भाजपा के ओम बिड़ला लोकसभा अध्यक्ष चुने गए, जानें कितनी होती है स्पीकर की सैलरी, सुविधाएं जानकर उड़ जाएंगे होश

Edited By Anu Malhotra,Updated: 26 Jun, 2024 11:44 AM

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बीजेपी के ओम बिड़ला को बुधवार को लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए चुना गया। बिड़ला पिछली लोकसभा में भी अध्यक्ष के रूप में कार्यरत थे और  वह 25 वर्षों में दूसरे कार्यकाल के लिए यह पद पाने वाले पहले व्यक्ति बन गए है। वह राजस्थान के कोटा से तीसरी बार लोकसभा...

नेशनल डेस्क:  बीजेपी के ओम बिड़ला को बुधवार को लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए चुना गया। बिड़ला पिछली लोकसभा में भी अध्यक्ष के रूप में कार्यरत थे और  वह 25 वर्षों में दूसरे कार्यकाल के लिए यह पद पाने वाले पहले व्यक्ति बन गए है। वह राजस्थान के कोटा से तीसरी बार लोकसभा पहुंचे हैं। आईए जानते है ओम बिड़ला के निजी जीवन के बारे में....

ओम बिड़ला का जीवन परिचय
ओम बिड़ला का जन्म  4 दिसम्बर 1962 कोटा में श्रीकृष्ण बिड़ला और शकुंतला बिड़ला के घर हुआ था। उनके पिता सरकारी कर्मचारी रहे हैं। वह सेल्स टैक्स विभाग में काम करते थे। ओम बिड़ला की परवरिश 5 भाईयों औऱ तीन बहनों के बीच हुई। कॉलेज में जाने के बाद से ही ओम बिड़ला राजनीति में आए। इस बीच 1991 में ओम बिड़ला की शादी  अमिता बिड़ला के साथ हुई। ओम बिड़ला और अमिता बिड़ला की दो बेटिया हैं।

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बड़ी बेटी का नाम आकांक्षा है। आकांक्षा सीए हैं। बेटी आकांक्षा की शादी राजस्थान के मशहूर बिजनेस घराने में हुई है।  ओम बिड़ला के समधी कृष्ण गोपाल बांगड़ राजस्थान में भीलवाड़ा से ताल्लुक रखते हैं। वह कंचन ग्रुप के मालिक हैं। ओम बिड़ला की छोटी बेटी का नाम अंजली बिड़ला है। अंजलि ने दिल्ली के हंसराज कॉलेज से ग्रैजुएशन किया है और वह यूपीएससी क्लियर करने में सफल भी हो गई हैं। 

पावरफुर होता है लोकसभा स्पीकर का पद, जानें कितनी मिलती है सैलरी और सुविधाएं  
स्पीकर का पद मंत्री और सांसदों से कई गुणा ज्यादा पावरफुल होता है। लोकसभा अध्यक्ष के पास कई शक्तियां होती हैं, जिसमें सत्रों की अध्यक्षता करना और सदन की कार्यवाही का संचालन करना शामिल है। उनका कार्यकाल अन्य संसद सदस्यों की तरह पांच साल का होता है। अध्यक्ष को यह तय करने का अधिकार होता है कि किसी विधेयक को धन विधेयक माना जाए या नहीं। अध्यक्ष सदन के नियमों का उल्लंघन करने वाले या शिष्टाचार को बाधित करने वाले किसी भी सदस्य के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई कर सकते हैं।  
 
स्पीकर का वेतन  
 स्पीकर को 1954 के संसद अधिनियम के तहत वेतन, भत्ते और पेंशन मिलती हैं। दिसंबर 2010 में संशोधित संसद अधिनियम 1954 के अनुसार, लोकसभा अध्यक्ष को ₹1 लाख का मासिक वेतन और ₹70,000 प्रति माह का निर्वाचन क्षेत्र भत्ता मिलता है। संसदीय सत्रों या समिति की बैठकों के दौरान, वे ₹2000 के दैनिक भत्ते और ₹2000 के आतिथ्य भत्ता मिलता है। लोकसभा स्पीकर के अपना कार्यकाल पूरा करने पर उन्हें संसद विधेयक 2010 के अनुसार ₹20,000 की मासिक पेंशन मिलती है, साथ ही ₹1500 का अतिरिक्त भत्ता भी मिलता है।

 लग्जरी सविधाएं
इसके अलावा लोकसभा अध्यक्ष को कैबिनेट मंत्रियों के समान ही सुविधाएं मिलती हैं, जिसमें परिवार के सदस्यों के लिए यात्रा भत्ता, चाहे वे घरेलू या अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर हों, उन्हें मुफ़्त आवास, परिवहन और बोर्डिंग सेवाएँ मिलती हैं। स्पीकर को उसके पूरे कार्यकाल के दौरान भारत सरकार की तरफ से बंगला भी दिया जाता है। लोकसभा अध्‍यक्ष और उनके परिवार को मुफ्त चिकित्सा सुविधाएं भी मिलती हैं। भारत सरकार उन्हें अपने कार्यकाल के दौरान मुफ़्त बिजली, फ़ोन कॉल, नौकर, कर्मचारी  प्रदान करती है।

  

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