पाकिस्तान की हुई बेइज्जती : तालिबान ने सैन्य चौकी पर किया कब्जा, पाक सेना ने दी अपनी सफाई

Edited By Mahima,Updated: 31 Dec, 2024 09:36 AM

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पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीमा पर तनाव बढ़ रहा है। तालिबान के लड़ाकों ने पाकिस्तान की एक सैन्य चौकी पर कब्जा कर लिया, जिसके बाद पाकिस्तान ने सफाई दी कि चौकी को हमले से पहले ही खाली कर दिया गया था। इस संघर्ष ने पाकिस्तान के आंतरिक संकट को और...

नेशनल डेस्क: पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच एक बार फिर से तनाव बढ़ गया है। दोनों देशों के बीच सीमा पर होने वाली झड़पें और संघर्ष लगातार बढ़ते जा रहे हैं। अफगानिस्तान के तालिबानी लड़ाके डूरंड लाइन पार करके पाकिस्तान के अंदर घुस रहे हैं और वहां स्थित पाकिस्तानी सैन्य चौकियों पर हमले कर रहे हैं। हाल ही में एक और सनसनीखेज घटना सामने आई, जब तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने पाकिस्तान की एक सैन्य चौकी पर कब्जा कर लिया और इसे लेकर सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ। इस वीडियो में तालिबान के लड़ाके पाकिस्तानी सैन्य चौकी पर ध्वज उखाड़कर अपनी झंडे लहरा रहे हैं। हालांकि, अब पाकिस्तान की सेना ने इस घटना पर अपनी सफाई दी है, जिसमें उन्होंने कहा है कि यह चौकी हमले से पहले ही खाली कर दी गई थी और सैन्यकर्मियों को अन्य स्थानों पर शिफ्ट किया जा चुका था।

पाकिस्तान और तालिबान के बीच बढ़ता तनाव
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के रिश्तों में हमेशा तनाव बना रहता है, लेकिन पिछले कुछ महीनों से तालिबान के हमलों ने इन रिश्तों को और भी गंभीर बना दिया है। पाकिस्तानी सैन्य चौकियों पर तालिबानी लड़ाकों के हमले और उनके द्वारा पाकिस्तानी ध्वज को उखाड़ने की घटनाओं ने पाकिस्तान को बेहद शर्मिंदगी का सामना कराया है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में तालिबान के लड़ाके पाकिस्तानी चौकी पर जश्न मनाते हुए देखे जा सकते हैं, जबकि वे पाकिस्तान के राष्ट्रीय ध्वज को हटाकर टीटीपी का ध्वज लहरा रहे हैं।

वीडियो में यह साफ दिख रहा है कि तालिबान के लड़ाके पूरी तरह से पाकिस्तानी सेना की चौकी पर नियंत्रण बनाए हुए हैं, जिससे यह संदेश जा रहा है कि पाकिस्तान की सेना अपनी चौकियों और क्षेत्रों को बचाने में विफल रही है। हालांकि, पाकिस्तान की सेना ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह चौकी हमले से कुछ समय पहले ही खाली कर दी गई थी और सैनिकों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया गया था। पाकिस्तानी सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "यह चौकी हमले से पहले ही खाली कर दी गई थी। सैन्यकर्मियों को अन्य सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया था। यह कदम केवल बाजौर तक सीमित नहीं था, बल्कि उत्तरी और दक्षिणी वजीरिस्तान में भी इसी तरह के कदम उठाए गए थे।" अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया कि यह प्रक्रिया नियमित रूप से होती है, जब सुरक्षा की स्थिति बिगड़ने का खतरा होता है।

