Edited By Rahul Rana,Updated: 17 Feb, 2025 03:07 PM
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यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) ने भारत में डिजिटल पेमेंट को आसान और तेज बना दिया है। अब तक UPI के जरिए लेन-देन के मामले में अगर कोई ट्रांजेक्शन फेल हो जाता था और रिफंड नहीं मिलता था, तो यूजर्स को अपने बैंक से चार्जबैक रिक्वेस्ट करनी पड़ती थी। पहले...
नेशनल डेस्क. यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) ने भारत में डिजिटल पेमेंट को आसान और तेज बना दिया है। अब तक UPI के जरिए लेन-देन के मामले में अगर कोई ट्रांजेक्शन फेल हो जाता था और रिफंड नहीं मिलता था, तो यूजर्स को अपने बैंक से चार्जबैक रिक्वेस्ट करनी पड़ती थी। पहले इस रिक्वेस्ट को मैन्युअली वेरिफाई किया जाता था, जिससे प्रक्रिया में देरी होती थी। लेकिन अब नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने इस प्रक्रिया को ऑटोमेटेड कर दिया है, जिससे चार्जबैक रिक्वेस्ट को जल्दी स्वीकार या अस्वीकार किया जा सकेगा।
क्या है नया बदलाव?
अगर किसी व्यक्ति का UPI ट्रांजेक्शन सफल नहीं हो पाता और रिफंड नहीं मिलता, तो उसे पहले चार्जबैक रिक्वेस्ट करने के लिए अपने बैंक से संपर्क करना पड़ता था। पहले यह मैन्युअल तरीके से वेरिफाई किया जाता था, जिससे समय लगता था। अब NPCI के नए नियमों के तहत ट्रांजेक्शन क्रेडिट कन्फर्मेशन (TCC) या रिटर्न रिक्वेस्ट (RET) के आधार पर चार्जबैक रिक्वेस्ट अपने आप स्वीकार या अस्वीकार हो जाएगी। इसका मतलब है कि प्रक्रिया में तेजी आएगी और यूजर्स को कम समय में समाधान मिलेगा।
कैसे काम करेगा TCC और RET?
TCC और RET सिस्टम UPI उपयोगकर्ताओं को यह जानकारी देने में मदद करते हैं कि ट्रांजेक्शन की राशि लाभार्थी के बैंक तक पहुंची या नहीं। अगर पैसा पहले ही लाभार्थी बैंक तक पहुंच चुका है, तो यह ट्रांजेक्शन सफल माना जाएगा और चार्जबैक रिक्वेस्ट की जरूरत नहीं होगी। वहीं अगर पैसे का ट्रांजेक्शन लाभार्थी बैंक तक नहीं पहुंचा, तो वह राशि ग्राहक को वापस कर दी जाएगी। पहले यह प्रक्रिया मैन्युअली होती थी, लेकिन अब यह ऑटोमेटिक तरीके से पूरी होगी, जिससे विवादों का समाधान जल्दी होगा।
15 फरवरी से लागू हुआ नया नियम
NPCI ने इस बदलाव को 15 फरवरी 2024 से लागू कर दिया है। नया नियम खास तौर पर बल्क अपलोड विकल्पों और एकीकृत विवाद समाधान इंटरफेस (UDIR) पर लागू होगा, लेकिन फ्रंट-एंड विवाद समाधान पर इसका असर नहीं होगा। इस बदलाव से बैंकों के पास लेन-देन का समाधान करने के लिए अधिक समय होगा और ग्राहकों को जल्दी रिफंड मिलेगा।
फायदा
NPCI द्वारा चार्जबैक प्रक्रिया को ऑटोमेटेड करने से ग्राहकों को रिफंड मिलने में तेजी आएगी। साथ ही बैंकों के लिए भी यह प्रक्रिया आसान हो जाएगी। यह बदलाव फ्रॉड और अनावश्यक विवादों को कम करने में भी मदद करेगा और पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी और तेज बनाएगा।
UPI के बढ़ते ट्रांजेक्शन
बता दें UPI के जरिए किए गए ट्रांजेक्शंस लगातार बढ़ रहे हैं। जनवरी से नवंबर 2024 तक UPI के जरिए कुल 15,547 करोड़ रुपये के ट्रांजेक्शन हुए थे। UPI अब भारत में डिजिटल पेमेंट का प्रमुख साधन बन चुका है और अब इस नए बदलाव से यूजर्स के लिए और भी सुविधाजनक हो जाएगा।