30 साल के जवान बेटे को मौत दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे माता-पिता, जानिए क्या है पूरा मामला

Edited By Utsav Singh,Updated: 20 Aug, 2024 08:30 PM

parents are asking for death penalty for their 30 year old son from sc

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने हाल ही में एक दिल दहला देने वाली अपील पर टिप्पणी की, जिसमें एक 30 वर्षीय युवक के लिए इच्छामृत्यु की मांग की गई थी। यह युवक पिछले 11 साल से बिस्तर पर बेसुध पड़ा है और उसके माता-पिता ने सुप्रीम...

नेशनल डेस्क : सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने हाल ही में एक दिल दहला देने वाली अपील पर टिप्पणी की, जिसमें एक 30 वर्षीय युवक के लिए इच्छामृत्यु की मांग की गई थी। यह युवक पिछले 11 साल से बिस्तर पर बेसुध पड़ा है और उसके माता-पिता ने सुप्रीम कोर्ट से उसकी इच्छामृत्यु की अनुमति देने की मांग की थी। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि चूंकि यह युवक 2013 से बिना किसी बाहरी जीवन रक्षक उपकरणों के जीवित है, इसलिए उच्च न्यायालय के उस आदेश में कोई खामी नजर नहीं आती, जिसमें इच्छामृत्यु की मांग को ठुकराया गया था।

SC ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया
इस मामले की सुनवाई के दौरान, जस्टिस चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में पीठ ने इस भावुक अपील को मानवीय दृष्टिकोण से देखा। कोर्ट ने सरकार के अटॉर्नी जनरल (ASG) ऐश्वर्या भाटी से कहा कि वे इस 30 वर्षीय युवक के लिए एक उपयुक्त और सुविधाजनक स्थान की व्यवस्था सुनिश्चित करें। इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी किया है ताकि इस मामले पर और अधिक ध्यान दिया जा सके और युवक की स्थिति के लिए संभावित समाधान खोजा जा सके।

2013 में ऊंचाई से बिस्तर पर पड़ा है
दरअसल यह मामला एक 30 वर्षीय युवक से संबंधित है, जो 2013 में ऊंचाई से गिरने के बाद सिर में गंभीर चोट लगने के कारण बेसुध हो गया था और तब से बिस्तर पर पड़ा है। 63 साल के अशोक राना और 60 साल की निर्मला राना ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी कि उन्हें अपने बेटे की देखभाल में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है और वे अब इस जिम्मेदारी को उठाने में असमर्थ महसूस कर रहे हैं।

उन्हें इस बोझ से मुक्त किया जाए
इस युवा के इलाज में उनका घर, मकान और जमा पूंजी सब कुछ समाप्त हो गया है। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया है कि उन्हें इस बोझ से मुक्त किया जाए और उनके बेटे को जीवन की कठिनाईयों से राहत प्रदान की जाए। उनकी याचिका में उन्होंने बेटे की जिंदगी की नहीं, बल्कि उसकी मृत्यु की गुहार लगाई है। हालांकि, कोर्ट ने इस संवेदनशील मुद्दे पर मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए, ASG ऐश्वर्या भाटी को निर्देश दिया है कि वे युवक की देखभाल की जिम्मेदारी कम करने के लिए संभावनाएं तलाशें। एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि वे शीघ्र ही उचित समाधान के विकल्पों के साथ कोर्ट के समक्ष उपस्थित होंगी।

 

 

 

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!