Edited By Parveen Kumar,Updated: 23 Apr, 2025 06:52 PM
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को गहरे सदमे में डाल दिया है। इस हमले में 28 निर्दोष लोगों की जान चली गई, जबकि कई लोग घायल हैं और उनका इलाज अस्पताल में चल रहा है। इस भयावह हमले में असम के श्रीभूमि कस्बे का एक परिवार बाल-बाल बच...
नेशनल डेस्क : जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को गहरे सदमे में डाल दिया है। इस हमले में 28 निर्दोष लोगों की जान चली गई, जबकि कई लोग घायल हैं और उनका इलाज अस्पताल में चल रहा है। इस भयावह हमले में असम के श्रीभूमि कस्बे का एक परिवार बाल-बाल बच गया। इस परिवार के सदस्य देबाशीष भट्टाचार्य ने आजतक से खास बातचीत की और हमले के डरावने पलों को याद किया।
क्या हुआ उस दिन?
देबाशीष भट्टाचार्य और उनकी पत्नी असम विश्वविद्यालय के बंगाली डिपार्टमेंट में काम करते हैं। वे अपनी पत्नी और बेटे के साथ कश्मीर घूमने आए थे। जब यह हमला हुआ, तब वे पहलगाम के उसी स्थान पर मौजूद थे।
किस तरह बची जान?
देबाशीष ने बताया कि वे पेड़ के नीचे छिपे हुए थे, तभी उन्होंने कुछ लोगों को कलमा पढ़ते सुना। वे भी उन लोगों के साथ कलमा पढ़ने लगे। तभी एक आतंकी उनके पास आया और पूछा, "क्या कर रहे हो? ये क्या बोल रहे हो? क्या राम नाम बोल रहे हो?" देबाशीष ने जवाब दिया कि वे कलमा पढ़ रहे हैं। इसके बाद वह आतंकी मुड़ा और वहां से चला गया।
दाढ़ी की वजह से बची जान
देबाशीष की पत्नी मधुमिता दास भट्टाचार्य ने अपने भाई नबेंदु दास को इस घटना के बारे में बताया। नबेंदु ने कहा कि आतंकवादी उन्हें पहचान नहीं पाए और इसी वजह से उन्हें छोड़ दिया। देबाशीष की दाढ़ी होने की वजह से उनकी जान बच गई। फिलहाल देबाशीष, उनकी पत्नी और बेटा श्रीनगर में सुरक्षित हैं।