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मेरी पत्नी के कपड़े फट गए थे, कश्मीरियों ने बचाई परिवार की इज्जत- बीजेपी कार्यकर्ता ने सुनाई दिल दहला देने वाली आपबीती

Edited By Anu Malhotra,Updated: 25 Apr, 2025 11:49 AM

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22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने देश को झकझोर कर रख दिया, जब हमले में 25 पर्यटकों और एक स्थानीय घुड़सवार की जान चली गई। लेकिन इस भयावह घटना के बीच एक कश्मीरी गाइड, नज़ाकत अहमद शाह, ने अपनी जान की परवाह किए बिना इंसानियत की...

नेशनल डेस्क:  22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने देश को झकझोर कर रख दिया, जब हमले में 25 पर्यटकों और एक स्थानीय घुड़सवार की जान चली गई। लेकिन इस भयावह घटना के बीच एक कश्मीरी गाइड, नज़ाकत अहमद शाह, ने अपनी जान की परवाह किए बिना इंसानियत की एक अनोखी मिसाल पेश की। इस बहादुरी और सच्ची निस्वार्थ सेवा की कहानी छत्तीसगढ़ के बीजेपी कार्यकर्ता अरविंद अग्रवाल ने साझा की, जिन्होंने अपने परिवार के साथ इस हमले का सामना किया।

नज़ाकत ने बच्चों को अपनी बाहों में समेटकर बचाई जान
अरविंद अग्रवाल और उनका परिवार 22 अप्रैल को पहलगाम में थे जब अचानक गोलीबारी शुरू हो गई। अरविंद की पत्नी पूजा और चार साल की बेटी इस दौरान थोड़ी दूर थीं। नज़ाकत ने तुरंत सबको जमीन पर लेटने का आदेश दिया और बच्चों को अपनी बाहों में लेकर उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। नज़ाकत की बहादुरी के चलते अरविंद की पत्नी को भी सुरक्षित स्थान पर भेजा गया।

इज्जत बचाने में मदद की कश्मीरियों ने
अरविंद ने अपनी आपबीती साझा करते हुए बताया कि उस खौ़फनाक घटना के दौरान उनकी पत्नी के कपड़े फट गए थे, लेकिन वहां के स्थानीय लोगों ने उनकी इज्जत को बचाने के लिए उन्हें कपड़े दिए। अरविंद ने कहा, "अगर नज़ाकत वहां नहीं होते, तो मेरी पत्नी और बेटी की जान के बारे में क्या होता, इसका अंदाजा भी नहीं लगा सकते।"

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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नज़ाकत की बहादुरी, लेकिन दिल दहला देने वाली खबर
नज़ाकत ने बताया कि वह अपने साथियों और बच्चों को सुरक्षित जगह तक पहुंचाने के बाद अरविंद की पत्नी को ढूंढने वापस गए। लेकिन जैसे ही वह उन्हें ढूंढकर सुरक्षित श्रीनगर ले गए, नज़ाकत को यह दुखद खबर मिली कि उनका चचेरा भाई, सैयद आदिल हुसैन शाह, जो एक घुड़सवार था, इस हमले में मारा गया। आदिल ने आतंकियों को रोकने की कोशिश की थी, लेकिन वह अपनी जान की आहुति दे गया।

नज़ाकत की बहादुरी की मिसाल
यह घटना न केवल आतंकवाद की क्रूरता को उजागर करती है, बल्कि नज़ाकत जैसे लोगों की वीरता और इंसानियत को भी सामने लाती है, जिन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए दूसरों की जिंदगी बचाई। अरविंद और उनका परिवार नज़ाकत के लिए आभारी हैं, क्योंकि उनकी वजह से ही वे इस आतंकवादी हमले से सुरक्षित बाहर निकल पाए।

 

 

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