Edited By Rohini Oberoi,Updated: 24 Mar, 2025 04:12 PM

कोरोना महामारी ने लोगों के फेफड़ों को कमजोर किया है लेकिन एडवांस इलाज और दवाओं के कारण टीबी के मरीजों का इलाज अब पहले से कहीं ज्यादा आसान हो गया है। 20 साल पहले जहां टीबी के कारण 100 में से 40 से 50 मरीजों की मौत हो जाती थी वहीं अब ये आंकड़ा घटकर...
नेशनल डेस्क। कोरोना महामारी ने लोगों के फेफड़ों को कमजोर किया है लेकिन एडवांस इलाज और दवाओं के कारण टीबी के मरीजों का इलाज अब पहले से कहीं ज्यादा आसान हो गया है। 20 साल पहले जहां टीबी के कारण 100 में से 40 से 50 मरीजों की मौत हो जाती थी वहीं अब ये आंकड़ा घटकर महज 3 रह गया है। इसका कारण एडवांस दवाओं का इस्तेमाल और बेहतर इलाज है जिससे टीबी के मरीजों की जीवन expectancy बढ़ गई है।
टीबी की जांच में हुई तेजी और दवाओं की उपलब्धता अब मेडिकल कॉलेजों, जिला अस्पतालों और सीएचसी में टीबी की पहचान जल्दी होने लगी है। नियमित दवाओं के सेवन से मरीज तय समय में ठीक हो रहे हैं। केंद्र सरकार की तरफ से अब सरकारी अस्पतालों को नियमित दवाओं की सप्लाई सुनिश्चित की गई है जिससे मरीजों को पूरा डोज मिल रहा है। पिछले साल दवाओं की सप्लाई में कमी से मरीजों में रजिस्टेंस पैदा हो रहा था लेकिन अब यह समस्या कम हो गई है।
वर्ल्ड टीबी डे यानि कि 24 मार्च को वर्ल्ड टीबी डे मनाया जा रहा है। इस अवसर पर बीमारी के बदलते ट्रेंड और दवाओं की उपलब्धता पर विशेषज्ञों से चर्चा की गई। विशेषज्ञों के अनुसार टीबी की पहचान के लिए सीबी-नॉट जांच भी अब उपलब्ध हो रही है और दवाएं नियमित रूप से मिल रही हैं।
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टीबी के मरीजों को 6 माह की दवा मुफ्त केंद्र सरकार टीबी के मरीजों को 6 महीने के कोर्स की दवाएं मुफ्त प्रदान करती है। इनमें तीन दवाओं का संयोजन होता है जो आइसोनाइजिड, पैराजिनामाइड और रिफापिंसिन होते हैं। यह संयोजन टीबी के इलाज में बेहद प्रभावी है। अगर नियमित दवा नहीं मिलती तो मरीज एमडीआर टीबी के शिकार हो सकते हैं जो सामान्य टीबी से कहीं ज्यादा खतरनाक होता है और एक साथ 10 से ज्यादा लोगों को संक्रमित कर सकता है।
टीबी के लक्षण टीबी के मुख्य लक्षण निम्नलिखित होते हैं:
➤ तीन हफ्तों से ज्यादा खांसी रहना।
➤ शाम को नियमित बुखार आना।
➤ छाती में दर्द होना।
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➤ वजन घटना।
➤ भूख में कमी आना।
➤ बलगम के साथ खून आना।
➤ रात में पसीना आना।
➤ लगातार थकान महसूस होना।
➤ सांस लेने में तकलीफ होना।
विशेषज्ञों की राय
डॉ. आरके पंडा एचओडी चेस्ट नेहरू मेडिकल कॉलेज के अनुसार, "अब टीबी के मरीजों को नियमित दवाएं मिल रही हैं। 20 साल पहले के मुकाबले अब टीबी से होने वाली मौतें कम हो गई हैं। एडवांस दवाओं के कारण मरीजों का जीवन बढ़ गया है। टीबी के मरीजों को दवा का पूरा डोज लेना बहुत जरूरी है तभी पूरी तरह से इलाज होगा।"
वहीं डॉ. कृष्णकांत साहू एचओडी कार्डियक सर्जरी नेहरू मेडिकल कॉलेज ने कहा, "टीबी से फेफड़ों में छेद या फोड़ा होने पर ऑपरेशन की जरूरत हो सकती है। टीबी के 60 प्रतिशत मरीजों को हार्ट संबंधी समस्याएं होती हैं जैसे पेरीकार्डिटिस जो हार्ट के चारों ओर की झिल्ली में सूजन होती है। इसके लक्षण दिखते ही इलाज कराना जरूरी है।"