Edited By Mahima,Updated: 25 Nov, 2024 11:34 AM
संसद का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हो गया है, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि जिन्हें जनता ने नकारा है, वे संसद का काम रोक रहे हैं। उन्होंने स्वस्थ चर्चा की जरूरत और नए विधेयकों पर जोर दिया। इस सत्र में 16 विधेयकों...
नई दिल्ली: संसद का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हो गया है, जो 20 दिसंबर तक चलेगा। इस सत्र के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद परिसर से देश को संबोधित किया और विपक्ष पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कुछ लोग राजनीतिक स्वार्थ के लिए संसद के कामकाज में विघ्न डालने का प्रयास कर रहे हैं, जिन्हें जनता ने पहले ही नकार दिया है।
प्रधानमंत्री का विपक्ष पर हमला
पीएम मोदी ने अपनी बात की शुरुआत करते हुए कहा, "जिन्हें जनता ने 80 बार नकारा है, वही लोग संसद के कामकाज को रोकने की कोशिश कर रहे हैं। दुर्भाग्य से कुछ मुट्ठीभर लोग अपने स्वार्थ के लिए संसद की कार्यवाही में रुकावट डाल रहे हैं।" प्रधानमंत्री ने यह बयान उन नेताओं की ओर इशारा करते हुए दिया, जो संसद में हंगामा खड़ा कर रहे हैं और विपक्षी दलों के द्वारा उठाए गए मुद्दों का हवाला देते हुए संसद की कार्यवाही को प्रभावित कर रहे हैं। पीएम मोदी ने आगे कहा, "इस सत्र का माहौल ठंडा रहेगा, क्योंकि यह 2014 का अंतिम कालखंड है। देश 2025 के स्वागत की तैयारी कर रहा है और यह अवसर संविधान की यात्रा के 75वें वर्ष में प्रवेश करने का है, जो लोकतंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।" उनका यह बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि यह सत्र न केवल संसद के लिए, बल्कि देश की राजनीतिक और लोकतांत्रिक यात्रा के लिए भी अहम है।
संसद में स्वस्थ चर्चा की आवश्यकता
प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में स्वस्थ चर्चा की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, "संविधान निर्माताओं ने संविधान बनाने के दौरान एक-एक बिंदु पर विस्तार से चर्चा की थी, तब जाकर हमें इसे प्राप्त किया। संसद उसी संविधान की सबसे महत्वपूर्ण इकाई है। यहां पर स्वस्थ और सार्थक बहस होनी चाहिए, ताकि प्रत्येक सांसद अपने विचार और सुझाव दे सके।" उन्होंने सांसदों से अपील की कि वे संसद की चर्चा में अपना योगदान दें और इसे केवल कुछ विशेष लोगों तक सीमित न रहने दें। मोदी ने यह भी कहा कि नए सांसदों को संसद में बोलने का मौका नहीं मिल पाता है, और यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
नए विधेयकों पर चर्चा की तैयारी
शीतकालीन सत्र के पहले दिन प्रधानमंत्री मोदी ने इस सत्र में पेश होने वाले विधेयकों पर भी प्रकाश डाला। इस सत्र के दौरान सरकार द्वारा कुल 16 विधेयकों पर चर्चा की जाएगी। इनमें से पांच नए विधेयक पेश होंगे, जबकि वक्फ (संशोधन) और अन्य 11 विधेयकों को चर्चा के लिए सूचीबद्ध किया गया है। पीएम मोदी ने स्पष्ट किया कि सरकार इन विधेयकों को जल्द से जल्द पारित करने के लिए तत्पर है।
विपक्षी दलों का विरोध और सत्र की सियासी बिबाद
विपक्षी दलों के तेवर इस समय सख्त हैं और ऐसा प्रतीत होता है कि शीतकालीन सत्र हंगामेदार हो सकता है। विपक्ष ने कई मुद्दों को उठाने की योजना बनाई है, जिनमें महंगाई, बेरोजगारी और देश की आंतरिक सुरक्षा से जुड़ी समस्याएं शामिल हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार इन मुद्दों पर ठोस कदम नहीं उठा रही है और संसद में केवल अपनी योजनाओं को मजबूती से लागू करने की कोशिश कर रही है।
संसद का महत्व और विपक्ष की चुनौती
प्रधानमंत्री मोदी ने संसद के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह केवल एक विधायिका नहीं, बल्कि लोकतंत्र का मंदिर है। यहां पर हर सांसद को अपनी बात रखने का अधिकार है, और यदि कुछ सांसदों ने यहां व्यवधान डालने की कोशिश की, तो यह लोकतंत्र के खिलाफ होगा। उनका यह बयान विपक्षी नेताओं के लगातार हंगामे और कार्यवाही में रुकावट डालने के संदर्भ में था। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि देश की जनता ने हमेशा ऐसे लोगों को सजा दी है, जो केवल अपनी राजनीति के लिए संसद का काम रोकते हैं। "जब जनता का आक्रोश बढ़ता है, तो वही लोग चुनावों में पराजित हो जाते हैं," पीएम मोदी ने कहा।
नए विधेयकों पर सरकार की योजना
इस शीतकालीन सत्र में जिन विधेयकों पर चर्चा होने की संभावना है, उनमें से प्रमुख विधेयक वक्फ (संशोधन) विधेयक है, जो वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन से जुड़े विवादों को सुलझाने के लिए लाया जाएगा। इसके अलावा, अन्य विधेयक भी देश की सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था को सुधारने के उद्देश्य से पेश किए जाएंगे। सरकार का लक्ष्य है कि इन विधेयकों को समयबद्ध तरीके से पारित किया जाए।
समाप्ति में, शीतकालीन सत्र का महत्व
कुल मिलाकर, शीतकालीन सत्र की शुरुआत के साथ ही राजनीतिक तापमान बढ़ चुका है। जहां एक ओर सरकार नए विधेयकों को लेकर सक्रिय है, वहीं विपक्ष भी सरकार पर दबाव बनाने के लिए तैयार है। यह सत्र न केवल विधायी कार्यों के लिए, बल्कि आगामी चुनावों से पहले राजनीतिक समीकरणों को लेकर भी महत्वपूर्ण होगा। सभी की निगाहें अब इस बात पर टिकी हैं कि इस सत्र में संसद में क्या नए मोड़ आते हैं और क्या सरकार विपक्षी दलों के विरोध को पार कर इन विधेयकों को पास करवा पाएगी।