भारत में फलों और सब्जियों की प्रति व्यक्ति उपलब्धता बढ़ी - रिपोर्ट

Edited By Rahul Rana,Updated: 15 Dec, 2024 04:02 PM

per capita availability of fruits and vegetables increased in india  report

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में पिछले 10 सालों में फलों और सब्जियों की प्रति व्यक्ति उपलब्धता में काफी बढ़ोतरी हुई है। 2024 में फलों की उपलब्धता में 7 किलोग्राम और सब्जियों की उपलब्धता में 12 किलोग्राम का इजाफा हुआ...

नेशनल डेस्क। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में पिछले 10 सालों में फलों और सब्जियों की प्रति व्यक्ति उपलब्धता में काफी बढ़ोतरी हुई है। 2024 में फलों की उपलब्धता में 7 किलोग्राम और सब्जियों की उपलब्धता में 12 किलोग्राम का इजाफा हुआ है।

भारत में फलों और सब्जियों का उत्पादन

रिपोर्ट के मुताबिक भारत में प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष लगभग 227 किलोग्राम फल और सब्जियां उगाई जाती हैं जबकि प्रति व्यक्ति की आवश्यकता केवल 146 किलोग्राम है। इसका मतलब है कि भारत में फलों और सब्जियों का उत्पादन अपनी आवश्यकता से कहीं अधिक हो रहा है।

कुछ राज्यों में फल और सब्जी के उत्पादन में बढ़ोतरी देखी गई है जैसे मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब और जम्मू-कश्मीर। हालांकि कुछ पूर्वोत्तर राज्यों में प्रति व्यक्ति उत्पादन में गिरावट भी दर्ज की गई है।

नुकसान और उत्पादन पर मौसम का प्रभाव

हालांकि भारत में अधिक उत्पादन हो रहा है लेकिन रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 30 से 35 प्रतिशत फल और सब्जियां जल्दी खराब होने वाली होती हैं। इसके अलावा, कटाई, भंडारण, परिवहन और पैकेजिंग के दौरान भी इनका एक हिस्सा नष्ट हो जाता है जिससे खपत पर असर पड़ता है।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के अनुसार हाल के वर्षों में मौसम की खराब स्थिति जैसे गर्मी और शीतलहर ने कृषि उत्पादन पर नकारात्मक असर डाला है। उदाहरण के लिए गेहूं की फसल पर 1 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ने से 3-4 प्रतिशत पैदावार में कमी हो सकती है।

खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत में नवंबर 2024 में खाद्य मुद्रास्फीति में काफी गिरावट आई है। नवंबर में यह 5.48 प्रतिशत हो गई जो अक्टूबर के 6 प्रतिशत से कम है। इसका प्रमुख कारण सब्जियों की कीमतों में तेजी से आई गिरावट थी। अक्टूबर में जहां सब्जियों की मुद्रास्फीति 42.2 प्रतिशत थी वहीं नवंबर में यह घटकर 29.3 प्रतिशत हो गई।

हालांकि नवंबर में प्रोटीन मुद्रास्फीति में कुछ वृद्धि देखी गई जिससे कुल मुद्रास्फीति में थोड़ी बढ़ोतरी हुई। फिर भी रिपोर्ट में अनुमान है कि 2025 के वित्तीय वर्ष में खाद्य मुद्रास्फीति औसतन 4.8 प्रतिशत रहेगी जो थोड़ी सी वृद्धि की ओर संकेत करता है।

राज्यों में मुद्रास्फीति में गिरावट

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि भारत के राज्यों में मुद्रास्फीति का स्तर 4 प्रतिशत के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है। पिछले दशक में कम आय वाले राज्यों के मुकाबले मध्यम और उच्च आय वाले राज्यों में खाद्य मुद्रास्फीति में तेज गिरावट आई है। इसका मुख्य कारण यह है कि कम आय वाले राज्य से श्रमिक उच्च आय वाले राज्यों में काम की तलाश में जाते हैं जिससे वहां की मुद्रास्फीति बढ़ जाती है।

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि गैर-कृषि मजदूरों की मजदूरी में वृद्धि का खाद्य मुद्रास्फीति पर बहुत कम असर पड़ा है। ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरी बढ़ने से खाद्य कीमतों में वृद्धि पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा है।

कुल मिलाकर भारत में फलों और सब्जियों का उत्पादन बढ़ा है, लेकिन इसके नुकसान और खराब होने की समस्या अभी भी बनी हुई है। इसके साथ ही, मुद्रास्फीति में हाल की गिरावट से उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले वर्षों में खाद्य मुद्रास्फीति पर काबू पाया जा सकता है।

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