Edited By Rohini Oberoi,Updated: 29 Jan, 2025 11:06 AM
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने पीएम सूर्यघर योजना के तहत तीन किलोवाट क्षमता का रूफटॉप लगाने पर आने वाले खर्च की चिंता को दूर करने के लिए एक नई पहल शुरू की है। इस पहल में रेस्को और बिजली कंपनियों के लिए एक नया मॉडल ‘यूएलए (यूटिलिटी लैड...
नेशनल डेस्क। नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने पीएम सूर्यघर योजना के तहत तीन किलोवाट क्षमता का रूफटॉप लगाने पर आने वाले खर्च की चिंता को दूर करने के लिए एक नई पहल शुरू की है। इस पहल में रेस्को और बिजली कंपनियों के लिए एक नया मॉडल ‘यूएलए (यूटिलिटी लैड एग्रीगेशन)’ जोड़ा गया है जिससे उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली मिल सके। मंत्रालय के दिशा-निर्देशों को लागू करने के लिए अब तीनों बिजली कंपनियों के बीच मंथन शुरू हो गया है।
चिंता का कारण खर्च, उपभोक्ता रुचि नहीं दिखा रहे
वर्तमान स्थिति यह है कि राज्य की तीनों बिजली कंपनियों के तहत पीएम सूर्यघर योजना के तहत तीन किलोवाट क्षमता का रूफटॉप लगाया जा रहा है लेकिन उपभोक्ताओं की ओर से इस योजना में रुचि नहीं दिखाई दे रही है। सब्सिडी मिलने के बावजूद खर्च को लेकर उपभोक्ता इस योजना के तहत रूफटॉप लगाने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। इससे योजना का लक्ष्य पूरा नहीं हो पा रहा है।
नवीन पहल: सस्ती बिजली और आसान भुगतान
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार रेस्को मॉडल के तहत वेंडर (रूफटॉप लगाने वाली कंपनियां) और उपभोक्ता के बीच करार होगा। इसके तहत वेंडर द्वारा छत पर रूफटॉप लगाने के बाद उपभोक्ता को सस्ती बिजली मिलेगी। करार के दौरान बिजली की दरें उपभोक्ता और वेंडर के बीच सहमति के आधार पर तय की जाएंगी। अतिरिक्त बिजली को वेंडर डिस्कॉम (बिजली कंपनियां) को बेच कर मुनाफा कमा सकेंगे।
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करार की अवधि और छत का स्वामित्व
नए दिशा-निर्देशों के अनुसार रेस्को मॉडल के तहत वेंडर पांच साल तक उपभोक्ता की छत का उपयोग कर सकेगा। इसके बाद छत का स्वामित्व पूरी तरह से उपभोक्ता का हो जाएगा। अगर करार बढ़ाया जाता है तो वेंडर फिर से छत पर रूफटॉप प्लांट लगाकर बिजली का उत्पादन कर सकेगा।
जयपुर जिले का लक्ष्य पूरा नहीं हो रहा
जयपुर जिले की बात करें तो पीएम सूर्यघर योजना के तहत रूफटॉप लगाने का लक्ष्य इस वर्ष पूरा होता हुआ नहीं दिख रहा है। योजना के तहत गत वर्ष फरवरी में 35,500 रूफटॉप लगाने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन अब तक केवल 21,000 रूफटॉप ही लगाए जा सके हैं। बिजली विभाग के इंजीनियर इसे खर्च और मुफ्त बिजली मिलने के कारण उपभोक्ताओं की रुचि में कमी को मुख्य कारण मान रहे हैं।
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रूफटॉप सोलर से 80 प्रतिशत तक बिजली बिल में कमी
रूफटॉप सोलर एक्सपर्ट का कहना है कि छत पर रूफटॉप लगाने से उपभोक्ताओं को कई फायदे होंगे। इससे बिजली बिल में 80 प्रतिशत तक की कमी आएगी और साथ ही ग्रीन एनर्जी का दायरा बढ़ने से पर्यावरण को भी लाभ होगा।
तीनों डिस्कॉम में रूफटॉप उपभोक्ता की संख्या
अजमेर डिस्कॉम: 27,950 उपभोक्ता
जयपुर डिस्कॉम: 38,210 उपभोक्ता
जोधपुर डिस्कॉम: 18,930 उपभोक्ता
वहीं इस पहल से पीएम सूर्यघर योजना के तहत लोगों को सस्ती और पर्यावरण अनुकूल बिजली मिलने की उम्मीद है।