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BJP President: बीजेपी अध्यक्ष का लिफाफा देते हुए फोटो वायरल, मचा राजनीतिक बवाल

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 12 Apr, 2025 01:18 PM

photo of bjp mp president giving envelope at engagement goes viral

मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले में नाबालिग बच्ची की सगाई को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल, बीजेपी जिलाध्यक्ष ज्ञानसिंह गुर्जर का एक फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है जिसमें वह एक नाबालिग बच्ची को शगुन का लिफाफा दे रहे हैं।

नेशलन डेस्क: मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले में नाबालिग बच्ची की सगाई को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल, बीजेपी जिलाध्यक्ष ज्ञानसिंह गुर्जर का एक फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है जिसमें वह एक नाबालिग बच्ची को शगुन का लिफाफा दे रहे हैं। इस फोटो के वायरल होते ही राजनीतिक बवाल मच गया है। कांग्रेस ने इस घटना पर बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाए हैं और इसे बाल विवाह को बढ़ावा देने जैसा कदम बताया है।

कांग्रेस ने बीजेपी पर उठाए सवाल

कांग्रेस पार्टी ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि एक तरफ राज्य सरकार बाल विवाह को रोकने के लिए अभियान चला रही है और दूसरी ओर बीजेपी के नेता नाबालिग बच्चों के सगाई समारोह में शामिल होकर गलत संदेश दे रहे हैं। कांग्रेस का कहना है कि इस तरह की घटनाएं समाज में गलत संस्कार और कुप्रथा को बढ़ावा देती हैं, और यह भविष्य में बाल विवाह को सामान्य बनाने की ओर बढ़ने वाला कदम हो सकता है। कांग्रेस नेता सुमित्रा देवी ने कहा, "एक ओर सरकार बाल विवाह रोकने के लिए काम कर रही है, वहीं दूसरी ओर बीजेपी के नेता इस तरह के आयोजनों में शामिल हो रहे हैं। यह दोहरे मानदंड को दर्शाता है।"

बीजेपी का पक्ष: सामाजिक परंपरा के मुताबिक सगाई

वहीं, बीजेपी नेता ज्ञानसिंह गुर्जर ने इस आरोप का जवाब देते हुए कहा कि सगाई और शादी दो अलग-अलग बातें हैं। उनका कहना था कि यह एक सामाजिक रीति-रिवाज के तहत किया गया था। गुर्जर ने कहा, "हमारे समाज में सगाई करना एक पारंपरिक कदम है और यह बाल विवाह नहीं है। जब कोई परिवार बच्चे की सगाई करता है, तो यह एक शुभ कार्य होता है और शादी तो बालिग होने के बाद ही होगी।" गुर्जर ने यह भी कहा कि सगाई केवल एक सामाजिक अनुष्ठान है और शादी एक अलग प्रक्रिया है, जो कि बच्चे के परिपक्व होने के बाद ही की जाती है।

सगाई और शादी के बीच फर्क

ज्ञानसिंह गुर्जर ने कहा कि सगाई और शादी में बड़ा फर्क है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सगाई सिर्फ एक पारिवारिक और सांस्कृतिक परंपरा है। समाज में कई बार, खासकर जब किसी लड़के और लड़की के बीच अच्छे रिश्ते की खोज में दिक्कत आती है, तो परिवार पहले सगाई कर लेते हैं। यह कदम शादी से पहले का एक पारंपरिक आयोजन होता है, जो समय आने पर शादी में बदल सकता है। गुर्जर ने कहा कि सगाई की प्रक्रिया बाल विवाह को बढ़ावा नहीं देती और यह समाज में एक सामान्य परंपरा के तौर पर मानी जाती है।

कांग्रेस ने बीजेपी पर फिर किया हमला

कांग्रेस पार्टी इस पूरे मामले को लेकर बीजेपी को घेरते हुए कह रही है कि अगर सरकार बाल विवाह पर सख्ती दिखा रही है, तो बीजेपी के नेता इस तरह के आयोजनों में क्यों शामिल हो रहे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, "यह बीजेपी की धोखाधड़ी है, जो एक ओर तो बाल विवाह के खिलाफ कानून बनाने की बात करती है और दूसरी ओर समाज में इसे बढ़ावा देने वाली घटनाओं को अंजाम देती है।" कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी के इस कदम से समाज में गलत संदेश जाएगा और युवाओं को यह लगता है कि नाबालिगों की सगाई भी कोई बुरी बात नहीं है, जबकि यह अवैध है और समाज के लिए घातक है।

बीजेपी की सफाई: समाजिक रीति-रिवाजों का पालन किया

ज्ञानसिंह गुर्जर ने कांग्रेस के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि यह सगाई पारंपरिक रीति-रिवाजों के तहत की गई थी। उनके अनुसार, समाज में इस तरह के कार्यक्रम होते रहते हैं और इनका मकसद केवल खुशियां मनाना होता है। उन्होंने आगे कहा कि, "हमने हमेशा अपनी संस्कृति और परंपराओं का सम्मान किया है और आगे भी ऐसा ही करेंगे।"
गुरुवार को ज्ञानसिंह गुर्जर की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जिसमें वह एक नाबालिग बच्ची को शगुन का लिफाफा दे रहे थे। यह तस्वीर जैसे ही वायरल हुई, कांग्रेस ने इसे बाल विवाह के प्रोत्साहन के रूप में देखा और बीजेपी पर हमला बोल दिया।

 

 

 

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