Edited By Mahima,Updated: 08 Jan, 2025 04:01 PM
भारत के 2024-25 के जीडीपी अनुमान में कृषि क्षेत्र को महत्वपूर्ण समर्थन मिलने की संभावना है। कृषि क्षेत्र की वृद्धि 3.8% तक पहुंचने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष 1.4% थी। मजबूत मानसून, अच्छे खरीफ और रबी फसलों के उत्पादन के चलते कृषि क्षेत्र भारतीय...
नेशनल डेस्क: केंद्र सरकार ने 2024-25 के वित्तीय वर्ष के लिए भारतीय GDP के अग्रिम अनुमानों को मंगलवार को जारी किया, जिसमें भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.4% रहने का अनुमान जताया गया है। यह वृद्धि दर पिछले चार वर्षों में सबसे कम है, और यह भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा अनुमानित 6.6% से भी कम है। जबकि इस साल भारतीय अर्थव्यवस्था को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, एक अच्छी खबर यह है कि कृषि क्षेत्र एक बार फिर भारतीय GDP का महत्वपूर्ण हिस्सा बनता दिखेगा, जैसा कि कोविड-19 महामारी के दौरान हुआ था।
कृषि क्षेत्र के लिए उम्मीद की किरण
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी किए गए GDP के अग्रिम अनुमानों में स्पष्ट किया गया है कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में कृषि क्षेत्र में जबर्दस्त वृद्धि की संभावना है। कृषि क्षेत्र और उससे जुड़े अन्य उद्योगों में महत्वपूर्ण योगदान देखा जा सकता है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए राहत भरा संकेत होगा। विशेषकर मानसून के अनुकूल होने और अच्छे फसल उत्पादन की उम्मीद के चलते कृषि क्षेत्र को 3.8% की वृद्धि का अनुमान जताया गया है, जबकि पिछले वर्ष (2023-24) में यह दर केवल 1.4% थी।
मक्का और अन्य प्रमुख खरीफ फसलों के उत्पादन में बढ़ोतरी
वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए जारी किए गए GDP के अग्रिम अनुमानों में सरकार ने कृषि क्षेत्र की मजबूती का मुख्य कारण बेहतर मानसून और अच्छे फसल उत्पादन को बताया है। खासकर खरीफ फसलों के उत्पादन में वृद्धि की संभावना है। 2024 में मानसून ने लगभग 8% अधिक बारिश की, जो पिछले तीन वर्षों में सबसे अधिक रही। इस अच्छी वर्षा के चलते खरीफ चावल का उत्पादन लगभग 120 मिलियन टन होने की संभावना है, जो 2023-24 से 5.9% अधिक होगा। इसके अलावा मक्का और अन्य प्रमुख खरीफ फसलों के उत्पादन में भी बढ़ोतरी होने की उम्मीद जताई जा रही है।
रबी की बुवाई में भी बढ़ोतरी
इसके अलावा, रबी फसलों, खासकर गेहूं की बुवाई में भी वृद्धि हुई है। 3 जनवरी 2025 तक रबी फसलों की बुवाई करीब 32 मिलियन हेक्टेयर में पूरी हो चुकी थी, जो पिछले साल की तुलना में 1.74% अधिक है। इन सभी संकेतकों के आधार पर सरकार ने कृषि क्षेत्र में मजबूती और सकारात्मक वृद्धि की उम्मीद जताई है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था को एक अहम सहारा प्रदान कर सकता है।
कोविड-19 के दौरान भी कृषि क्षेत्र ने निभाया था अहम भूमिका
जब कोविड-19 महामारी के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्र हिचकोले खा रहे थे, तब कृषि क्षेत्र ने देश की अर्थव्यवस्था को सहारा दिया था। 2019-20 में कृषि और संबंधित गतिविधियों का सकल मूल्य संवर्धन (GVA) 17.8% था, जबकि GDP में कृषि क्षेत्र का योगदान लगभग 3.4% था। कोविड के समय में जब अन्य उद्योगों में माइनस ग्रोथ देखी गई थी, तब कृषि क्षेत्र ने 3.4% की वृद्धि दर दर्ज की, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक राहत का कारण बनी। इस अनुभव से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि 2025 में भी कृषि क्षेत्र का योगदान भारतीय GDP में एक स्थिर और सकारात्मक कारक रहेगा।
कृषि के अलावा अन्य सेक्टर्स में गिरावट का अनुमान
वहीं, कृषि क्षेत्र के अलावा, अन्य प्रमुख क्षेत्रों में मंदी का अनुमान है। मैन्युफैक्चरिंग, रियल एस्टेट, वित्तीय सेवाएं और सर्विस सेक्टर में धीमी वृद्धि देखी जा सकती है। मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र की वास्तविक जीवीए (GVA) वृद्धि दर 2025 में 8.6% और वित्तीय सेवाओं का जीवीए 7.3% बढ़ने की उम्मीद जताई गई है। हालांकि, सर्विस सेक्टर जैसे होटल, परिवहन और टेलीकॉम क्षेत्रों में ग्रोथ रेट में कमी आने की संभावना है। उदाहरण के तौर पर, 2023-24 में सर्विस सेक्टर की वृद्धि दर 6.4% रही थी, लेकिन 2024-25 में यह घटकर 5.8% तक रहने का अनुमान है। इसके पीछे मुख्य कारण यह हो सकता है कि कोरोना के बाद कुछ क्षेत्रों में गतिविधियां अब धीमी हो गई हैं और सेवाओं के लिए डिमांड में भी कमी आ रही है।
कैसे होगा कृषि क्षेत्र का आर्थिक फायदा?
कृषि क्षेत्र की सकारात्मक वृद्धि भारत की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगी, खासकर ऐसे समय में जब कई अन्य सेक्टरों में मंदी का सामना किया जा रहा है। भारत की अधिकांश आबादी अभी भी कृषि पर निर्भर है, और यदि कृषि क्षेत्र बढ़ता है, तो यह न केवल किसानों की आय को बढ़ाएगा, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी सृजित करेगा। इसके साथ ही, भारतीय कृषि उत्पादों की मांग बढ़ने से निर्यात को भी बढ़ावा मिल सकता है, जिससे देश का विदेशी मुद्रा भंडार भी मजबूत होगा।
कृषि के अलावा इन क्षेत्रों पर भी नजर
सरकार का मानना है कि कृषि क्षेत्र के साथ-साथ मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर के लिए भी संभावनाएं हैं, हालांकि इन क्षेत्रों में मंदी देखने को मिल सकती है। मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में 8.6% की वृद्धि का अनुमान है, जो भारतीय औद्योगिक उत्पादन के लिए सकारात्मक संकेत हो सकता है। वहीं, वित्तीय और रियल एस्टेट क्षेत्र में 7.3% की वृद्धि संभव है, जो थोड़ी कम है, लेकिन इसका असर अर्थव्यवस्था पर हो सकता है। कुल मिलाकर, भारत की GDP में कृषि क्षेत्र का योगदान 2025 में महत्वपूर्ण रहेगा। पिछले कुछ वर्षों में कृषि क्षेत्र ने साबित किया है कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक मजबूत स्तंभ है, खासकर प्राकृतिक आपदाओं और महामारी जैसी परिस्थितियों में। कृषि क्षेत्र के साथ अन्य क्षेत्रों में सुस्ती और मंदी की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन यदि कृषि क्षेत्र लगातार सकारात्मक प्रदर्शन करता है, तो भारतीय GDP में स्थिरता बनी रह सकती है।