Edited By rajesh kumar,Updated: 23 Jan, 2025 01:57 PM
रेल मंत्रालय ने अपने माल ढुलाई राजस्व को बढ़ाने के लिए एक नई पहल की शुरुआत करने की योजना बनाई है। इस योजना के तहत, रेलवे माल-सह-यात्री ट्रेनें चलाएगा, जो समय-संवेदनशील पार्सल और छोटे माल को ढोने में मदद करेंगी।
नई दिल्ली: रेल मंत्रालय ने अपने माल ढुलाई राजस्व को बढ़ाने के लिए एक नई पहल की शुरुआत करने की योजना बनाई है। इस योजना के तहत, रेलवे माल-सह-यात्री ट्रेनें चलाएगा, जो समय-संवेदनशील पार्सल और छोटे माल को ढोने में मदद करेंगी। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि ये ट्रेनें डबल-डेकर मॉडल में होंगी, जहां माल को निचले डेक पर और यात्रियों को ऊपरी डेक पर बैठाया जाएगा। इस डिजाइन को मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन कुछ अंतिम बारीकियों पर अभी काम चल रहा है।
प्रधानमंत्री से चर्चा के बाद मिली हरी झंडी
2024 के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के साथ हुई क्षेत्रीय समीक्षा बैठक में इस परियोजना पर चर्चा की गई थी। पीएमओ ने इस नई पहल को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया है। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य छोटे कार्गो जैसे पार्सल और ई-कॉमर्स शिपमेंट को सड़क परिवहन से रेलवे द्वारा ढोने की दिशा में कदम बढ़ाना है। रेलवे मंत्रालय का उद्देश्य अपने कार्गो पोर्टफोलियो में विविधता लाना और ट्रांसपोर्ट सेक्टर में प्रतिस्पर्धी बने रहना है।
माल ढुलाई राजस्व में विविधता लाने की कोशिश
रेल मंत्रालय का लक्ष्य 2030 तक 3,000 मिलियन टन माल ढुलाई करने का है। फिलहाल, भारतीय रेलवे के माल ढुलाई राजस्व का 60 प्रतिशत हिस्सा कोयला और लौह अयस्क से आता है। रेलवे के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह अन्य प्रकार के माल में भी तेजी से वृद्धि करे, ताकि वह अपने लक्ष्य को हासिल कर सके। 2023-24 में मंत्रालय ने विविध माल से 13,227 करोड़ रुपए का संशोधित लक्ष्य रखा था, जो पिछले साल से बेहतर है, लेकिन यह फरवरी 2023 के बजट अनुमान से 6.8 प्रतिशत कम है।
प्रोटोटाइप और रोलआउट की प्रोसेस
रेल कोच फैक्ट्री, कपूरथला, माल-सह-यात्री ट्रेन के लिए प्रोटोटाइप बना रही है। प्रत्येक कोच की लागत लगभग 4 करोड़ रुपए होने का अनुमान है। अब तक 10 कोच बनाए जा चुके हैं और एक पूरा रेक असेंबल किया जा रहा है। इस ट्रेन को चुनिंदा रूट पर तैनात किया जाएगा। इस पहल से मिले अनुभवों से भविष्य में इस योजना को और बड़े स्तर पर लागू करने में मदद मिलेगी। यह भारतीय रेलवे का कार्गो लाइनर की अवधारणा में पहला कदम है। इसके साथ ही मंत्रालय भारतीय डाक के साथ कूरियर व्यवसाय का बड़ा हिस्सा हासिल करने के लिए भी साझेदारी पर विचार कर रहा है।
परिचालन संबंधी चुनौतियां
हालांकि, इस योजना को लागू करने में कुछ परिचालन संबंधी चुनौतियां भी हैं। एक पूर्व वरिष्ठ रेलवे अधिकारी ने बताया कि पार्सल को समय पर उतारने में समस्याएं आ सकती हैं, खासकर यदि माल को खास कोचों तक सीमित किया जाता है। इससे यात्री ट्रेनों की समयबद्धता पर असर पड़ सकता है। 2023-24 में रेलवे माल ढुलाई में 5 प्रतिशत की वृद्धि हुई और विशेषज्ञों का मानना है कि रेलवे को 2030 तक अपने माल ढुलाई लक्ष्य को पूरा करने और कच्चे माल पर निर्भरता को कम करने के लिए 10 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) हासिल करनी होगी।