Edited By Anu Malhotra,Updated: 15 Jul, 2022 06:03 PM
कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने संसद परिसर में धरना, हड़ताल और धार्मिक समारोहों की मनाही से जुड़े, राज्यसभा सचिवालय के एक बुलेटिन का विरोध करते हुए शुक्रवार को आरोप लगाया कि सरकार ‘असंसदीय’ शब्दों की नयी सूची से संसदीय विमर्श पर बुलडोजर चलाने...
नई दिल्ली: कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने संसद परिसर में धरना, हड़ताल और धार्मिक समारोहों की मनाही से जुड़े, राज्यसभा सचिवालय के एक बुलेटिन का विरोध करते हुए शुक्रवार को आरोप लगाया कि सरकार ‘असंसदीय’ शब्दों की नयी सूची से संसदीय विमर्श पर बुलडोजर चलाने के बाद अब नया ‘तुगलकी फरमान’ लेकर आयी है। इस बुलेटिन में कहा गया है कि संसद भवन परिसर का इस्तेमाल धरना, प्रदर्शन, हड़ताल, अनशन या धार्मिक समारोहों के लिये नहीं किया जा सकता।
धरना, प्रदर्शन को लेकर यह बुलेटिन ऐसे समय में सामने आया है जब एक दिन पहले ही लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी असंसदीय शब्दों के संकलन को लेकर कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधा था ।
कांग्रेस महासचिव एवं संसद के उच्च सदन में पार्टी के मुख्य सचेतक जयराम रमेश ने राज्यसभा के इस बुलेटिन को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया, ‘विषगुरू का ताजा प्रहार...धरना मना है। उन्होंने इसके साथ 14 जुलाई का बुलेटिन भी साझा किया।
राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता और राज्यसभा सदस्य मनोज झा ने आरोप लगाया कि असंसदीय शब्दों की नई सूची के माध्यम से संसदीय विमर्श पर बुलडोज़र चलाने के पश्चात अब नया तुगलकी फरमान आया कि आप संसद परिसर में किसी प्रकार का धरना, प्रदर्शन या अनशन आदि नहीं कर सकते। उन्होंने यह भी कहा कि आज़ादी के 75वें वर्ष में यह हो क्या रहा है ? पड़ोस के श्रीलंका से सीखिए हुजूर...जय हिंद।
शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इस बुलेटिन को लेकर सरकार पर तंज कसते हुए ट्वीट किया, क्या अब वे संसद में पूछे जाने वाले प्रश्नों को लेकर भी ऐसा करेंगे? आशा करती हूं कि यह पूछना असंसदीय प्रश्न नहीं है। मानसून सत्र से पहले राज्यसभा के महासचिव पी सी मोदी द्वारा जारी बुलेटिन में कहा गया है कि सदस्य संसद भवन परिसर का इस्तेमाल धरना, प्रदर्शन, हड़ताल, अनशन या धार्मिक समारोहों के लिये नहीं कर सकते।
एक दिन पहले ही, संसद में चर्चा आदि के दौरान सदस्यों द्वारा बोले जाने वाले कुछ शब्दों को असंसदीय शब्दों की श्रेणी में रखे जाने के मुद्दे पर विपक्षी दलों ने सरकार को घेरते हुए कहा था कि सरकार की सच्चाई दिखाने के लिए विपक्ष द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सभी शब्द अब 'असंसदीय' माने जाएंगे। हालांकि, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने स्पष्ट किया कि संसदीय कार्यवाही के दौरान किसी शब्द के प्रयोग को प्रतिबंधित नहीं किया गया है बल्कि उन्हें संदर्भ के आधार पर कार्यवाही से हटाया जाता है तथा सभी सदस्य सदन की मर्यादा को ध्यान में रखते हुए अपने विचार व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र हैं ।