Edited By Parveen Kumar,Updated: 17 Mar, 2025 09:39 PM

भारत सरकार के ताजा आंकड़ों के अनुसार, देश में गरीबी अब सिर्फ 4% रह गई है। यानी, 142 करोड़ की आबादी में केवल 5-6 करोड़ लोग ही गरीबी रेखा के नीचे हैं। जबकि 2011-12 में यह आंकड़ा 29.3% था।
नेशनल डेस्क : भारत सरकार के ताजा आंकड़ों के अनुसार, देश में गरीबी अब सिर्फ 4% रह गई है। यानी, 142 करोड़ की आबादी में केवल 5-6 करोड़ लोग ही गरीबी रेखा के नीचे हैं। जबकि 2011-12 में यह आंकड़ा 29.3% था। ये आंकड़े नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन (NSO) ने जारी किए हैं। इससे पहले, जनवरी 2025 में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने भी गरीबी में गिरावट की रिपोर्ट दी थी। लेकिन अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या ये आंकड़े हकीकत हैं या सिर्फ कागजी दावे?
गरीबी की नई परिभाषा
NSO और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की सदस्य डॉ. शमिका रवि के मुताबिक, रंगराजन समिति (2014) के मानकों के अनुसार-
- शहरों में जो व्यक्ति रोज 47 रुपये (महीने में 1,410 रुपये) से ज्यादा कमाता है, वह गरीब नहीं माना जाता।
- गांवों में यह सीमा 32 रुपये (960 रुपये महीना) तय की गई है।
- आज की महंगाई को देखते हुए यह सवाल उठ रहा है कि क्या शहरों में 47 रुपये और गांवों में 32 रुपये से एक दिन का गुजारा किया जा सकता है?
राज्यों में गरीबी का हाल
NSO सर्वे के अनुसार, भाजपा शासित राज्यों में गरीबी लगभग खत्म हो चुकी है।
- हरियाणा में 1% से भी कम लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं।
- बिहार में गरीबी दर 4.4% रह गई है।
- लेकिन यह आंकड़ा सवालों के घेरे में है। बिहार में बेरोजगारी और पलायन बड़ा मुद्दा बना हुआ है। सीएम नीतीश कुमार के सर्वे के अनुसार, राज्य में 50% से अधिक आबादी गरीब है। ऐसे में NSO का 4.4% का दावा कितना सच है?
अगर गरीबी घटी, तो मुफ्त राशन क्यों?
देश में 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिया जा रहा है। जब इस पर डॉ. शमिका रवि से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा-
- पहले अनाज गोदामों में सड़ता था, अब लोगों को दिया जा रहा है।
- मनरेगा से मौसमी बेरोजगारी में मदद मिलती है।