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PM E-DRIVE योजना से इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री में हुई वृद्धि, जानें क्या है इसके मुख्य तथ्य

Edited By Mahima,Updated: 06 Dec, 2024 02:09 PM

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प्रधानमंत्री ई-ड्राइव योजना के तहत भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। इस योजना का उद्देश्य इलेक्ट्रिक गाड़ियों को बढ़ावा देना, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारना और प्रदूषण में कमी लाना है। किफायती EVs की बढ़ती मांग और...

नेशनल डेस्क: देश में इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की बिक्री में हाल ही में शानदार उछाल देखा गया है। इस सफलता का श्रेय प्रधानमंत्री ई-ड्राइव योजना को जाता है, जो देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए 1 अक्टूबर, 2024 से लागू हुई। यह योजना 31 मार्च, 2026 तक प्रभावी रहेगी और इसका उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने में तेजी लाना, बुनियादी ढांचे का विकास करना और घरेलू इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना है।

क्या है PM E-DRIVE योजना का उद्देश्य 
प्रधानमंत्री ई-ड्राइव योजना का मुख्य उद्देश्य देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद और उपयोग को प्रोत्साहित करना है। योजना के तहत सरकार इलेक्ट्रिक गाड़ियों की उपलब्धता बढ़ाने के साथ-साथ चार्जिंग स्टेशनों का जाल भी बिछाने की योजना बना रही है, ताकि लोग बिना किसी परेशानी के इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग कर सकें। इसके अलावा, यह योजना पेट्रोल और डीजल पर निर्भरता को कम करने, प्रदूषण को नियंत्रित करने और देश में स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम है। हाल ही में PIB इंडिया द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार, इस योजना के प्रभाव से देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में आश्चर्यजनक वृद्धि हुई है। खासकर 2024-25 के दौरान, इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स की बिक्री में 5,71,411 यूनिट्स की वृद्धि हुई है, जो कि पिछले वर्षों की तुलना में काफी ज्यादा है। इसी दौरान, ई-रिक्शा और ई-कार्ट सहित इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर्स की बिक्री भी 1,164 यूनिट्स तक पहुंच गई, और L5 कैटेगरी के थ्री-व्हीलर्स की 71,501 यूनिट्स की बिक्री हुई।

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इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती लोकप्रियता
पीएम ई-ड्राइव योजना ने इलेक्ट्रिक वाहनों को और अधिक आकर्षक बना दिया है। देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों के प्रति उपभोक्ताओं का रुझान बढ़ता जा रहा है। खासतौर पर किफायती इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बढ़ती उपलब्धता ने लोगों को पेट्रोल और डीजल गाड़ियों की बजाय इलेक्ट्रिक गाड़ियों को अपनाने के लिए प्रेरित किया है। वर्तमान में, टाटा और एमजी मोटर जैसी कंपनियां सबसे सस्ती इलेक्ट्रिक गाड़ियों की पेशकश कर रही हैं। इस साल के अंत तक कई और किफायती इलेक्ट्रिक कारों की लॉन्चिंग की उम्मीद जताई जा रही है। इसके अलावा, मारुति सुजुकी भी अपनी नई इलेक्ट्रिक कार को 2025 के ऑटो एक्सपो में पेश करने की योजना बना रही है। इससे उम्मीद है कि किफायती और स्मार्ट इलेक्ट्रिक वाहनों के विकल्प बढ़ेंगे, जो आम आदमी के बजट में फिट हो सकेंगे।

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चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी
हालांकि, इलेक्ट्रिक गाड़ियों के बढ़ते चलन के बावजूद, देश में चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। आज के समय में जहां पेट्रोल पंप हर 2-3 किलोमीटर की दूरी पर मिल जाते हैं, वहीं इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए चार्जिंग स्टेशन पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं हैं। इसके अलावा, अधिकांश इलेक्ट्रिक गाड़ियों में फास्ट चार्जिंग की सुविधा का अभाव भी देखा जाता है। हालांकि, महंगी इलेक्ट्रिक गाड़ियों में फास्ट चार्जिंग की सुविधा उपलब्ध है, लेकिन इसका विस्तार बड़े पैमाने पर किया जाना अभी बाकी है। अगर सरकार और निजी क्षेत्र इस दिशा में काम करते हुए चार्जिंग स्टेशनों की संख्या बढ़ाते हैं और फास्ट चार्जिंग तकनीक को सभी इलेक्ट्रिक वाहनों में उपलब्ध कराते हैं, तो देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों को लेकर लोग और अधिक उत्साहित हो सकते हैं। 

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इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को दिया एक अहम स्थान
भारत सरकार ने 2070 तक पर्यावरणीय स्थिरता हासिल करने के लिए अपनी योजना में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को एक अहम स्थान दिया है। यदि देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री में वृद्धि जारी रहती है, तो इससे न सिर्फ पेट्रोल और डीजल वाहनों पर निर्भरता कम होगी, बल्कि वायु प्रदूषण में भी उल्लेखनीय कमी आएगी। प्रधानमंत्री ई-ड्राइव योजना के तहत इलेक्ट्रिक गाड़ियों की संख्या में तेजी से वृद्धि के साथ-साथ, प्रदूषण को कम करने के उपायों पर भी जोर दिया जा रहा है, ताकि आने वाले दशकों में भारत को एक प्रदूषण-मुक्त और टिकाऊ परिवहन व्यवस्था मिल सके।

प्रधानमंत्री ई-ड्राइव योजना देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही है। इसकी मदद से न सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में वृद्धि हो रही है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण, प्रदूषण नियंत्रण और ऊर्जा संरक्षण के उद्देश्य भी पूरे हो रहे हैं। हालांकि, इस योजना को और भी सफल बनाने के लिए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार, किफायती EVs का विस्तार और फास्ट चार्जिंग तकनीक की उपलब्धता सुनिश्चित करना होगा। अगर सरकार इन बुनियादी समस्याओं पर काम करती है, तो आने वाले वर्षों में इलेक्ट्रिक गाड़ियां ग्राहकों की पहली पसंद बन सकती हैं, और देश की प्रदूषण समस्या को काफी हद तक हल किया जा सकता है।

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