Edited By Tanuja,Updated: 13 Nov, 2024 03:48 PM
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद मुस्लिम देशों में हलचल मच गई है। इसी के चलते सऊदी अरब के रियाद में अरब और इस्लामिक देशों...
Dubai: अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद मुस्लिम देशों में हलचल मच गई है। इसी के चलते सऊदी अरब (Saudi Arab) के रियाद (Riyadh) में अरब और इस्लामिक देशों का समिट (Aran and Islamic Summit) बुलाया गया में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Shebaz Sharif) भी शामिल हुए । इस समिट में 50 से ज्यादा देशों के नेताओं ने भाग लिया और एक तस्वीर में सभी नेताओं ने एक साथ फोटो खिंचवाई। लेकिन समिट में शहबाज शरीफ को कम अहमियत मिलने पर पाकिस्तान में नाराजगी फैल गई है। समिट की एक तस्वीर खूब वायरल हो रही है जिसमें शहबाज शरीफ को आखिरी लाइन में खड़ा किया गया, जो पाकिस्तानियों के लिए निराशाजनक था। यह घटना पाकिस्तान के लिए एक राजनीतिक मुद्दा बन गई है, जिसमें शहबाज शरीफ की स्थिति पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
पाकिस्तान के राजनीतिक विश्लेषक कमर चीमा (Qamar Cheema) ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पाकिस्तान खुद को एक न्यूक्लियर शक्ति मानता है, लेकिन इस समिट में उसे छोटे देशों से भी पीछे स्थान मिला। उन्होंने कहा, "हम एक ओर तो फिलिस्तीन के समर्थक बने हुए हैं और दूसरी ओर इस्लामिक देशों की सैन्य ताकत का दावा करते हैं, फिर भी हमें पहली पंक्ति में जगह नहीं मिल रही। यह पाकिस्तान की गिरती प्रतिष्ठा को दिखाता है।" कमर चीमा ने यह भी कहा कि अगर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समिट में होते, तो वे सऊदी क्राउन प्रिंस के बराबर खड़े होते।
उन्होंने कहा, "भारत के पास एक बड़ी अर्थव्यवस्था और विशाल मिडल क्लास है, जो सऊदी अरब के लिए अहम है। भारत को कोई भी नजरअंदाज नहीं कर सकता, लेकिन शहबाज शरीफ को जिस तरह से पीछे रखा गया, वह पाकिस्तान के लिए बेहद दुखद है।" समिट में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने गाजा और लेबनान में इजरायल की सैन्य कार्रवाई को तुरंत रोकने की अपील की और इसे जनसंहार बताया। उन्होंने स्वतंत्र फिलिस्तीन राष्ट्र की स्थापना की मांग की। शहबाज शरीफ ने भी गाजा में इजरायल की कार्रवाई की कड़ी निंदा की, लेकिन समिट में उन्हें वह सम्मान नहीं मिला, जिसकी उन्होंने उम्मीद की थी।