Edited By Parveen Kumar,Updated: 12 Jan, 2025 08:50 PM
आजकल मोटापे से परेशान लोग जल्दी और असरदार इलाज की तलाश में हैं। बाजार में कई दवाएं हैं जो मोटापे को कम करने का दावा करती हैं, जिनमें से एक दवा को हफ्ते में एक बार त्वचा के नीचे इंजेक्शन के रूप में लिया जाता है।
नेशनल डेस्क : आजकल मोटापे से परेशान लोग जल्दी और असरदार इलाज की तलाश में हैं। बाजार में कई दवाएं हैं जो मोटापे को कम करने का दावा करती हैं, जिनमें से एक दवा को हफ्ते में एक बार त्वचा के नीचे इंजेक्शन के रूप में लिया जाता है। यह दवा शरीर के जीएलपी-1 रिसेप्टर को सक्रिय करती है, जिससे वजन कम होता है। लेकिन अब ऐसी नई दवाएं आ रही हैं जो महीने में एक बार ली जा सकती हैं। रिपोर्ट के अनुसार, ये दवाएं मोटापे के इलाज में अगली पीढ़ी का विकल्प हो सकती हैं।
मोटापे के बढ़ते मामलों ने इस उद्योग में निवेश को बढ़ावा दिया है और नई दवाओं के विकास की दिशा बदल दी है। अब कंपनियां ऐसी दवाओं पर काम कर रही हैं जो इंजेक्शन की बजाय खाने वाली हो, ताकि मरीजों को कम बोझ महसूस हो और दवा लेने की बार-बार की आवश्यकता भी कम हो।
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अब तक, नोवो नॉर्डिस्क और एली लिली जैसी कंपनियों की वीकली इंजेक्शनों ने काफी लोकप्रियता हासिल की है, लेकिन कुछ लोग इन दवाओं को बोझ मानते हैं। इसके बजाय, एमजेन और मेटसेरा जैसी कंपनियां महीने में एक बार लेने वाली दवाओं को विकसित करने पर ध्यान दे रही हैं।
एमजेन की दवा "मैरीटाइड" (मैरीडेबर्ड कैफ्राडुटाइड) ने 52 हफ्तों में औसतन 17% वजन घटाने के परिणाम दिए। इस दवा से रोगियों का वजन कम होने की कोई सीमा नहीं थी और 99% मरीजों ने अपना 5% से ज्यादा वजन घटाया। वहीं, मेटसेरा ने अपनी "मेट-097आई" दवा के परिणामों की घोषणा की है, जिसमें 12 हफ्तों में औसतन 11.3% वजन कम हुआ।
ग्लोबलडाटा के अनुसार, जीएलपी-1आर एगोनिस्ट दवाओं की बिक्री 2033 तक 125.3 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जिसमें से अधिकांश बिक्री मोटापे की दवाओं से होगी।