Edited By Utsav Singh,Updated: 19 Nov, 2024 04:20 PM
भारत सरकार की पहल जैसे 'मेक इन इंडिया' और उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं के तहत विभिन्न क्षेत्रों में निवेशकों को आकर्षित करने में मदद मिल रही है, यह कहना है उद्योग संगठन सीआईआई (कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री) का।
नेशनल डेस्क : भारत सरकार की पहल जैसे 'मेक इन इंडिया' और उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं के तहत विभिन्न क्षेत्रों में निवेशकों को आकर्षित करने में मदद मिल रही है, यह कहना है उद्योग संगठन सीआईआई (कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री) का।
CII की ओर से केंद्रीय मंत्री को पत्र
सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बैनर्जी ने 5 नवंबर को वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर कहा कि सरकार द्वारा बुनियादी ढांचे में किए गए निवेश- जैसे सड़कें, रेलवे और बंदरगाहों में सुधार- घरेलू उद्योग को और अधिक प्रतिस्पर्धी बना रहे हैं।
नीति में बदलाव और वैश्विक हालात का फायदा
पत्र में यह भी उल्लेख किया गया कि भारत में नीति में यह बदलाव उस समय हुआ है जब वैश्विक भौगोलिक परिस्थितियाँ भी भारत के पक्ष में हो गई हैं। कई वैश्विक कंपनियां अब अपनी भौगोलिक स्थिति का विविधीकरण करने के लिए भारत में निवेश करने को तैयार हैं।
विदेशी निवेश में वृद्धि
पत्र में कहा गया कि 2014-15 में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) 45.14 अरब डॉलर था, जो 2023-24 में बढ़कर 70.95 अरब डॉलर हो गया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि विदेशी निवेशक भारत में निवेश करने के लिए अधिक इच्छुक हो रहे हैं। PLI योजनाओं ने भी इस प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाई है।
भारत के निर्माण क्षेत्र में तेजी से विस्तार
सीआईआई ने यह भी बताया कि भारत के निर्माण क्षेत्र में कई क्षेत्रों- जैसे ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी, रसायन, शिपिंग, रेलवे आदि में तेजी से विकास हो रहा है और उत्पादन क्षमता बढ़ रही है।
मेक इन इंडिया योजना की सफलता
सीआईआई के पत्र में कहा गया है, "आप (मंत्री) ने मेक इन इंडिया पहल के हर पहलू को बहुत समझदारी, अभिनव नीतियों और शानदार कार्यान्वयन के साथ संबोधित किया है। चाहे वह व्यापार करने में आसानी हो, लॉजिस्टिक्स और कनेक्टिविटी, निवेश प्रोत्साहन, या विदेश नीति के मोर्चे पर हो।"
इस पत्र से यह साफ हो रहा है कि भारत की सरकार की पहल और सही नीतियों के कारण, देश में विदेशी निवेश की मात्रा बढ़ी है और भारत की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता में सुधार हुआ है। इससे भारत को एक मजबूत वैश्विक आर्थिक स्थिति में स्थापित करने में मदद मिल रही है।