Edited By Pardeep,Updated: 25 Dec, 2024 09:03 AM
बुधवार को भारत के करिश्माई नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती है।
नई दिल्लीः बुधवार को भारत के करिश्माई नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती है। राजनीति में उनकी कुशलता और दूरदर्शिता किसी से छिपी नहीं, लेकिन उनके व्यक्तित्व का एक और पहलू, उनका काव्यात्मक पक्ष, उन्हें उनके साथी राजनेताओं और आम जनता के बीच अत्यधिक प्रिय बनाता था। वाजपेयी का 93 वर्ष की आयु में लंबी बीमारी के बाद 16 अगस्त 2018 को निधन हो गया था।
काव्य और वाक्-कला में महारथ
वाजपेयी न केवल एक प्रभावी राजनेता बल्कि एक कुशल कवि भी थे। उनकी कविताएं जैसे कि ‘अपने मन से कुछ बोलें’ मानवीय जीवन की नश्वरता को खूबसूरती से उजागर करती हैं। उनके एक प्रसिद्ध छंद में उन्होंने लिखा था:
"पृथ्वी लाखों वर्ष पुरानी, जीवन एक अनंत कहानी; पर तन की अपनी सीमाएं; यद्यपि सौ शरदों की वाणी, इतना काफी है अंतिम दस्तक पर खुद दरवाजा खोलें।"
ग्वालियर में 25 दिसंबर 1924 को जन्मे वाजपेयी हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी में भी निपुण थे। हालांकि, संसद और सार्वजनिक मंच पर उनका हिंदी में दिया गया हर भाषण उनकी वाक्-कला, चुटीली टिप्पणियों और समयानुकूल व्यंग्य से भरपूर होता था। उनकी वाक्-कुशलता के कारण उन्हें ‘शब्दों का जादूगर’ कहा जाता था।
संसद में उनके ऐतिहासिक भाषण
उनके संसद में दिए गए कई भाषण आज भी ऐतिहासिक माने जाते हैं। 27 मई 1996 को, अपनी 13 दिन की सरकार के विश्वास मत से पहले वाजपेयी ने संसद में जो भाषण दिया, वह भारतीय लोकतंत्र के प्रति उनके अटूट विश्वास का प्रतीक था। उन्होंने कहा था:
"सत्ता का तो खेल चलेगा, सरकारें आएंगी, जाएंगी; पार्टियां बनेंगी, बिगड़ेंगी; मगर यह देश रहना चाहिए, इस देश का लोकतंत्र अमर रहना चाहिए।"
उनकी सरकार गिर गई थी, लेकिन उनके शब्द आज भी हर लोकतांत्रिक बहस का हिस्सा हैं।
काव्य की दुनिया में योगदान
वाजपेयी ने कई काव्य संग्रह रचे, जिनमें ‘कैदी कविराय की कुंडलियां’ (आपातकाल के दौरान जेल में लिखी गई कविताओं का संग्रह), ‘अमर आग है’ और ‘मेरी इक्यावन कविताएं’ प्रमुख हैं। एक बार उन्होंने टिप्पणी की थी, "राजनीति के रेगिस्तान में यह कविता की धारा सूख गई।" हालांकि, राजनीति में व्यस्त रहते हुए भी उन्होंने कविताओं के माध्यम से अपने विचारों को अभिव्यक्ति दी।
उनकी एक प्रसिद्ध कविता है:
"हर शाम धुंधलाती है, हर रात गुजर जाती है; जीवन की हर कठिनाई, हमें कुछ सिखा जाती है।"
हास्यबोध और विनम्रता का अद्वितीय मेल
अपने हास्यबोध के लिए विख्यात वाजपेयी ने एक बार कहा था, "मैं राजनीति छोड़ना चाहता हूं पर राजनीति मुझे नहीं छोड़ती।" उन्होंने राजनीति में अपनी इच्छा के बारे में कहा था कि वह इसे बेदाग छोड़ना चाहते हैं।
उन्होंने कहा था, "मुझे आशा है कि मेरी मृत्यु के बाद लोग कहेंगे कि वह एक अच्छे इंसान थे, जिन्होंने अपने देश और दुनिया को बेहतर स्थान बनाने का प्रयास किया।"
वैश्विक दृष्टिकोण और उपलब्धियां
वाजपेयी के कार्यकाल में किए गए प्रमुख कार्यों में परमाणु परीक्षण, स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना, सर्व शिक्षा अभियान और प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना शामिल हैं। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा में पहला हिंदी भाषण देकर भारतीय भाषाओं को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाई।
एक प्रेरणा स्रोत
आज भी, वाजपेयी का जीवन और उनकी उपलब्धियां प्रेरणा का स्रोत हैं। उनके काव्य, भाषण और कार्य हमें यह याद दिलाते हैं कि एक नेता न केवल अपने कर्तव्यों से बल्कि अपने विचारों और मूल्यों से भी इतिहास बनाता है।