पाकिस्तान भी मनमोहन सिंह के निधन पर दुखी; Pak विदेश मंत्री ने कही बड़ी बात, पाकिस्तानी बोले-"लगता हमारे परिवार का सदस्य चला गया"

Edited By Tanuja,Updated: 28 Dec, 2024 12:42 PM

pakistan minister mourns manmohan singh played key role in ties

पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इश्हाक डार ने शुक्रवार को पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह ने...

Peshawar: पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इश्हाक डार ने शुक्रवार को पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह ने भारत-पाकिस्तान रिश्तों में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। मनमोहन सिंह, जो भारत के आर्थिक सुधारों के आर्किटेक्ट थे, गुरुवार रात 92 वर्ष की आयु में दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में निधन हो गए। डार ने एक पोस्ट में कहा, "डॉ. मनमोहन सिंह के निधन से दुखी हूं। वह पाकिस्तान के चकवाल जिले के एक गांव में पैदा हुए थे। वह एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री और राजनीतिक नेता थे। उन्हें उनकी बुद्धिमानी और विनम्रता के लिए याद किया जाएगा।"


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उन्होंने आगे कहा, "आर्थिक क्षेत्र में उनकी अद्वितीय उपलब्धियों के अलावा, डॉ. सिंह ने क्षेत्रीय शांति को बढ़ावा देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दिखाई। उनका दृष्टिकोण यह था कि आपसी समझ, संवाद और सहयोग सामूहिक प्रगति के लिए आवश्यक हैं। प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने भारत-पाकिस्तान द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।"पाकिस्तान के लोगों और सरकार ने डॉ. मनमोहन सिंह के परिवार, भारत सरकार और लोगों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं।मनमोहन सिंह अपनी पत्नी गुरशरण कौर, जो एक इतिहास की प्रोफेसर हैं, और तीन बेटियों को छोड़ गए हैं। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चकवाल जिले के गाह गांव के लोग  मनमोहन सिंह के निधन से बेहद दुखी हैं और उनका कहना है कि उन्हें ऐसा लग रहा है जैसे उनके परिवार के किसी सदस्य का निधन हो गया है।

 

गाह गांव के रहने वाले अल्ताफ हुसैन ने बताया कि स्थानीय लोगों के एक समूह ने गांव के लड़के मनमोहन सिंह के निधन पर दुख व्यक्त करने के लिए शोकसभा की। हुसैन गाह गांव के उसी स्कूल में शिक्षक हैं जहां मनमोहन सिंह ने कक्षा 4 तक पढ़ाई की थी। मनमोहन के पिता गुरमुख सिंह कपड़ा व्यापारी थे और उनकी मां अमृत कौर गृहिणी थीं। उनके दोस्त उन्हें ‘मोहना' कहकर बुलाते थे। यह गांव राजधानी इस्लामाबाद से लगभग 100 किमी दक्षिण पश्चिम में स्थित है और सिंह के जन्म के समय यह झेलम जिले का हिस्सा था। लेकिन 1986 में इसे चकवाल जिले में शामिल कर लिया गया।

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पूर्व प्रधानमंत्री का बृहस्पतिवार रात नयी दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया। वह 92 वर्ष के थे। मनमोहन सिंह के स्कूल के साथी राजा मुहम्मद अली ने उनसे मुलाकात करने के लिए 2008 में दिल्ली की यात्रा की थी। राजा मुहम्मद अली के भतीजे राजा आशिक अली ने शोकसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा, ‘‘गांव के सभी लोग भारत में उनके (सिंह) अंतिम संस्कार में शामिल होना चाहते हैं लेकिन यह संभव नहीं है। इसलिए वे यहां शोक मनाने आए हैं।'' सिंह के कुछ सहपाठियों का अब निधन हो गया है जिन्होंने 2004 में उनके प्रधानमंत्री बनने के समय खुशी व्यक्त की थी। इन सहपाठियों के परिवार अब भी गाह में रहते हैं और सिंह के साथ अपने पुराने संबंध पर गर्व महसूस करते हैं।

 

आशिक अली ने कहा, ‘‘हम आज भी उन दिनों को याद करके अभिभूत हैं जब गांव में हर किसी को गर्व महसूस होता था कि हमारे गांव का एक लड़का भारत का प्रधानमंत्री बन गया है।'' गांव में सबसे प्रतिष्ठित स्थान शायद स्कूल है जहां सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की थी। रजिस्टर में उनकी प्रवेश संख्या 187 है, और प्रवेश की तारीख 17 अप्रैल, 1937 दर्ज है। उनकी जन्मतिथि 4 फरवरी, 1932 और उनकी जाति ‘कोहली' के रूप में दर्ज है। स्थानीय लोग स्कूल के नवीनीकरण के लिए सिंह को गांव से होने का श्रेय देते हैं और कहते हैं कि भारतीय राजनेता के नाम पर इसका नाम रखने के बारे में कुछ चर्चा हुई थी। उन्हें लगता है कि भारत में सिंह की सफलता ने स्थानीय अधिकारियों को गाँव के विकास पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित किया।


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 सिंह कक्षा 4 के बाद चकवाल चले गए थे। ग्रामीणों के अनुसार, विभाजन से कुछ समय पहले उनका परिवार अमृतसर चला गया था। वर्ष 2008 में सिंह ने अपने मित्र राजा मुहम्मद अली को दिल्ली में मिलने के लिए आमंत्रित किया था। अली की 2010 में मृत्यु हो गई और उसके बाद के वर्षों में उनके कुछ अन्य दोस्तों की भी मृत्यु हो गई। ‘मोहना' कभी गाह वापस नहीं आया और अंततः उसके निधन की खबर आई। स्कूल शिक्षक ने कहा, ‘‘डॉ. मनमोहन सिंह अपने जीवनकाल में फिर गाह नहीं आ सके, लेकिन अब जब वह नहीं रहे तो हम चाहते हैं कि उनके परिवार से कोई इस गांव का दौरा करने आए।''  

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