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पीएम मोदी और ट्रंप के बीच भारत में परमाणु रिएक्टर के लिए हुआ बड़ा समझौता

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 14 Feb, 2025 12:59 PM

pm modi and trump agreement for a nuclear reactor in india

भारत और अमेरिका के रिश्ते हमेशा से ही रणनीतिक, व्यापारिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण रहे हैं, लेकिन हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में एक नया मोड़ आया है। 14 फरवरी 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और...

इंटरनेशनल डेस्क: भारत और अमेरिका के रिश्ते हमेशा से ही रणनीतिक, व्यापारिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण रहे हैं, लेकिन हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में एक नया मोड़ आया है। 14 फरवरी 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हुई एक ऐतिहासिक बैठक में यह स्पष्ट हुआ कि दोनों देश भारत में अमेरिकी डिजाइन के परमाणु रिएक्टरों को लाने और उनका उत्पादन करने के लिए बड़े पैमाने पर सहयोग करेंगे। इस समझौते का उद्देश्य न केवल दोनों देशों के ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देना है, बल्कि इससे पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी कई फायदे होंगे।

2008 के ऐतिहासिक परमाणु समझौते के बाद कुछ नहीं बदला

2008 में भारत और अमेरिका के बीच असैन्य परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिसे भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना गया था। इस समझौते के तहत भारत को अमेरिकी परमाणु रिएक्टरों और ईंधन तक पहुंच प्राप्त करने का अवसर मिला था। हालांकि, इसके बाद से इस समझौते के तहत कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हुई थी और अब तक कोई नया अमेरिकी परमाणु रिएक्टर भारतीय धरती पर नहीं आया था। इस गतिरोध को तोड़ने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप ने बैठक में बड़े रिएक्टरों के निर्माण के साथ-साथ छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों के विकास पर भी जोर दिया।

प्रधानमंत्री मोदी और ट्रंप की नई प्रतिबद्धता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वॉइट हाउस में अपनी वार्ता के बाद साझा बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भारत और अमेरिका के सहयोग को मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। उनका कहना था कि वे दोनों देशों के बीच परमाणु रिएक्टरों के निर्माण के लिए सहयोग बढ़ाने के लिए तैयार हैं। इस समझौते के तहत अमेरिकी डिजाइन के रिएक्टरों के लिए परमाणु ऊर्जा अधिनियम और परमाणु क्षति अधिनियम (सीएलएनडीए) में संशोधन करने की दिशा में काम किया जाएगा।

भारत के लिए परमाणु ऊर्जा का महत्व

भारत एक तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है, और उसकी बढ़ती ऊर्जा आवश्यकता को पूरा करने के लिए परमाणु ऊर्जा एक स्थिर और स्वच्छ विकल्प साबित हो सकता है। परमाणु ऊर्जा का एक बड़ा फायदा यह है कि यह जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है क्योंकि यह शून्य कार्बन उत्सर्जन करता है। भारत सरकार का लक्ष्य 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा उत्पादन का है, जो इसके ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करने के साथ-साथ पर्यावरणीय लाभ भी देगा।

अमेरिकी परमाणु आपूर्तिकर्ताओं के लिए नए अवसर

अमेरिकी परमाणु कंपनियां, जैसे कि वेस्टिंगहाउस, भारत में अपनी तकनीक और डिजाइन के साथ परमाणु रिएक्टरों की आपूर्ति करने के लिए तैयार हैं। वेस्टिंगहाउस कंपनी ने भारत में एपी 1000 परमाणु रिएक्टरों की आपूर्ति की योजना बनाई है। इन रिएक्टरों की खासियत यह है कि ये बड़े पैसिवली कूल्ड रिएक्टर हैं, जो किसी भी आपातकालीन स्थिति में स्वचालित रूप से ठंडे हो जाते हैं। इसके अलावा, भारतीय अधिकारियों ने आंध्र प्रदेश के कोव्वाडा में छह 1,000 मेगावाट के परमाणु रिएक्टरों के निर्माण के लिए एक ग्रीनफील्ड साइट की पहचान की है।

छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों पर जोर

प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी सुरक्षा सलाहकार माइकल वाल्ट्ज से अपनी मुलाकात में भी छोटे मॉड्यूलर परमाणु रिएक्टरों के बारे में चर्चा की। छोटे और मॉड्यूलर रिएक्टरों (SMRs) को विकसित करने की दिशा में भारत और अमेरिका का सहयोग बढ़ रहा है। SMRs की खासियत यह है कि ये पारंपरिक परमाणु रिएक्टरों की तुलना में कहीं ज्यादा किफायती, सुरक्षित और लचीले होते हैं। इन रिएक्टरों को छोटे पैमाने पर और विभिन्न स्थानों पर स्थापित किया जा सकता है, जिससे भारत जैसे विकासशील देशों के लिए यह एक आदर्श विकल्प बनता है।

भारत में परमाणु दायित्व व्यवस्था में बदलाव

एक बड़ी बाधा जो अमेरिका के परमाणु आपूर्तिकर्ताओं के लिए समस्या बन रही थी, वह थी भारत की परमाणु दायित्व व्यवस्था (न्यूक्लियर लियबिलिटी)। इस व्यवस्था के तहत परमाणु दुर्घटना के मामलों में कंपनियों की जिम्मेदारी तय की जाती थी। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप ने इस पर विचार करते हुए परमाणु दायित्व व्यवस्था में बदलाव करने का निर्णय लिया है। इस बदलाव से अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत में परमाणु रिएक्टर स्थापित करने का रास्ता साफ होगा। भारत सरकार ने इस दिशा में बजट 2025 में भी महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं, जो परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को आगे बढ़ाने में मददगार होंगी।

फ्यूचरिस्टिक परमाणु ऊर्जा मिशन

भारत सरकार ने 2033 तक छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों के पांच यूनिट स्थापित करने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए 20,000 करोड़ रुपये का बजट भी तय किया गया है। इसके अलावा, भारत में परमाणु ऊर्जा की क्षमता को बढ़ाने के लिए शोध और विकास पर भी जोर दिया जाएगा। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2025 के बजट में यह घोषणा की थी कि परमाणु ऊर्जा के विकास के लिए एक नया मिशन शुरू किया जाएगा। इस मिशन का उद्देश्य 2047 तक भारत को परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में एक प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित करना है।

क्या है भारत का परमाणु ऊर्जा का दृष्टिकोण?

भारत को परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में अपनी संपूर्ण क्षमता का उपयोग करने के लिए अपनी ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करना है। इसके लिए सरकार ने परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया है। भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड (NPCIL) के तहत देश में अब तक 24 रिएक्टर चल रहे हैं, जिनसे 8,180 मेगावाट ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है। इसके अलावा, भारत ने परमाणु ईंधन को पुनः संसाधित करने, परमाणु खनन और परमाणु ऊर्जा संयंत्र बनाने की तकनीकी क्षमता भी हासिल की है।

 

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