Edited By Rahul Singh,Updated: 03 Jan, 2025 02:28 PM
सीबीआई की अदालत ने केरल में कासरगोड जिले के पेरिया में पांच साल पहले युवा कांग्रेस के दो कार्यकर्ताओं की हत्या किए जाने के मामले में शुक्रवार को 10 लोगों को दोहरे आजीवन कारावास की सजा सुनाई, जबकि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के एक पूर्व...
कोच्चि : केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की अदालत ने केरल में कासरगोड जिले के पेरिया में पांच साल पहले युवा कांग्रेस के दो कार्यकर्ताओं की हत्या किए जाने के मामले में शुक्रवार को 10 लोगों को दोहरे आजीवन कारावास की सजा सुनाई, जबकि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के एक पूर्व विधायक सहित चार अन्य को पांच साल कारावास की सजा सुनाई गई। अदालत ने पिछले शनिवार को उन्हें दोषी ठहराया था।
आरोपियों ने फैसले से पहले अदालत से कम सजा की अपील की, यह कहते हुए कि वे आदतन अपराधी नहीं हैं और उन्होंने अपने व्यवहार में सुधार लाने का वादा किया। वहीं, सीबीआई ने आरोपियों के लिए मृत्युदंड की सजा की मांग की, यह कहते हुए कि अपराध की गंभीरता को देखते हुए यही सबसे उपयुक्त सजा है।
5 साल बाद मिला न्याय
यह मामला 17 फरवरी 2019 का है, जब युवा कांग्रेस कार्यकर्ता 24 वर्षीय सरथ लाल और 19 वर्षीय कृपेश की हत्या कर दी गई थी। हत्या को राजनीतिक प्रेरणा से किया गया माना गया है। आरोप है कि इस हत्याकांड में सीपीआई(एम) कार्यकर्ताओं का हाथ था। इस घटना ने केरल में बड़ा विवाद खड़ा किया था।
शुरुआत में बेकल पुलिस और बाद में क्राइम ब्रांच ने इस मामले की जांच की, लेकिन पीड़ितों के माता-पिता ने इस मामले को सीबीआई को सौंपने की मांग की। केरल सरकार ने सीबीआई जांच का विरोध किया, लेकिन हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अपील खारिज होने के बाद मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई।
सीबीआई ने 14 आरोपियों को दोषी ठहराया, 10 को बरी किया
पिछले साल 28 दिसंबर को विशेष सीबीआई अदालत ने इस मामले में 24 आरोपियों में से 14 को दोषी ठहराया, जबकि 10 अन्य आरोपियों को बरी कर दिया। सीबीआई ने 10 नए आरोपियों की पहचान की थी, जिनके नाम जांच के दौरान सामने आए थे। 10 दिसंबर 2020 को सीबीआई ने इस मामले को अपने हाथ में लिया और 24 आरोपियों के खिलाफ जांच शुरू की। सीबीआई ने अपनी चार्जशीट दिसंबर 2021 में दायर की थी। कुछ आरोपियों को उच्च सुरक्षा वाली जेलों में रखा गया था।
22 महीने चली लंबी कानूनी लड़ाई
यह मुकदमा लगभग 22 महीने पहले शुरू हुआ था और इसे दो न्यायाधीशों के तहत चलाया गया। विशेष न्यायाधीश शेषाद्रिनाथन ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया। अभियोजन पक्ष ने इस केस में 154 गवाहों, 495 दस्तावेजों और 85 प्रमाणों को अदालत में पेश किया। बचाव पक्ष ने अपनी दलीलें सीके श्रीधरन और निकोलस जोसफ के माध्यम से दीं।