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भारत की सीमाओं पर सुरक्षा को चुनौती दे सकते हैं पाकिस्तान-बांग्लादेश कूटनीतिक रिश्ते

Edited By Mahima,Updated: 07 Dec, 2024 09:50 AM

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पाकिस्तान और बांग्लादेश के बढ़ते कूटनीतिक रिश्ते भारत के लिए सुरक्षा चुनौती बन सकते हैं। बांग्लादेश ने पाकिस्तानियों के लिए वीजा नियमों में ढील दी, जिससे आतंकवादियों और कट्टरपंथियों को सीमा पार करने का मौका मिल सकता है। इतिहास में पाकिस्तान की...

नेशनल डेस्क: पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच कूटनीतिक रिश्तों में हाल ही में आई बदलावों को लेकर विशेषज्ञों ने चिंता जताई है। खासकर, बांग्लादेश में नए अंतरिम सरकार के गठन के बाद से दोनों देशों के बीच बढ़ती नजदीकियां भारत के लिए एक सुरक्षा खतरे के रूप में उभर सकती हैं। इस रिपोर्ट में चर्चा की गई है कि पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच नए संबंधों के चलते भारत की पूर्वी और उत्तर-पूर्वी सीमाओं पर सुरक्षा से संबंधित गंभीर चुनौती उत्पन्न हो सकती है।  

बांग्लादेश ने पाकिस्तानियों के लिए वीजा नियमों में दी ढील
हाल ही में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस ने पाकिस्तान के नागरिकों के लिए वीजा नियमों में ढील देने का फैसला लिया है। इसके तहत अब पाकिस्तानियों को बांग्लादेश में यात्रा के लिए सुरक्षा मंजूरी की आवश्यकता नहीं होगी, जो पहले आवश्यक थी। बांग्लादेश सरकार ने 2019 में सुरक्षा कारणों से एक आदेश जारी किया था, जिसमें पाकिस्तानी नागरिकों को बांग्लादेश में प्रवेश करने के लिए वीजा प्राप्त करने से पहले अनापत्ति (No Objection) मंजूरी प्राप्त करनी होती थी। लेकिन अब यूनुस सरकार ने इसे पलट दिया है। इस कदम के परिणामस्वरूप, पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच रिश्तों में तेजी से नजदीकियां बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। इसे लेकर भारत के सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव भारत की पूर्वी और उत्तर-पूर्वी सीमाओं पर एक नई सुरक्षा चुनौती उत्पन्न कर सकता है। 

कट्टरपंथी और आतंकवादी गतिविधियों का खतरा
विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि पाकिस्तान-बांग्लादेश के बढ़ते संबंधों से कट्टरपंथी और आतंकवादी तत्वों के लिए बांग्लादेश की यात्रा करने का अवसर मिल सकता है। बांग्लादेश की भारत के साथ 4,096 किलोमीटर लंबी सीमा है, और पाकिस्तान के कट्टरपंथी समूहों द्वारा इस सीमा का इस्तेमाल भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए किया जा सकता है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आई.एस.आई. (इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस) का भी पूर्व में बांग्लादेश में सक्रिय होने का इतिहास रहा है। 1971 के भारत-पाक युद्ध और उसके बाद बांग्लादेश में पाकिस्तान के अत्याचारों और शेख मुजीबुर रहमान की हत्या में आई.एस.आई. की भूमिका ने दोनों देशों के रिश्तों को हमेशा के लिए प्रभावित किया। इसके बावजूद, 2001 से 2006 तक बांग्लादेश में बी.एन.पी. (बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी) और जमात-ए-इस्लामी के शासन के दौरान, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आई.एस.आई. ने बांग्लादेश को आतंकवादी और विद्रोही समूहों के लिए एक आधार के रूप में इस्तेमाल किया।

भारत में आतंकवादी हमलों से बांग्लादेश का कनेक्शन
भारत में 2001 और 2006 के बीच हुए कई बड़े आतंकवादी हमलों के पीछे बांग्लादेश का कनेक्शन सामने आया था। 2004 में चटगांव बंदरगाह पर पाकिस्तान द्वारा हथियारों की तस्करी की कोशिश के दौरान बांग्लादेश की धरती का इस्तेमाल किया गया था। इसके अलावा, बी.एन.पी. सरकार के कुछ मंत्रियों का नाम भी भारत में उग्रवाद को बढ़ावा देने में शामिल रहा था। ऐसे में पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच बढ़ती नजदीकी से भारत को सुरक्षा के लिहाज से गंभीर चिंताएं उत्पन्न हो रही हैं।

शेख हसीना की सरकार के बाद बांग्लादेश में पाकिस्तान का असर
हालांकि, 2019 से पहले शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार के दौरान पाकिस्तान के साथ बांग्लादेश के रिश्ते अत्यधिक तनावपूर्ण रहे थे, लेकिन अब बांग्लादेश में हसीना सरकार के सत्ता से बेदखल होने के बाद पाकिस्तान का दूतावास बांग्लादेश में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिशें कर रहा है। इस सिलसिले में, पाकिस्तान के उच्चायुक्त सैयद अहमद मारूफ ने हाल ही में बांग्लादेश के विपक्षी दल, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की नेता खालिदा जिया से मुलाकात की। इसके अलावा, यह भी देखा गया कि 1971 के बाद पहली बार एक पाकिस्तानी मालवाहक जहाज बांग्लादेश के चटगांव बंदरगाह पर पहुंचा है, जो एक संकेत है कि पाकिस्तान बांग्लादेश के साथ अपने व्यापारिक और कूटनीतिक रिश्तों को फिर से सशक्त बनाने की कोशिश कर रहा है।

भारत को सतर्क रहने की आवश्यकता
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को पाकिस्तान और बांग्लादेश के रिश्तों पर गहरी नजर रखनी चाहिए। बांग्लादेश के साथ पाकिस्तान के रिश्तों में बढ़ती नजदीकी का भारत की सुरक्षा नीति पर प्रभाव पड़ सकता है, खासकर यदि इस पर आतंकवाद या कट्टरपंथी गतिविधियों का असर होता है। ऐसे में भारत को किसी भी संभावित खतरे से निपटने के लिए अपने सुरक्षा इंतजामों को और भी मजबूत करना होगा और बांग्लादेश की सीमाओं के पास निगरानी को बढ़ाना होगा। भारत सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि इस नए राजनीतिक बदलाव के मद्देनजर क्षेत्रीय सुरक्षा को कोई नुकसान न पहुंचे। साथ ही, यह भी महत्वपूर्ण है कि किसी भी बाहरी तत्व के लिए भारतीय सीमा में घुसपैठ करने का रास्ता बंद किया जाए, ताकि देश की आंतरिक सुरक्षा बनाए रखी जा सके। बांग्लादेश और पाकिस्तान के बढ़ते कूटनीतिक संबंध भारत के लिए एक नई चुनौती बन सकते हैं। हालाँकि, दोनों देशों के बीच सहयोग का कोई स्पष्ट और तत्काल सैन्य खतरा तो नहीं है, लेकिन यह स्थिति आतंकवाद और कट्टरपंथी गतिविधियों के जरिए भारत के लिए गंभीर परिणाम ला सकती है। ऐसे में भारत को अपनी सुरक्षा रणनीति में बदलाव कर इस बदलाव पर लगातार निगरानी रखनी चाहिए और उचित कदम उठाने चाहिए ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

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