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पहलगाम हमला: एक नाम, दो चेहरे – एक ने मासूमों पर गोलियां चलाईं, दूसरे ने जान देकर बचाया

Edited By Pardeep,Updated: 25 Apr, 2025 10:11 PM

one adil was a murderer while the other adil sacrificed his life to save people

यह दिल दहला देने वाली घटना दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम में मंगलवार, 22 अप्रैल 2025 को हुई, जब लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के आतंकवादियों ने पर्यटकों से भरे एक इलाके पर हमला किया।

नेशनल डेस्कः यह दिल दहला देने वाली घटना दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम में मंगलवार, 22 अप्रैल 2025 को हुई, जब लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के आतंकवादियों ने पर्यटकों से भरे एक इलाके पर हमला किया। इस हमले में कम से कम 26 लोग मारे गए, जबकि कई अन्य घायल हुए। इस हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया और दुनिया भर में इसकी निंदा की गई है।​

हमले में शामिल एक आतंकवादी आदिल थोकर उर्फ आदिल गुरी था, जो बिजबेहरा के गुरी गांव का निवासी है। आदिल ने 2018 में वैध यात्रा दस्तावेज़ पर पाकिस्तान यात्रा की थी और उसके बाद वह लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ गया था। 2024 में वह नियंत्रण रेखा पार करके भारत आया और जम्मू क्षेत्र के डोडा और किश्तवाड़ इलाकों में सक्रिय था। हमले के बाद वह पीर पंजाल के घने जंगलों में भाग गया।​

वहीं, इस हमले के दौरान एक बहादुर व्यक्ति ने पर्यटकों को बचाने के लिए अपनी जान की आहुति दी। उसका नाम सैयद आदिल हुसैन शाह था, जो पहलगाम के हपतनार्द गांव का निवासी था। आदिल हुसैन शाह खच्चर चालक के रूप में काम करता था और पर्यटकों को मिनी स्विट्जरलैंड के हरे-भरे मैदान तक ले जाता था।​

मंगलवार को जब आतंकवादियों ने पर्यटकों पर हमला किया, तो आदिल हुसैन शाह ने अपनी जान की परवाह किए बिना उनका मुकाबला किया और पर्यटकों को बचाने की कोशिश की। इस दौरान आतंकवादियों ने उसे तीन गोलियां मारीं, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।​

आदिल हुसैन शाह के परिवार में उसके माता-पिता और एक भाई हैं। उसका भाई सैयद नौशाद ने बताया कि आदिल हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार रहता था। उसकी बहन अस्मा ने बताया कि उस दिन उसे कुछ डर सा महसूस हुआ था और उसने आदिल से काम पर न जाने के लिए कहा था, लेकिन उसने उसकी बात नहीं मानी।​

आदिल हुसैन शाह की बहादुरी को सलाम करते हुए जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया पर लिखा, "उन्होंने पर्यटकों को बचाने के लिए साहस दिखाते हुए आतंकवादियों से हथियार छीनने की कोशिश की थी, लेकिन वह उनके हमले में मारे गए।" उन्होंने शोकाकुल परिवार से मुलाकात की और उन्हें पूर्ण सहायता का आश्वासन दिया।​ आदिल हुसैन शाह का बलिदान न केवल कश्मीर बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय है। उसकी वीरता और साहस को हमेशा याद रखा जाएगा।

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