Edited By Parminder Kaur,Updated: 07 Dec, 2024 11:58 AM
भारतीय रेलवे ने IIT मद्रास के साथ मिलकर देश का पहला हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक तैयार किया है। हाइपरलूप एक नई और अत्यधिक तेज़ यात्रा तकनीक है, जिसमें ट्रेन को ट्यूब के अंदर चलाया जाता है, जिससे यह हवा से रगड़ के बिना बहुत तेज़ गति से यात्रा करती है। इस...
नेशनल डेस्क. भारतीय रेलवे ने IIT मद्रास के साथ मिलकर देश का पहला हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक तैयार किया है। हाइपरलूप एक नई और अत्यधिक तेज़ यात्रा तकनीक है, जिसमें ट्रेन को ट्यूब के अंदर चलाया जाता है, जिससे यह हवा से रगड़ के बिना बहुत तेज़ गति से यात्रा करती है। इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें ट्रेन बिना रुके एक जगह से दूसरी जगह पहुंच सकती है और यह पूरी तरह से प्रदूषण-मुक्त होती है।
100 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से हुआ परीक्षण
इस हाइपरलूप ट्रैक पर अब तक 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन चलाने का परीक्षण सफलतापूर्वक किया जा चुका है। अब अगले चरण में इसकी गति 600 किलोमीटर प्रति घंटे तक बढ़ाने की तैयारी है। यदि यह परीक्षण भी सफल रहता है तो हाइपरलूप प्रणाली देश में रेल यात्रा के परिदृश्य को पूरी तरह से बदल सकती है।
जयपुर से दिल्ली सिर्फ 50 मिनट में
हाइपरलूप तकनीक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह ट्रेन बहुत कम समय में लंबी दूरी तय कर सकती है। उदाहरण के तौर पर यदि हाइपरलूप प्रणाली पूरी तरह से लागू हो जाती है तो केवल 50 मिनट में जयपुर से दिल्ली पहुंचा जा सकेगा। यह ट्रेन बिना रुके एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन तक जाएगी, जिससे यात्रा का समय बहुत कम हो जाएगा।
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया पर इस हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक का वीडियो शेयर किया और इसे भारतीय रेलवे के लिए एक ऐतिहासिक कदम बताया। यह टेस्ट ट्रैक IIT मद्रास के थाईयूर स्थित डिस्कवरी कैंपस में लगाया गया है और इसकी लंबाई 410 मीटर है। रेल मंत्री ने इस परियोजना से जुड़े सभी टीमों की मेहनत की सराहना की है।
हाइपरलूप: क्या है ये तकनीक?
हाइपरलूप तकनीक एक उच्च गति वाली ट्रेन प्रणाली है, जिसमें ट्रेन को एक विशेष ट्यूब के अंदर वैक्यूम की स्थिति में चलाया जाता है। इससे ट्रेन को हवा के प्रतिरोध का सामना नहीं करना पड़ता और यह बहुत तेज़ गति से यात्रा करती है। इसकी अधिकतम गति 1000 किलोमीटर प्रति घंटे तक जा सकती है।
किफायती और पर्यावरण-मित्र
हाइपरलूप तकनीक की एक और प्रमुख विशेषता यह है कि यह बहुत किफायती, भरोसेमंद और टिकाऊ है। इस सिस्टम से प्रदूषण भी नहीं होता, क्योंकि इसमें किसी प्रकार के ईंधन का इस्तेमाल नहीं होता।
आर्थिक व्यवहार्यता का अध्ययन
इस हाइपरलूप प्रणाली को पूरी तरह से लागू करने से पहले इसकी आर्थिक व्यवहार्यता का भी अध्ययन किया जा रहा है। इसका उद्देश्य है कि यह न केवल तेज यात्रा का समाधान दे, बल्कि यह पूरे देश के लिए किफायती और सस्टेनेबल भी हो।
देश में बड़े बदलाव का संकेत
हाइपरलूप तकनीक भारत के लिए एक बड़ा कदम साबित हो सकता है, जो न केवल यात्रा के समय को घटाएगा, बल्कि देश के परिवहन क्षेत्र में एक नई क्रांति ला सकता है। इसके सफल होने पर भारत में रेल यात्रा की परिभाषा ही बदल जाएगी।