Edited By Harman Kaur,Updated: 27 Feb, 2025 02:55 PM
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प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) ने भारत में वित्तीय समावेशन की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाया है। इस योजना के तहत 54.58 करोड़ से अधिक लाभार्थी जुड़े हैं और यह दुनिया के सबसे बड़े वित्तीय समावेशन अभियानों में से एक बन चुकी है। इस योजना का उद्देश्य देश...
नेशनल डेस्क: प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) ने भारत में वित्तीय समावेशन की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाया है। इस योजना के तहत 54.58 करोड़ से अधिक लाभार्थी जुड़े हैं और यह दुनिया के सबसे बड़े वित्तीय समावेशन अभियानों में से एक बन चुकी है। इस योजना का उद्देश्य देश के सभी नागरिकों, खासकर गरीब और वंचित वर्गों को बैंकिंग सेवाओं से जोड़ना था।
PMJDY योजना 2014 में शुरू की गई थी और अब तक 2 लाख से अधिक बैंक मित्रों ने इस योजना का हिस्सा बनकर भारत के दूर-दराज के क्षेत्रों में इसे सफल बनाने में मदद की है। योजना के तहत खातों की संख्या में भी भारी वृद्धि हुई है, जो मार्च 2015 में 14.72 करोड़ थी और अब यह संख्या 54.58 करोड़ तक पहुंच चुकी है। इनमें से 30.37 करोड़ खाते महिलाओं के हैं, जो कुल लाभार्थियों का 55.64 प्रतिशत हैं, और 66.6 प्रतिशत लाभार्थी ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों से हैं।
इस योजना के तहत जमा राशि 14 अगस्त 2024 तक 2.31 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो गई है। इसके अलावा, 36.14 करोड़ से अधिक रुपे कार्ड भी लाभार्थियों को दिए गए हैं, जो उनकी वित्तीय लेन-देन में सहायक हैं। जन धन योजना के माध्यम से महिलाओं के बैंक खातों की संख्या में 2011 में 26 प्रतिशत से बढ़कर 2025 में 78 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है।
इस योजना की सफलता का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि अब तक 3.5 लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि पीएम किसान योजना (PM-Kisan) के तहत 9.8 करोड़ किसानों को वितरित की जा चुकी है, जबकि पीएम फसल बीमा योजना (PM Fasal Bima Yojana) के तहत 1.72 लाख करोड़ रुपए का वितरण किया गया है। यह सारी सफलता पीएम मोदी की सरकार के प्रयासों का परिणाम है, जिसने डीबीटी (Direct Benefit Transfer) के माध्यम से बिना किसी भ्रष्टाचार के लाभों को सीधे beneficiaries तक पहुंचाने का काम किया है।
पीएमजेडवाई का महत्व और इसके द्वारा की गई वित्तीय सेवाओं की पेशकश
प्रधानमंत्री जन धन योजना का उद्देश्य था सभी नागरिकों को वित्तीय सेवाओं तक पहुंच प्रदान करना, जिसमें बुनियादी बचत खाते, क्रेडिट, बीमा, माइक्रो-क्रेडिट और पेंशन सेवाएं शामिल थीं। योजना के तहत, प्रत्येक लाभार्थी को रुपए 2 लाख का दुर्घटना बीमा कवरेज भी प्रदान किया जाता है। इससे वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिला है और अब तक बैंकिंग सुविधाओं का विस्तार देश के सबसे गरीब और दूरदराज क्षेत्रों तक किया गया है। इसके अलावा, सरकार ने 2018 में इस योजना में कई बदलाव किए। दुर्घटना बीमा कवर को 1 लाख रुपए से बढ़ाकर 2 लाख रुपए किया गया और ओवरड्राफ्ट की सीमा को 5000 रुपए से बढ़ाकर 10000 रुपए कर दिया गया। इस योजना ने भारत में महिलाओं और गरीबों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान की है और उन्हें बैंकों से जोड़ने में मदद की है।
पीएमजेडवाई की सफलता और डिजिटल इंडिया के योगदान से वित्तीय समावेशन
पीएमजेडवाई का सबसे बड़ा योगदान यह रहा कि इसने भारतीय समाज के उन तबकों को बैंकिंग प्रणाली से जोड़ा, जो पहले इससे वंचित थे। साथ ही, प्रधानमंत्री मोदी की डिजिटल इंडिया पहल के माध्यम से, जहां भारत में तकनीकी खामियों को दूर किया गया, वहीं Aadhaar और DBT के माध्यम से भ्रष्टाचार को समाप्त किया गया। अब लाभार्थियों को योजनाओं के लाभ सीधे उनके खातों में मिलते हैं और 100 प्रतिशत लाभ सही पात्रों तक पहुंच रहा है।
वर्तमान में भारत में 313 से अधिक केंद्रीय योजनाओं को आधार से जोड़ा गया है, जिससे सरकारी योजनाओं के लाभों को सीधे लाभार्थियों तक पहुंचाया जा रहा है। इसने सरकारी योजनाओं में गड़बड़ी और भ्रष्टाचार को समाप्त कर दिया है। इसके अलावा, मोबाइल बैंकिंग और आधार आधारित भुगतान प्रणालियों ने भारत के वित्तीय नेटवर्क को और मजबूत किया है।
पीएमजेडवाई का भविष्य और समावेशन के क्षेत्र में इसकी भूमिका
प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने प्रधानमंत्री जन धन योजना को 2018 के बाद भी जारी रखा और इसे और बेहतर बनाने के लिए कई बदलाव किए। यह योजना अब देश के प्रत्येक वंचित नागरिक को वित्तीय सेवाओं तक पहुंच प्रदान करने में सफलता प्राप्त कर रही है। पीएमजेडवाई, डिजिटल इंडिया और आधार के संयोजन से भारत में आर्थिक समावेशन में बड़ी सफलता हासिल हुई है और यह एक आदर्श उदाहरण बन चुका है।