एक देश, एक चुनाव बिल संसद में जल्द हो सकता है पेश, आम जनता से भी मांगा जाएगा सुझाव

Edited By Rahul Singh,Updated: 09 Dec, 2024 10:40 PM

one country one election bill may be introduced in parliament soon

सरकार "एक देश, एक चुनाव" बिल को संसद के इस सत्र या अगले सत्र में पेश करने की तैयारी कर रही है। सूत्रों के अनुसार, यह बिल लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराने के लिए है।

नई दिल्ली।  सरकार "एक देश, एक चुनाव" बिल को संसद के इस सत्र या अगले सत्र में पेश करने की तैयारी कर रही है। सूत्रों के अनुसार, यह बिल लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराने के लिए है। पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों के आधार पर इस बिल को कैबिनेट ने मंजूरी दी है, जिससे सरकार इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता दिखा रही है। सरकार इस बिल को संसद की एक संयुक्त समिति (JPC) को भेजने का प्लान बना रही है, ताकि सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से विस्तार से चर्चा की जा सके। इस प्रक्रिया में व्यापक सहमति बनाने की कोशिश की जाएगी।

सरकार आम जनता से भी सुझाव लेगी

इसके अलावा, सरकार विभिन्न हितधारकों से भी विचार-मंतवय करेगी। राज्य विधानसभाओं के अध्यक्षों, विशेषज्ञों, बौद्धिकों और नागरिक समाज के सदस्यों को आमंत्रित किया जाएगा, ताकि इस महत्वपूर्ण प्रस्ताव पर सभी की राय ली जा सके। इसके साथ ही, सरकार आम जनता से भी सुझाव लेगी, ताकि फैसले में पारदर्शिता और समावेशिता सुनिश्चित की जा सके। बिल के प्रमुख पहलुओं, जैसे इसके लाभ और देशभर में एक साथ चुनाव कराने के लिए आवश्यक प्रबंधन, पर गहन चर्चा की जाएगी।

राजनीतिक बहस होने की है संभावना

सरकार का उद्देश्य विभिन्न समस्याओं पर विचार करके और सभी पक्षों से विचार-विमर्श करके राष्ट्रीय सहमति हासिल करना है। "एक देश, एक चुनाव" को अक्सर एक महत्वपूर्ण सुधार के रूप में देखा जाता है, जो चुनावों के बार-बार होने वाली लागत और व्यवधान को कम करने में मदद करेगा। हालांकि, सरकार इस प्रस्ताव को लेकर आशावादी है, लेकिन इसे लेकर राजनीतिक बहस हो सकती है, और विपक्षी दल इसके कार्यान्वयन और संघीय ढांचे पर प्रभाव को लेकर चिंता जता सकते हैं।

भा.ज.पा. नेता गौरव भाटिया ने पहले "एक देश, एक चुनाव" के पक्ष में कहा था कि इससे लोगों का समय बच सकेगा और उन्हें एक ही बार में वोट देने का मौका मिलेगा। वहीं, कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने इस कदम को संविधान पर "सीधा हमला" करार दिया और कहा कि यह एक "हवाई बलून" जैसा है जो अंततः खुद ही खत्म हो जाएगा।

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