बड़ी चेतावनी!  कहीं भारत के भी न हो जाएं श्रीलंका जैसा हालात, PM मोदी से बोले ब्यूरोक्रेट्स

Edited By Anu Malhotra,Updated: 04 Apr, 2022 11:55 AM

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वरिष्ठ नौकरशाहों के साथ हुई बैठक में अधिकारियों ने लोकलुभावन योजनाओं पर चिंता जाहीर की। इस दौरान उन्होंने दावा किया कि वे आर्थिक रूप से अस्थिर हैं।  अधिकारियों ने इस बैठक में कहा कि ऐसी लोकलुभावन और अव्यावहारिक योजनाएं...

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वरिष्ठ नौकरशाहों के साथ हुई बैठक में अधिकारियों ने लोकलुभावन योजनाओं पर चिंता जाहीर की। इस दौरान उन्होंने दावा किया कि वे आर्थिक रूप से अस्थिर हैं।  अधिकारियों ने इस बैठक में कहा कि ऐसी लोकलुभावन और अव्यावहारिक योजनाएं अर्थव्यवस्था को बिगाड़ सकती है इतना ही नही यह भारत को श्रीलंका के समान रास्ते पर ले जा सकती हैं। 
 
दरअसल, पीएम मोदी ने शनिवार को 7, लोक कल्याण मार्ग स्थित अपने कैंप कार्यालय में सभी विभागों के सचिवों के साथ चार घंटे तक लंबी बैठक की। इस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, प्रधान मंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा और कैबिनेट सचिव राजीव गौबा के साथ केंद्र सरकार के अन्य शीर्ष नौकरशाह शामिल हुए।  सूत्रों के अनुसार, इस दौरान पीएम मोदी ने प्रमुख विकास परियोजनाओं की आड़ में गरीब  का बहाना बनाने की पुरानी कहानी को छोड़ने के लिए कहा और उन्हें एक बड़ा दृष्टिकोण अपनाने के लिए कहा। 

 
COVID-19 महामारी के दौरान सचिवों द्वारा दिखाई गई टीम वर्क का हवाला देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि उन्हें भारत सरकार के सचिवों के रूप में एक टीम के रूप में काम करना चाहिए न कि केवल अपने संबंधित विभागों के सचिवों के रूप में सीमित रहना चाहिए। प्रधानमंत्री ने इस दौरान सचिवों से प्रतिक्रिया देने और सरकार की नीतियों में खामियों का सुझाव देने के लिए भी कहा। सूत्रों ने कहा कि दो दर्जन से अधिक सचिवों ने अपने विचार व्यक्त किए इस दौरान पीएम मोदी ने भी खुले दिमाग से ब्यूरोक्रेट्स की बातें सुनीं।

इस बीच सूत्रों ने कहा कि दो सचिवों ने हाल के विधानसभा चुनावों में घोषित एक लोकलुभावन योजना का हवाला देते हुए एक राज्य में, जो आर्थिक रूप से खराब स्थिति में है, और अन्य राज्यों में इसी तरह की योजनाओं का हवाला देते हुए कहा कि वे आर्थिक रूप से अस्थिर हैं और ऐसी लोकलुभावन घोषणाएं राज्यों को श्रीलंका के समान रास्ते पर ले जा सकती हैं।  


बता दें कि इस समय श्रीलंका के आर्थिक हालात बेहद खराब है  वहां ईंधन, रसोई गैस और आवश्यक सामानों की कम आपूर्ति होने की वजह से लोगों को काफी कठिनाइओं के साथ भारी महंगाई का सामना करना पड़ रहा है।  

वहीं, बता दें कि 2014 के बाद से प्रधान मंत्री की सचिवों के साथ यह नौवीं बैठक थी.

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