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Rajya Sabha: सभापति के ख़िलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगा विपक्ष, 70 सांसदों ने किये हस्ताक्षर

Edited By Mahima,Updated: 09 Dec, 2024 05:05 PM

opposition will bring no confidence motion against the speaker

संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक ने राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी की है, जिसमें 70 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए हैं। यह कदम जॉर्ज सोरोस के मुद्दे पर हुए हंगामे के बाद उठाया गया है। विपक्ष का...

नेशनल डेस्क: संसद के winter session में जहां एक ओर देश के अहम मुद्दों पर चर्चा हो रही है, वहीं राज्यसभा में सियासी तापमान बढ़ गया है। विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर ली है। इस प्रस्ताव पर विपक्ष के 70 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए हैं, जो कि इसे आगे बढ़ाने के लिए जरूरी 50 हस्ताक्षरों की सीमा से अधिक है।  

TMC और SP दोनों दल का अविश्वास प्रस्ताव में समर्थन
जहां पहले तृणमूल कांग्रेस (TMC) और समाजवादी पार्टी (SP) विपक्षी प्रदर्शनों से दूर नजर आ रही थीं, वहीं अब दोनों दल अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में खड़े हो गए हैं। इन दलों के सांसदों ने भी प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। विपक्ष मंगलवार को यह प्रस्ताव राज्यसभा में पेश कर सकता है।  

George Soros के मुद्दे पर विवाद  
इस अविश्वास प्रस्ताव की पृष्ठभूमि में सोमवार को राज्यसभा में जॉर्ज सोरोस से जुड़े मुद्दे पर हुए हंगामे का बड़ा योगदान है। विपक्षी दलों का आरोप है कि सभापति धनखड़ ने सत्तारूढ़ दल के पक्ष में पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया। कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह और राजीव शुक्ला सहित अन्य नेताओं ने भी सभापति पर नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया। विपक्ष का कहना है कि धनखड़ ने बीजेपी सदस्यों को प्राथमिकता देकर बोलने का मौका दिया और विपक्ष के सवालों को नजरअंदाज किया।  

अविश्वास प्रस्ताव लाने की प्रक्रिया
राज्यसभा के सभापति, जो उपराष्ट्रपति भी होते हैं, को पद से हटाने के लिए एक निश्चित प्रक्रिया का पालन किया जाता है:  
1. प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 50 सदस्यों के हस्ताक्षर की आवश्यकता होती है।  
2. प्रस्ताव को 14 दिन पहले राज्यसभा सचिवालय में जमा करना पड़ता है।  
3. प्रस्ताव पर राज्यसभा में उपस्थित सदस्यों के बहुमत से फैसला लिया जाता है।  
4. इसके बाद प्रस्ताव को लोकसभा में पेश किया जाता है, जहां उसे बहुमत से पारित होना जरूरी है।  

सभापति के पद को संवैधानिक चुनौती 
सभापति का पद देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद है। ऐसे में उन्हें हटाने का प्रस्ताव एक बड़ी चुनौती है। हालांकि, विपक्ष का कहना है कि सभापति का कार्य निष्पक्ष होना चाहिए, और पक्षपात के आरोपों के चलते यह कदम उठाना जरूरी हो गया है।  

पिछले सत्र में भी थी चर्चा
यह पहला मौका नहीं है जब विपक्ष ने धनखड़ को हटाने की बात कही हो। पिछले मानसून सत्र के दौरान भी इस प्रस्ताव को लाने पर चर्चा हुई थी, लेकिन तब इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। बता दें कि, winter session 20 दिसंबर तक चलेगा। ऐसे में प्रस्ताव को लेकर दोनों सदनों में हलचल तेज होने की उम्मीद है। विपक्षी दलों का कहना है कि यह प्रस्ताव उनके लोकतांत्रिक अधिकारों और सदन में निष्पक्षता की बहाली के लिए है।  

 

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