Edited By Parminder Kaur,Updated: 04 Jan, 2025 12:45 PM
सरकार ने शुक्रवार को डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण नियमों का मसौदा जारी किया है। इन नए नियमों में यह स्पष्ट किया गया है कि अगर बच्चे इंटरनेट पर कोई अकाउंट बनाते हैं, तो उन्हें पहले अपने माता-पिता की अनुमति लेनी होगी। इसके अलावा माता-पिता की पहचान और...
नेशनल डेस्क. सरकार ने शुक्रवार को डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण नियमों का मसौदा जारी किया है। इन नए नियमों में यह स्पष्ट किया गया है कि अगर बच्चे इंटरनेट पर कोई अकाउंट बनाते हैं, तो उन्हें पहले अपने माता-पिता की अनुमति लेनी होगी। इसके अलावा माता-पिता की पहचान और उम्र की पुष्टि भी एक प्रमाणपत्र के जरिए की जाएगी, जिसे एक सरकारी एजेंसी द्वारा जारी किया जाएगा।
इन नियमों के तहत किसी भी संस्था को व्यक्तिगत डाटा का उपयोग और प्रसंस्करण (process) केवल तब ही करने की अनुमति होगी जब व्यक्ति ने सहमति प्रबंधक को अपनी अनुमति दे दी हो। सहमति प्रबंधक एक ऐसा व्यक्ति होगा, जो लोगों की सहमति को रिकार्ड करके उसका प्रबंधन करेगा। अगर बच्चों के डाटा को प्रोसेस किया जाता है, तो डिजिटल प्लेटफॉर्म को यह सुनिश्चित करना होगा कि वह व्यक्ति जो माता-पिता के रूप में खुद को प्रस्तुत कर रहा है। वह वास्तव में एक वयस्क है और किसी कानूनी आवश्यकता के तहत उसकी पहचान की जा सकती है।
यह मसौदा नियम अब सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी किया गया है और इस पर 18 फरवरी तक टिप्पणियां ली जाएंगी। मसौदे में कोई दंडात्मक कार्रवाई का उल्लेख नहीं किया गया है, लेकिन नियमों के उल्लंघन पर सहमति प्रबंधक का रजिस्ट्रेशन निलंबित या रद्द किया जा सकता है।
इन नियमों के अनुसार, अगर कोई संस्था किसी व्यक्ति का व्यक्तिगत डाटा एकत्र करती है, तो उसे "डाटा फिड्यूशियरी" कहा जाएगा। डाटा फिड्यूशियरी को यह सुनिश्चित करना होगा कि वह केवल उस समय तक डाटा को रखे, जब तक उस व्यक्ति ने अनुमति दी हो और उसके बाद इसे हटा देना होगा।
डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण अधिनियम 2023 के तहत डाटा फिड्यूशियरी पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। इन नए नियमों में ई-कॉमर्स, इंटरनेट मीडिया और गेमिंग प्लेटफॉर्म्स को डाटा फिड्यूशियरी की श्रेणी में रखा गया है।