Edited By Rahul Singh,Updated: 07 Sep, 2024 07:58 AM
राजस्थान के सूरत में 'जल संचय जन भागीदारी पहल' की शुरुआत पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चेतावनी देते हुए पानी बचाने की जरूरत पर जोर दिया है और कहा कि भारत के पास दुनिया के कुल ताजे पानी का केवल 4 प्रतिशत ही है।
सूरत : राजस्थान के सूरत में 'जल संचय जन भागीदारी पहल' की शुरुआत पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चेतावनी देते हुए पानी बचाने की जरूरत पर जोर दिया है और कहा कि भारत के पास दुनिया के कुल ताजे पानी का केवल 4 प्रतिशत ही है। उन्होंने जल संचयन के लिए जल का दुरुपयोग रोकने, उसके पुनः इस्तेमाल और रिचार्ज करने के साथ ही उसके पुनर्चक्रण के मंत्र को अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने जल और पर्यावरण के संरक्षण को भारत की उस सांस्कृतिक चेतना का एक हिस्सा बताया, जिसमें पानी को भगवान और नदियों को देवी के रूप में पूजा जाता है।
वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से यहां आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोदी ने यह भी कहा कि पिछले दिनों अप्रत्याशित बारिश का जो 'तांडव 'हुआ, उससे देश का शायद ही कोई ऐसा इलाका होगा, जिसको संकट का सामना न करना पड़ा हो। उन्होंने कहा, "इस बार गुजरात पर बहुत बड़ा संकट आया। सारी व्यवस्थाओं की ताकत नहीं थी कि प्रकृति के इस प्रकोप के सामने हम टिक पाएं, लेकिन गुजरात के लोगों और देशवासियों का स्वभाव एक है कि संकट की घड़ी में कंधे से कंधा मिलाकर हर कोई, हर किसी की मदद करता है।"
प्रधानमंत्री ने कहा कि जल संचय केवल एक नीति नहीं है बल्कि एक पुण्य भी है जिसमें उदारता और उत्तरदायित्व दोनों हैं। उन्होंने कहा, "आने वाली पीढ़ियां जब हमारा आकलन करेंगी तो पानी के प्रति हमारा रवैया, शायद उनका पहला मानदंड होगा।" उन्होंने कहा, "जल संरक्षण, प्रकृति संरक्षण हमारे लिए कोई नए शब्द नहीं हैं। यह हालात के कारण हमारे हिस्से आया काम है। यह भारत की सांस्कृतिक चेतना का हिस्सा है। जल संरक्षण केवल नीतियों का नहीं, बल्कि सामाजिक निष्ठा का भी विषय है।"