Edited By Anu Malhotra,Updated: 25 Aug, 2024 06:14 PM
अगस्त महीने में जहां त्योहार शुरू हो जाते है वहीं सितंबर महीने में श्राद्ध आरंभ हो जाते है। बता दें कि पितृ पक्ष 2024 की शुरुआत 18 सितंबर 2024 से होगी और इसका समापन 2 अक्टूबर 2024 को होगा। इस अवधि के दौरान लोग अपने पूर्वजों की आत्माओं की शांति के...
नेशनल डेस्क: अगस्त महीने में जहां त्योहार शुरू हो जाते है वहीं सितंबर महीने में श्राद्ध आरंभ हो जाते है। बता दें कि पितृ पक्ष 2024 की शुरुआत 18 सितंबर 2024 से होगी और इसका समापन 2 अक्टूबर 2024 को होगा। इस अवधि के दौरान लोग अपने पूर्वजों की आत्माओं की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म करते हैं।
अपने पूर्वज पितरों के प्रति श्रद्धा भावना रखते हुए आश्विन कृष्ण पक्ष में पितृ- वैसे तर्पण एवं श्राद्धकर्म करना नितान्त आवश्यक है। इससे स्वास्थ्य, समृद्धि, आयु, सुख- के लि शान्ति, वंशवृद्धि एवं उत्तम सन्तान की प्राप्ति होती है। श्रद्धापूर्वक किए जाने के कारण प्रदोष ही इसका नाम 'श्राद्ध' है। इस बात का भी ध्यान रहे कि श्राद्धकृत्य 'अपराह्णकाल' व्रती व्यापिनी तिथि में किए जाते हैं। आईए जानते है इस बार श्राद्ध कब और किस दिन आ रहे है।
पितृ पक्ष 2024 का समय और मुहूर्त:
आरंभ: 17 सितंबर 2024 (भाद्रपद पूर्णिमा) 11:45 पर शुरू होगी
समापन: 2 अक्टूबर 2024 (अमावस्या)
पितृ पक्ष 2024 श्राद्ध तिथि
पूर्णिमा श्राद्ध : 17 सितंबर 2024, मंगलवार
प्रतिपदा श्राद्ध : 18 सितंबर 2024, बुधवार
द्वितीया श्राद्ध : 19 सितंबर 2024, गुरुवार
तृतीया श्राद्ध : 20 सितंबर 2024, शुक्रवार
चतुर्थी श्राद्ध : 21 सितंबर 2024, शनिवार
पंचमी श्राद्ध : 22 सितंबर 2024, रविवार
षष्ठी एवं सप्तमी श्राद्ध : 23 सितंबर 2024, सोमवार
अष्टमी श्राद्ध : 24 सितंबर 2024, मंगलवार
नवमी श्राद्ध : 25 सितंबर 2024, बुधवार
दशमी श्राद्ध : 26 सितंबर 2024, गुरुवार
एकादशी श्राद्ध : 27 सितंबर 2024, शुक्रवार
द्वादशी श्राद्ध : 29 सितंबर 2024, रविवार
त्रयोदशी श्राद्ध : 30 सितंबर 2024, सोमवार
चतुर्दशी श्राद्ध : 1 अक्टूबर 2024, मंगलवार
सर्वपितृ अमावस्या : 2 अक्टूबर 2024, बुधवार
पितृ पक्ष के प्रमुख अनुष्ठान:
तर्पण: पितरों को जल अर्पित करके उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। यह अनुष्ठान घर या पवित्र नदियों के किनारे किया जाता है।
पिंडदान: चावल, जौ, तिल, कुशा और गंगाजल का मिश्रण करके पिंड बनाए जाते हैं, जिन्हें पितरों को अर्पित किया जाता है। यह अनुष्ठान पवित्र स्थानों पर या घर में किया जा सकता है।
श्राद्ध: यह सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान है जिसमें पितरों के लिए विशेष भोजन तैयार किया जाता है और उन्हें अर्पित किया जाता है। इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है और दान दिया जाता है।
दान: पितृ पक्ष में ब्राह्मणों, गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और धन का दान देना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से पितरों की आत्मा संतुष्ट होती है।
श्राद्ध तिथियां और संबंधित कर्म:
17 सितंबर 2024 (भाद्रपद पूर्णिमा): पूर्णिमा श्राद्ध, विशेष रूप से उन पितरों के लिए जो पूर्णिमा के दिन दिवंगत हुए हों।
18 सितंबर 2024: प्रतिपदा श्राद्ध, माता-पिता के श्राद्ध के लिए।
2 अक्टूबर 2024 (अमावस्या): सर्व पितृ अमावस्या या महालया अमावस्या, यह दिन उन सभी पितरों के लिए समर्पित होता है जिनके श्राद्ध की तिथि ज्ञात नहीं है।