One Nation, One Election: जानें मोदी सरकार की नई पहल, कैसे और कब होगा लागू

Edited By Mahima,Updated: 19 Sep, 2024 09:38 AM

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भारतीय सरकार ने "One Nation, One Election" योजना को मंजूरी दी है, जो कोविंद समिति की सिफारिशों पर आधारित है। इसका उद्देश्य लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराना है, जिससे चुनावी प्रक्रिया सरल हो सके। जबकि 80% सुझाव इस पहल के पक्ष में हैं,...

नई दिल्ली: भारत सरकार ने ‘One Nation, One Election’ योजना को आगे बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित समिति की सिफारिशों को मंजूरी दी है। इस योजना का उद्देश्य देश में लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने का है, जिससे चुनावी प्रक्रिया को सरल और खर्च कम करने का प्रयास किया जा सके।

कोविंद समिति की रिपोर्ट
कोविंद समिति का गठन 2 सितंबर 2023 को किया गया था और इसने 191 दिन तक विभिन्न राजनीतिक दलों और आम लोगों के साथ चर्चा की। समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि 80 प्रतिशत सुझाव ‘One Nation, One Election’ के पक्ष में आए। कुल 18,626 पन्नों की इस रिपोर्ट में, 47 राजनीतिक दलों ने सुझाव दिए, जिनमें से 32 ने इस विचार का समर्थन किया। 

पहले चर्चा का इतिहास
‘One Nation, One Election’ का विचार पहली बार 1999 में सामने आया था जब विधि आयोग ने इसे अपने 170वीं रिपोर्ट में सुझाया था। इसके बाद, 2015 में कार्मिक, लोक शिकायत, विधि एवं न्याय पर संसदीय समिति ने भी इसके बारे में सुझाव दिए थे। कोविंद समिति ने इस बार दो चरणों में चुनाव कराने का प्रस्ताव रखा है: पहले चरण में लोकसभा और राज्यसभा के चुनाव, और दूसरे चरण में स्थानीय निकायों के चुनाव।

कब होगा लागू? 
‘One Nation, One Election’ को लागू करने के लिए एक क्रियान्वयन समूह बनाया जाएगा, जो राजनीतिक दलों और अन्य हितधारकों से चर्चा करेगा। इसके बाद संविधान संशोधन विधेयक को संसद में पेश किया जाएगा। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि यह तय करना अभी संभव नहीं है कि यह योजना कब से लागू होगी, लेकिन 2029 के लोकसभा चुनावों के साथ इसे लागू करने की संभावना पर विचार किया जा रहा है।

किन राज्यों पर पड़ सकता है असर
अगर "One Nation, One Election" लागू होता है, तो 22 राज्यों में समय से पहले चुनाव कराने होंगे। ये राज्य हैं:

- बिहार
- कर्नाटक
- दिल्ली
- गोवा
- असम
- गुजरात
- हरियाणा
- हिमाचल प्रदेश
- झारखंड
- केरल
- महाराष्ट्र
- मणिपुर
- मेघालय
- नागालैंड
- पुडुचेरी
- पंजाब
- तमिलनाडु
- त्रिपुरा
- उत्तर प्रदेश
- उत्तराखंड
- जम्मू-कश्मीर
- पश्चिम बंगाल
इन राज्यों में चुनाव समय से पहले कराने की आवश्यकता होगी, जिससे राजनीतिक माहौल में तेजी आएगी और नए समीकरण बनेंगे।

देरी से कहां होंगे चुनाव
इसके विपरीत, कुछ राज्यों में जैसे राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, मिजोरम, और तेलंगाना में चुनाव में देरी होने की संभावना है। यह राज्यों की चुनावी समयसीमा के अनुसार निर्धारित किया जाएगा, जो कि अब बदलने वाली है।

राजनीतिक दलों का समर्थन
इस पहल का समर्थन करने वाले कई राजनीतिक दल हैं। NDA सरकार के कुछ सहयोगियों जैसे चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी, नीतीश कुमार की जेडीयू, और चिराग पासवान की LJP(R) ने इस विचार का समर्थन किया है। जेडीयू और LJP(R) ने खुलकर इसका समर्थन किया है, जबकि TDP ने अभी तक इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।

कैसा है विपक्ष का रुख
हालांकि, कांग्रेस पार्टी और कुछ अन्य विपक्षी दल इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं। कोविंद समिति के कुछ सदस्य, जैसे अधीर रंजन चौधरी और गुलाम नबी आजाद, समिति की बैठकों में शामिल नहीं हुए। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार किस प्रकार विपक्षी दलों से सहमति बनाती है, क्योंकि संविधान संशोधन के लिए एनडीए से बाहर के दलों का समर्थन भी जरूरी होगा। ‘One Nation, One Election’ की योजना भारत में चुनावी प्रणाली में एक बड़ा बदलाव ला सकती है, लेकिन इसके सफल कार्यान्वयन के लिए राजनीतिक सहमति और संविधान संशोधन आवश्यक हैं। अब यह देखने वाली बात होगी कि सरकार इस योजना को कितनी तेजी से लागू कर पाती है।

 


 

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