Edited By Tanuja,Updated: 11 Jul, 2024 04:08 PM
हाल ही हुए ब्रिटिश संसदीय चुनावों में 29 भारतीय मूल के लोग चुने गए हैं जिन्होंने अपने-अपने धर्म ग्रंथ हाथों में लेकर शपथ ग्रहण की। इसमें प्रीति पटेल समेत...
लंदनः हाल ही हुए ब्रिटिश संसदीय चुनावों में 29 भारतीय मूल के लोग चुने गए हैं जिन्होंने अपने-अपने धर्म ग्रंथ हाथों में लेकर शपथ ग्रहण की। इसमें प्रीति पटेल समेत 5 ने बाइबल हाथ में लेकर शपथ ली तो पूर्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक तीन ने भगवत गीता को शपथ लेते हुए हाथों में रखा लेकिन सिख सांसद ने इस मौके पर सुंदर गुटका पर हाथ रखते हुए शपथ ली।आइए जानते हैं कि सुंदर गुटका क्या है और इंग्लैंड में शपथ के दौरान कितने तरह के धर्मग्रंथों को हाथों में लेकर शपथ ले सकते हैं.सुंदर गुटका एक छोटी सी पुस्तक ( गुटका ) है जिसमें श्री गुरु ग्रंथ साहिब और अन्य स्रोतों से विभिन्न आवश्यक छंद (बानी) या शबद (पवित्र छंद) शामिल हैं, जिनका उपयोग गुरु के शब्दों (गुरबानी) के दैनिक पाठ को करने के लिए किया जाता है।
श्री गुरु ग्रंथ साहिब की कविता को सिख परंपरा में सर्वोच्च सम्मान के योग्य माना जाता है और कई प्रकाशक सुंदर गुटका छापते हैं। सुंदर गुटका सिख प्रार्थनाओं का एक संग्रह है और जिसे गुरबानी के नाम से भी जाना जाता है, जिसे दस सिख गुरुओं ने लिखा है। अब ये भी जानते हैं कि ब्रिटेन में हाउस ऑफ कामंस और हाउस ऑफ लॉर्ड्स के लोगो किस तरह शपथ लेते हैं और वो किस तरह के धार्मिक ग्रंथ को साथ में रख सकते हैं। वैसे UK में नए सांसद बगैर भगवान का नाम या धार्मिक ग्रंथ हाथ में लिए बगैर भी शपथ लेते हैं क्योंकि ब्रिटेन में शपथ में सबसे जरूरी बात राजा के प्रति निष्ठा रखना है।
हाउस ऑफ कॉमन्स और हाउस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्य क्राउन के प्रति निष्ठा की शपथ लेते हैं।सदस्य या तो धार्मिक पाठ का उपयोग करके शपथ ले सकते हैं या गैर-धार्मिक तौर पर। वे संसद में अपनी सीट लेने से पहले ऐसा करते हैं। राजशाही के प्रति निष्ठा की शपथ लेना आम बात है. ये राज्य के प्रति वफादारी की घोषणा के समान है।सांसद शपथ लेने या शपथ लेने तक अपनी सीट नहीं ले सकते, बहस में नहीं बोल सकते, वोट नहीं दे सकते या वेतन नहीं ले सकते। अगर वे ऐसा करने की कोशिश करते हैं तो उन पर 500 पाउंड का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। उनकी सीट को “मृत समझकर” खाली घोषित किया जा सकता है। हाउस आफ कामंस में शपथ के लिए 15 धर्म ग्रंथ या धार्मिक किताबों की मंजूरी दी गई है इनमें हिंदू, बौद्ध, इस्लाम, यहूदी, पारसी, क्रिश्चियन, सिख समेत कई धर्मों से संबंधित ग्रंथ शामिल हैं।