Edited By rajesh kumar,Updated: 17 Dec, 2024 02:06 PM
आज संसद के शीतकालीन सत्र के 17वें दिन, सरकार ने लोकसभा में एक देश, एक चुनाव (वन नेशन, वन इलेक्शन) विधेयक पेश किया। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस विधेयक को पेश किया, जो 129वें संविधान संशोधन से संबंधित है।
नेशनल डेस्क: आज संसद के शीतकालीन सत्र के 17वें दिन सरकार ने लोकसभा में 'एक देश, एक चुनाव' (वन नेशन, वन इलेक्शन) विधेयक पेश किया। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस विधेयक को पेश किया, जो 129वें संविधान संशोधन से संबंधित है। इस विधेयक को 12 दिसंबर को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी थी।
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लोकसभा में पास हुआ बिल, 269 वोट विधेयक के पक्ष में पड़े
लोकसभा में 'एक देश, एक चुनाव' विधेयक को मंजूरी मिल गई है। इसके लिए मतदान हुआ, जिसमें 269 वोट विधेयक के पक्ष में पड़े और 198 सांसदों ने इसका विरोध किया। बहुमत प्रस्ताव के पक्ष में है। इसके बाद कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बिल सदन में पेश कर दिया। वहीं, बिल को विस्तृत चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा गया है। मतदान के बाद सदन की कार्यवाही दोपहर तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
अगर उन्हें कोई आपत्ति है तो वे पर्ची दे सकते हैं- शाह
लोकसभा में 'वन नेशन, वन इलेक्शन' बिल पर मतदान शुरू हो गया है। लोकसभा में पहली बार इलेक्ट्रॉनिक मशीन से वोटिंग हो रही है। इस बिल के पक्ष में 220 वोट और विपक्ष में 149 वोट पड़े। कुल 369 सदस्यों ने वोट डाला। इसके बाद विपक्ष के सदस्यों ने आपत्ति जताई। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अगर उन्हें कोई आपत्ति है तो वे पर्ची दे सकते हैं। इस पर स्पीकर ने कहा कि हमने पहले ही बताया था कि अगर किसी सदस्य को लगे तो वह पर्ची के माध्यम से अपना वोट बदल सकता है।
सहयोगी दलों का समर्थन, विपक्ष का विरोध
भाजपा और शिवसेना ने विधेयक पर अपनी सहमति जताते हुए सभी सांसदों को सदन में उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी किया है। वहीं, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के सहयोगी दल सरकार और विधेयक के समर्थन में खड़े हैं।
विपक्षी दलों ने इस विधेयक का विरोध किया है। उनका कहना है कि यह विधेयक असल मुद्दों से ध्यान हटाने का एक प्रयास है। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) ने इस विधेयक को संविधान के मूल ढांचे पर हमला बताया है।
हम बिल का पूरा समर्थन करते हैं- जेडीयू
वन नेशन वन इलेक्शन बिल पर जेडीयू सांसद संजय कुमार झा ने कहा, "हमने कहा था कि हम इसका पूरा समर्थन करते हैं कि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ होने चाहिए। पंचायत चुनाव अलग-अलग होने चाहिए। जब इस देश में चुनाव शुरू हुए थे, तब वन नेशन वन इलेक्शन था। यह कोई नई बात नहीं है। विसंगतियां तब शुरू हुईं, जब 1967 में कांग्रेस ने राष्ट्रपति शासन लगाना शुरू किया। इसलिए हम इसका समर्थन करते हैं। सरकार हमेशा चुनाव मोड में रहती है। खर्चा बहुत है।"
विपक्ष की प्रतिक्रियाएं
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने मंगलवार को अपना विरोध दर्ज कराते हुए तर्क दिया कि "एक राष्ट्र, एक चुनाव" विधेयक संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है। तिवारी ने कहा कि यह विधेयक केंद्र और राज्य सरकारों के बीच संतुलन को बिगाड़ देगा और भारत की संघीय व्यवस्था को कमजोर करेगा। विधेयक के बारे में बोलते हुए तिवारी ने कहा, "यह संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है। भारत राज्यों का संघ है, इसलिए आप मनमाने ढंग से राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल को कम नहीं कर सकते।"
टीएमसी ने किया विरोध
टीएमसी (तृणमूल कांग्रेस) ने भी इस विधेयक का विरोध किया। पार्टी के सांसद कल्याण बनर्जी ने इसे संविधान के ढांचे पर हमला करार दिया। उन्होंने कहा, “राज्यों की विधानसभा, केंद्र के अधीन नहीं हो सकती। यह चुनाव सुधार नहीं, बल्कि एक व्यक्ति की जिद है।”
संघीय ढांचे को समाप्त करने का प्रयास- सपा
कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला ने इस विधेयक को निरर्थक बताया। उन्होंने कहा कि जब तक यह सुनिश्चित नहीं किया जाता कि किसी भी परिस्थिति में सदन अगले पांच साल तक भंग न हो, तब तक इस विधेयक से कोई लाभ नहीं होगा। सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा कि यह विधेयक संविधान की मूल भावना पर हमला है और संघीय ढांचे को समाप्त करने का प्रयास है।
ये सिर्फ़ ध्यान भटकाने वाली बातें हैं- अकाली दल
वन नेशन वन इलेक्शन बिल पर शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने कहा, "ये सिर्फ़ ध्यान भटकाने वाली बातें हैं। जिन मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए, लोगों के मुद्दे - उन मुद्दों पर बात नहीं होती। न तो सरकार और न ही कांग्रेस सदन चलाना चाहती है। वन नेशन वन इलेक्शन से किसे खाना मिलेगा? किसे नौकरी मिलेगी? कौन सा किसान मुद्दा हल होगा? इससे लोगों को क्या फ़ायदा होगा?"