लाल किले से समान नागरिक संहिता पर PM का बड़ा बयान- 'सेक्युलर सिविल कोड मौजूदा समय की मांग'

Edited By Mahima,Updated: 15 Aug, 2024 10:59 AM

pm modi stressed the need for a secular civil code in the country

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को लाल किले पर अपने 78वें स्वतंत्रता दिवस के भाषण में समान नागरिक संहिता (UCC) की आवश्यकता पर विशेष ध्यान दिया। उन्होंने कहा कि भारत में एक धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता लाना बेहद जरूरी है।

नेशनल डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को लाल किले पर अपने 78वें स्वतंत्रता दिवस के भाषण में समान नागरिक संहिता (UCC) की आवश्यकता पर विशेष ध्यान दिया। उन्होंने कहा कि भारत में एक धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता लाना बेहद जरूरी है। इसका मकसद है कि देश के विविध समाज का सही प्रतिनिधित्व किया जा सके और धार्मिक आधार पर होने वाले भेदभाव को समाप्त किया जा सके।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर कई बार चर्चा की है और कई आदेश भी दिए हैं। उन्होंने कहा, "देश के बहुत से लोग मानते हैं कि वर्तमान में जो नागरिक संहिता लागू है, वह सांप्रदायिक है। हमे एक धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता की जरूरत है, जिससे धर्म के आधार पर भेदभाव समाप्त हो सके।" उन्होंने यह भी कहा कि समान नागरिक संहिता पर व्यापक चर्चा होनी चाहिए और सभी को इस पर अपने विचार देने चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने सुझाव दिया कि धार्मिक आधार पर बांटने वाले कानूनों को समाप्त कर देना चाहिए क्योंकि अब आधुनिक समाज में उनके लिए कोई जगह नहीं है। 

समान नागरिक संहिता (UCC) भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में शामिल है, जो कहता है कि राज्य सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता लागू करने का प्रयास करेगा। भाजपा के चुनावी घोषणापत्र में लंबे समय से UCC एक प्रमुख मुद्दा रहा है। भाजपा की कई राज्य सरकारों ने इस दिशा में कदम उठाए हैं, जिसमें उत्तराखंड ने इसे अपनाया है। प्रधानमंत्री मोदी की टिप्पणियों से यह संकेत मिलता है कि उनकी सरकार अपने मौजूदा कार्यकाल के दौरान समान नागरिक संहिता को लेकर विवादास्पद मुद्दे को गंभीरता से देखने की योजना बना रही है।

उनके भाषण ने इस मुद्दे पर नई बहस को जन्म दिया है और इससे सरकार की नीतियों और योजनाओं के बारे में चर्चा शुरू हो गई है। प्रधानमंत्री के भाषण ने यह स्पष्ट कर दिया कि वे धार्मिक भेदभाव को खत्म करने और एक समान और धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता लागू करने के प्रति प्रतिबद्ध हैं। इससे जुड़ी नीतियों और विधायिका के कदमों पर निगाहें बनी रहेंगी।

 

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