Edited By Parminder Kaur,Updated: 08 Nov, 2024 02:19 PM
केंद्र सरकार ने मंगलवार को बताया कि पीएम ई-ड्राइव योजना के तहत इलेक्ट्रिक वाहन (EV) की बिक्री में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है, जो EV के अपनाने की बढ़ती गति को दर्शाती है। इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्रमोशन स्कीम (EMPS) और पीएम ई-ड्राइव योजनाओं जैसे पहलों...
नेशनल डेस्क. केंद्र सरकार ने मंगलवार को बताया कि पीएम ई-ड्राइव योजना के तहत इलेक्ट्रिक वाहन (EV) की बिक्री में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है, जो EV के अपनाने की बढ़ती गति को दर्शाती है। इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्रमोशन स्कीम (EMPS) और पीएम ई-ड्राइव योजनाओं जैसे पहलों के तहत 2024-25 के दौरान इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स (e-2W) की बिक्री 5,71,411 यूनिट तक पहुंच गई है। इसी अवधि में इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर्स (e-3W) की बिक्री 1,164 यूनिट रही, जिसमें e-रिक्शा और e-कार्ट शामिल हैं। जबकि L5 श्रेणी के इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर्स की बिक्री 71,501 यूनिट तक पहुंची।
योजना की मंजूरी और लक्ष्य
केंद्रीय कैबिनेट द्वारा हाल ही में स्वीकृत इस योजना का वित्तीय व्यय 10,900 करोड़ रुपए है। यह योजना 1 अक्टूबर से लागू हो गई है और 31 मार्च 2026 तक प्रभावी रहेगी। केंद्रीय भारी उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा- "इस योजना का मुख्य उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) के अपनाने में तेजी लाना, आवश्यक चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास करना और देशभर में एक मजबूत EV मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम स्थापित करना है।"
मुख्य उद्देश्य
इस योजना का उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए upfront इंसेंटिव (प्रोत्साहन) देना और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को बढ़ावा देना है। इसके साथ ही योजना का लक्ष्य परिवहन से जुड़े पर्यावरणीय प्रभाव को कम करना और वायु गुणवत्ता में सुधार करना है। यह योजना Aatmanirbhar Bharat (आत्मनिर्भर भारत) पहल के तहत एक प्रतिस्पर्धी और प्रभावी EV मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई है। फेज्ड मैन्युफैक्चरिंग प्रोग्राम (PMP) के तहत घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना और EV सप्लाई चेन को मजबूत करना इस योजना का प्रमुख उद्देश्य है।
2030 तक का लक्ष्य
मंत्रालय ने कहा कि यह योजना भारत के नेट-जीरो लक्ष्य (2070 तक) की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और यह EV अपनाने के राष्ट्रीय प्रयासों को मजबूत करेगी।
E-2W और E-3W के लिए इंसेंटिव
इस योजना के तहत लगभग 24.79 लाख इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स (e-2Ws) को प्रोत्साहित किया जाएगा। केवल उन e-2Ws को ही यह इंसेंटिव मिलेगा, जो उन्नत बैटरियों से लैस हैं। योजना के तहत वाणिज्यिक और निजी दोनों प्रकार के रजिस्टर्ड e-2Ws को लाभ मिलेगा। योजना के तहत लगभग 3.2 लाख इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर्स (e-3Ws) को भी प्रोत्साहित किया जाएगा, जिसमें रजिस्टर्ड e-रिक्शा/e-कार्ट या एल5 श्रेणी के वाहन शामिल हैं।
ई-एंबुलेंस और ई-ट्रक के लिए प्रोत्साहन
योजना के तहत ई-एंबुलेंस के लिए 500 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है। इसके अलावा योजना का उद्देश्य CO2 उत्सर्जन को कम करने के लिए इलेक्ट्रिक ट्रकों को बढ़ावा देना और उन्हें भविष्य में एक प्रमुख लॉजिस्टिक्स समाधान के रूप में स्थापित करना है। इसके लिए 500 करोड़ रुपए का फंड रखा गया है।
इलेक्ट्रिक बसों के लिए बजट
राज्य परिवहन उपक्रमों (STUs)/ सार्वजनिक परिवहन एजेंसियों द्वारा 14,028 इलेक्ट्रिक बसों की खरीद के लिए 4,391 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है।
चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए निवेश
योजना का एक प्रमुख हिस्सा चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास है। इस योजना के तहत 22,100 फास्ट चार्जर्स e-4Ws के लिए, 1,800 चार्जर्स e-बसों के लिए और 48,400 चार्जर्स e-2Ws और e-3Ws के लिए लगाए जाएंगे। ये चार्जिंग पॉइंट्स प्रमुख शहरों में और उन हाइवे पर स्थापित किए जाएंगे जहां EVs की संख्या अधिक है। चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए कुल 2,000 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है।
टेस्टिंग एजेंसियों के उन्नयन के लिए बजट
मंत्रालय के तहत टेस्टिंग एजेंसियों के उन्नयन के लिए 780 करोड़ रुपए का बजट भी मंजूर किया गया है।