कभी इस चीज के लिए चीन पर थे निर्भर...अब निर्भरता कम कर, ग्लोबल लीडर बनने की ओर भारत!

Edited By Mahima,Updated: 10 Sep, 2024 01:56 PM

once we were dependent on china for this thing

भारत की इलेक्ट्रिक वाहन (EV) और ग्रीन टेक्नोलॉजी क्षेत्र में तेजी से बढ़ती महत्वाकांक्षाओं के बीच, एक नई और सकारात्मक खबर आई है। केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने घोषणा की है कि भारत जल्द ही लिथियम आयन बैटरी का निर्यात करने की स्थिति में...

नेशनल डेस्क: भारत की इलेक्ट्रिक वाहन (EV) और ग्रीन टेक्नोलॉजी क्षेत्र में तेजी से बढ़ती महत्वाकांक्षाओं के बीच, एक नई और सकारात्मक खबर आई है। केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने घोषणा की है कि भारत जल्द ही लिथियम आयन बैटरी का निर्यात करने की स्थिति में होगा। यह घोषणा देश के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकती है, क्योंकि भारत लंबे समय से लिथियम बैटरी के आयात पर निर्भर रहा है।

लिथियम आयन बैटरी का महत्व
लिथियम आयन बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों, मोबाइल फोन, लैपटॉप और अन्य कई आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए एक महत्वपूर्ण घटक है। ये बैटरी उच्च ऊर्जा घनत्व, लंबे समय तक चलने की क्षमता और कम रखरखाव की आवश्यकता के कारण लोकप्रिय हैं। इस वजह से, इनकी मांग तेजी से बढ़ रही है, विशेषकर ई-व्हीकल्स के क्षेत्र में, जो वर्तमान में वैश्विक ट्रेंड में हैं।

भारत की नई उपलब्धियाँ
नितिन गडकरी ने हाल ही में सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) के 64वें सम्मेलन में इस बात की पुष्टि की कि भारत जल्द ही लिथियम आयन बैटरी का निर्यात करने लगेगा। उन्होंने बताया कि देश में पांच कंपनियों ने इस बैटरी की मैन्युफैक्चरिंग शुरू कर दी है और अगले कुछ वर्षों में इसकी लागत में कमी आने की संभावना है। उन्होंने यह भी कहा कि लिथियम आयन बैटरी की कीमत पहले 150 डॉलर प्रति किलोवाट घंटा थी, जो अब घटकर 107-108 डॉलर प्रति किलोवाट घंटा हो गई है और भविष्य में इसकी कीमत 90 डॉलर प्रति किलोवाट घंटा तक गिर सकती है। 

चीन की निर्भरता कम होगी
चीन वर्तमान में लिथियम आयन बैटरी का प्रमुख निर्माता है और इसका वैश्विक बाजार में 77 प्रतिशत हिस्सा है। भारत ने पिछले वर्षों में चीन और हॉन्गकॉन्ग से लिथियम बैटरी का आयात किया है। 2020-21 में भारत ने 8,984 करोड़ रुपये की लिथियम आयन बैटरी का आयात किया था, जो 2021-22 में बढ़कर 13,838 करोड़ रुपये हो गया। भारत अब अपने उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाकर और घरेलू भंडार का उपयोग करके इस निर्भरता को कम करने की दिशा में बढ़ रहा है। इससे न केवल भारत की इलेक्ट्रिक वाहन और ग्रीन टेक्नोलॉजी क्षेत्र में वृद्धि होगी, बल्कि यह वैश्विक बाजार में भी भारत की स्थिति को मजबूत करेगा।

पेट्रोल-डीजल की जगह इलेक्ट्रिक
गडकरी ने कहा कि वे पेट्रोल और डीजल के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाना आवश्यक है। उन्होंने यह भी आश्वस्त किया कि जल्द ही इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतें पेट्रोल और डीजल वाहनों के बराबर हो जाएंगी, जिससे उनके उपयोग को बढ़ावा मिलेगा। इस प्रकार, भारत की यह नई पहल न केवल देश की ऊर्जा आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगी बल्कि वैश्विक स्तर पर भी भारत को एक प्रमुख खिलाड़ी बना देगी। 

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