुझाया जाएगा।
आवाज के हर अंश का विश्लेषण
टीओआई की खबर के अनुसार, एआई आवाज के हर हिस्से का गहराई से विश्लेषण करेगा। यह एआई उस सूक्ष्मतम ध्वनि को भी पकड़ लेगा जिसे इंसान कान से नहीं सुन सकता। इसमें आवाज की तीव्रता, गति, उतार-चढ़ाव और वोकल कॉर्ड की तरंगों का अध्ययन किया जाएगा, जिससे आवाज के पैटर्न को समझा जाएगा।
कई बीमारियों के कारण आवाज में बदलाव आ जाता है। इंसान अकेले आवाज से बीमारी का सही पता नहीं लगा सकता, लेकिन एआई यह कर सकता है। इससे न केवल बोलने में कठिनाई वाली बीमारियों की पहचान होगी, बल्कि नसों से जुड़ी बीमारियों, सांस संबंधी समस्याओं, डायबिटीज और यहां तक कि ऑटिज्म जैसी बीमारियों का भी पता लगाया जा सकेगा।
आवाज से डॉक्टर भी करते हैं पहचान
डॉ. याएल बेंसाउसान ने बताया कि जब किसी को स्ट्रोक होता है, तो उसकी आवाज लड़खड़ाने लगती है। दूसरी ओर, पार्किंसन के मरीज की आवाज धीमी होती है और उन्हें बोलने में समय लगता है। शोधकर्ता इस टूल की मदद से कैंसर और डिप्रेशन की भी पहचान कर सकते हैं।
यूनिवर्सिटी ऑफ सिनसिनाटी कॉलेज ऑफ मेडिसीन की प्रोफेसर डॉ. मारिया इस्पिनोला ने न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया कि जब हम किसी व्यक्ति की आवाज सुनते हैं, तो हम उसकी बात और बोलने के तरीके के आधार पर उसके मानसिक स्वास्थ्य की पहचान कर सकते हैं। जब कोई व्यक्ति डिप्रेशन में होता है, तो उसकी आवाज एकरस, सपाट और बहुत नरम होती है। उसकी आवाज की पिच कम हो जाती है और वह बोलते समय बार-बार रुकता है।
वहीं, अगर किसी को एंग्जाइटी यानी बेचैनी है, तो वह बहुत तेज और जल्दी-जल्दी बोलता है, और उसे बोलते समय सांस लेने में दिक्कत होती है। इन आवाज की विशेषताओं की मदद से सिजोफ्रेनिया या किसी तनाव से ग्रसित मरीजों का इलाज किया जा सकता है। इसलिए, एआई आवाज के जरिए बीमारियों की पहचान को और बेहतर बना सकता है।