Edited By Harman Kaur,Updated: 28 Mar, 2025 12:04 PM

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले सप्ताह थाईलैंड और श्रीलंका की यात्रा पर जा रहे हैं। इस यात्रा का उद्देश्य भारत की नई घोषित 'महासागर नीति' के तहत क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देना और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि के लिए दृष्टिकोण पर चर्चा...
नेशनल डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले सप्ताह थाईलैंड और श्रीलंका की यात्रा पर जा रहे हैं। इस यात्रा का उद्देश्य भारत की नई घोषित 'महासागर नीति' के तहत क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देना और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि के लिए दृष्टिकोण पर चर्चा करना है।
प्रधानमंत्री मोदी अपनी यात्रा के पहले चरण में 3 से 4 अप्रैल तक बैंकॉक जाएंगे, जहां वह थाईलैंड द्वारा आयोजित छठे 'बिम्सटेक' शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। विदेश मंत्रालय के अनुसार, यह प्रधानमंत्री की थाईलैंड की तीसरी यात्रा होगी। इस सम्मेलन में बिम्सटेक (बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक को-ऑपरेशन) के सदस्य देशों के बीच सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की जाएगी। बिम्सटेक में भारत, थाईलैंड, श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमा, नेपाल और भूटान शामिल हैं। इस सम्मेलन में, सदस्य देशों के नेता अपने-अपने देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के उपायों पर विचार करेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी के इस दौरे का एक बड़ा उद्देश्य 'पहले पड़ोसी' नीति, 'एक्ट ईस्ट' नीति और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत के दृष्टिकोण को प्रबल करना है। भारत ने हाल ही में मॉरीशस में 'महासागर नीति' की घोषणा की थी, जो क्षेत्रीय सुरक्षा और विकास के लिए पारस्परिक सहयोग और समग्र प्रगति पर आधारित है।
बैंकॉक सम्मेलन के बाद, प्रधानमंत्री मोदी श्रीलंका जाएंगे, जहां वह 4 से 6 अप्रैल तक की तीन दिवसीय यात्रा पर रहेंगे। श्रीलंका में वह राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके से मुलाकात करेंगे और द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे। इसके साथ ही, प्रधानमंत्री श्रीलंका के वरिष्ठ नेताओं और गणमान्य व्यक्तियों से भी मुलाकात करेंगे। इस यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी श्रीलंका में भारतीय वित्तीय सहायता से चल रही विकास परियोजनाओं का उद्घाटन करने के लिए अनुराधापुरा भी जाएंगे।
विदेश मंत्रालय ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा भारत और इन देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण कदम होगी, जिसमें सुरक्षा, व्यापार, जलवायु और मानव सुरक्षा जैसे मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने की दिशा में कई महत्वपूर्ण पहल की जाएंगी।