पाकिस्तान की सैन्य स्थिति और तालिबान का खतरा
पाकिस्तान की सैन्य स्थिति लगातार कमजोर होती जा रही है। अफगान तालिबान के पास न केवल अत्याधुनिक हथियार हैं, बल्कि उनकी रणनीतिक स्थिति भी पाकिस्तान के लिए परेशानी का सबब बन चुकी है। तालिबान के पास एके-47, मोर्टार, रॉकेट लॉन्चर जैसे अत्याधुनिक हथियारों का विशाल भंडार है। इसके अलावा, अफगानिस्तान के दुर्गम पहाड़ी इलाकों और गुफाओं से तालिबानी लड़ाके पाकिस्तान में घुसकर हमले करते हैं, जिससे पाकिस्तानी सेना के लिए इन इलाकों में आतंकवादियों का मुकाबला करना बेहद कठिन हो गया है। तालिबान के पास इन छिपने के स्थानों के बारे में गहरी जानकारी है, जिससे वे आसानी से पाकिस्तानी सैनिकों से बच जाते हैं और अचानक हमले करते हैं। पाकिस्तान की सेना को इस रणनीतिक स्थिति का सामना करना एक बड़ी चुनौती बन चुकी है। 

पाकिस्तान का आंतरिक संकट और तालिबान से टकराव
तालिबान के खिलाफ संघर्ष पाकिस्तान के आंतरिक संकट को और बढ़ा रहा है। पाकिस्तान पहले ही आर्थिक संकट, सीपैक प्रोजेक्ट में देरी और बलूचिस्तान में अलगाववादी आंदोलनों जैसी समस्याओं से जूझ रहा है। इन मुद्दों ने पाकिस्तान की सरकार और सेना दोनों को कमजोर किया है। इसके अलावा, शहबाज शरीफ सरकार के सामने विदेशी सहायता, निवेश और व्यापार में लगातार गिरावट जैसी समस्याएं हैं। इन सबके बीच, अफगान तालिबान से बढ़ता संघर्ष पाकिस्तान के लिए और भी बड़ी चुनौती बन चुका है। तालिबान के बढ़ते प्रभाव ने पाकिस्तान को अपनी सीमाओं और आंतरिक सुरक्षा पर पुनः विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है। पाकिस्तान की सेना पहले ही बलूचिस्तान में सक्रिय आतंकवादी समूहों, जैसे कि बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA), के खिलाफ संघर्ष कर रही है। अब तालिबान के साथ संघर्ष ने पाकिस्तानी सेना की स्थिति को और भी कठिन बना दिया है। 

तालिबान की सैन्य शक्ति
तालिबान के पास इस समय लगभग 1,50,000 सक्रिय लड़ाके हैं, जो उसे अपनी सैन्य शक्ति का बड़ा स्रोत प्रदान करते हैं। तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद अपनी सेना को औपचारिक रूप देने के लिए कई सुधार किए हैं। अफगानिस्तान में तालिबान ने एक विशेष बल और आठ इन्फैंट्री कोर के तहत तीन बटालियनों की स्थापना की है। इसके अलावा, तालिबान के पास अत्याधुनिक हथियारों का बड़ा जखीरा है, जिसमें एके-47 राइफल्स, मोर्टार, रॉकेट लॉन्चर और अन्य भारी हथियार शामिल हैं। तालिबान की ताकत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा कबीलाई इलाकों में बसे स्थानीय लोग और उनके लड़ाके हैं, जो तालिबान की विचारधारा से प्रभावित हैं। इसके अलावा, कट्टर धार्मिक संस्थाएं और मदरसे भी तालिबान की मदद करते हैं। पाकिस्तान की सेना और आईएसआई का गुप्त समर्थन भी तालिबान को मजबूत करता है। 

पाकिस्तान और तालिबान के रिश्तों में तनाव
पाकिस्तान और तालिबान के रिश्ते जटिल रहे हैं। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में तालिबान को समर्थन दिया था, लेकिन अब वही तालिबान पाकिस्तान के लिए एक खतरे की तरह उभरा है। पाकिस्तान का आंतरिक असंतोष और अफगान तालिबान से बढ़ते संघर्ष ने यह साबित कर दिया है कि पाकिस्तान की रणनीति ने उसकी सुरक्षा स्थिति को और जटिल बना दिया है। 

 

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