Edited By Rahul Rana,Updated: 31 Mar, 2025 12:48 PM
मणिपुर में पिछले कुछ महीनों से चल रही हिंसा के पीछे अब पाकिस्तान का कनेक्शन सामने आया है। भारतीय खुफिया एजेंसियों की जांच में पता चला है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी, ISI ने मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदायों के बीच तनाव बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया पर...
नेशनल डेस्क: मणिपुर में पिछले कुछ महीनों से चल रही हिंसा के पीछे अब पाकिस्तान का कनेक्शन सामने आया है। भारतीय खुफिया एजेंसियों की जांच में पता चला है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी, ISI ने मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदायों के बीच तनाव बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट डाले हैं। ISI ने 15-20 फेसबुक अकाउंट्स बनाए हैं, जिनका उद्देश्य मणिपुर के दो समुदायों के बीच तनाव फैलाना है। इन अकाउंट्स के जरिए सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने वाले पोस्ट डाले जा रहे हैं, जिससे हिंसा को बढ़ावा मिल रहा है।
मारखोर साइबर डिफेंस टीम का रोल
ISI की साइबर टीम, जिसे "मारखोर साइबर डिफेंस" (MCD) कहा जाता है, इन फेसबुक अकाउंट्स के संचालन में शामिल है। यह टीम पाकिस्तान सेना की इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) द्वारा फंडेड है और इसमें हैकर्स और कॉल गर्ल्स की एक बड़ी टीम है। ये साइबर एक्सपर्ट्स कुकी और मैतेई समुदायों के बीच विरोध पैदा करने के लिए एक-दूसरे के खिलाफ नफरत भरे पोस्ट डालते हैं। एक प्रोफाइल से कुकी समुदाय का समर्थन करते हुए मैतेई पर हमला किया जाता है, जबकि दूसरी प्रोफाइल से मैतेई समुदाय का पक्ष लेते हुए कुकी के खिलाफ सामग्री पोस्ट की जाती है।
फेसबुक अकाउंट्स की लोकेशन और आईपी एड्रेस ट्रेस
भारतीय खुफिया एजेंसियों ने इन फेसबुक प्रोफाइल्स का आईपी एड्रेस ट्रेस किया है। इन अकाउंट्स की लोकेशन मणिपुर के विभिन्न क्षेत्रों में पाई गई, लेकिन इनकी गतिविधियां पाकिस्तान के रावलपिंडी क्षेत्र से संचालित हो रही हैं। यह इलाके पाकिस्तान की सेना से जुड़ा हुआ है, और इन अकाउंट्स को नयाटेल प्राइवेट लिमिटेड से जोड़ा गया है, जो पाकिस्तान में हाई स्पीड इंटरनेट सेवा प्रदान करने वाली कंपनी है। इन फेसबुक अकाउंट्स से खतरनाक प्रचार अभियान चलाया जा रहा है, जो मणिपुर में हिंसा को और बढ़ावा दे रहा है।
सोशल मीडिया का इस्तेमाल: एक नई युद्ध शैली
मणिपुर हिंसा को लेकर भारतीय सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक "इन्फॉर्मेशन वॉरफेयर" का हिस्सा है। डॉ. शशि भूषण अस्थाना, मेजर जनरल (रिटायर्ड), ने इस मामले में कहा कि आजकल युद्ध के तरीके बदल गए हैं और सोशल मीडिया को हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। मणिपुर में जो भी घटनाएँ हो रही हैं, उनमें विदेशी ताकतों का हाथ हो सकता है, चाहे वह पाकिस्तान की ISI हो, आईएस (ISIS) हो या चीनी एजेंसियां हों। सोशल मीडिया के माध्यम से समाज में भ्रम और नफरत फैलाने की कोशिश की जा रही है, और इस मामले में विदेशी एजेंसियों का योगदान नकारा नहीं जा सकता।
भारत का इन्फॉर्मेशन वॉरफेयर से निपटने का प्रयास
साइबर एक्सपर्ट नीलेश पुरोहित के अनुसार, पाकिस्तान लंबे समय से भारत के खिलाफ इन्फॉर्मेशन वॉरफेयर कर रहा है और मणिपुर में भी सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके वहां की सामाजिक ताना-बाना को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है। वे कहते हैं कि सरकार को इस नई युद्ध शैली से निपटने के लिए एक ठोस तंत्र विकसित करना होगा, ताकि लोग सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही गलत जानकारी पर विश्वास न करें।
मणिपुर हिंसा और विदेशी साजिश
मणिपुर में हाल की हिंसा के दौरान इन फेसबुक अकाउंट्स से लगातार भड़काऊ पोस्ट डाले गए हैं। इन पोस्ट्स में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के खिलाफ नफरत फैलाने वाले बयान दिए गए, साथ ही मणिपुर में सेना द्वारा अत्याचार की अफवाहें फैलाने के लिए बांग्लादेश में हुई हिंसा के वीडियो डाले गए। इसके अलावा, दलितों और बाहरी समुदायों के बीच दूरी बढ़ाने का प्रयास भी किया गया।
अंतिम विचार
मणिपुर हिंसा के पीछे की गहरी साजिश अब साफ हो चुकी है। पाकिस्तान की ISI और अन्य विदेशी एजेंसियां सोशल मीडिया के माध्यम से मणिपुर में समाज को विभाजित करने का प्रयास कर रही हैं। सरकार और सुरक्षा एजेंसियों को इस इन्फॉर्मेशन वॉरफेयर से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार रहना होगा ताकि मणिपुर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में शांति और सामूहिकता बनी रहे।