Edited By Mahima,Updated: 10 Feb, 2025 02:57 PM
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दिल्ली विधानसभा में शानदार जीत के बाद बीजेपी की नजर अब बिहार विधानसभा चुनाव पर है। एनडीए का लक्ष्य 243 सदस्यीय विधानसभा में 225 सीटें जीतने का है। यहां दो प्रमुख गठबंधन हैं - एनडीए और महागठबंधन। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के नेतृत्व में...
नेशनल डेस्क: दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपनी शानदार जीत के बाद अब बीजेपी की नजर बिहार पर है, जहां अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने इस बार बिहार विधानसभा की 243 सीटों में से 225 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। हालांकि, बिहार की चुनावी लड़ाई बहुत अलग और दिलचस्प है। यहां के गठबंधन और राजनीति की विशेषताएं और चेहरे राष्ट्रीय राजनीति से पूरी तरह से अलग हैं।
बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका
बिहार की राजनीति में दो प्रमुख गठबंधन हैं: एक, बीजेपी के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA), और दूसरा, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेतृत्व वाला महागठबंधन। NDA में बीजेपी के साथ जेडीयू (JDU), लोजपा (राम विलास), हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा सेक्युलर (HAM) और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) शामिल हैं। वहीं महागठबंधन में राजद, कांग्रेस, वाम दल और विकासशील इंसान पार्टी (VIP) शामिल हैं। इन गठबंधनों में कुछ बड़े चेहरे हैं जो बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
NDA का चेहरा: नीतीश कुमार
NDA इस चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगा। बिहार में दो दशक से ज्यादा समय से मुख्यमंत्री के पद पर बने रहे नीतीश कुमार को भाजपा का पूरा समर्थन प्राप्त है। वहीं, महागठबंधन में तेजस्वी यादव का चेहरा प्रमुख है। तेजस्वी यादव, जो राजद के नेता हैं, बिहार के युवाओं और सामाजिक न्याय की राजनीति का चेहरा माने जाते हैं। दोनों गठबंधनों के बीच तकरार चुनावी मैदान को और दिलचस्प बना रही है।
NDA का लक्ष्य: 225 सीटें
दिल्ली विधानसभा में शानदार जीत के बाद NDA के सहयोगियों का आत्मविश्वास काफी बढ़ा है। भाजपा, जेडीयू और अन्य सहयोगी दलों ने आगामी बिहार चुनाव में 243 सदस्यीय विधानसभा में 225 सीटें जीतने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में NDA ने राज्यभर में रैलियों का आयोजन शुरू कर दिया है, ताकि गठबंधन की एकता और ताकत को प्रदर्शित किया जा सके।जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि दिल्ली में NDA की जीत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी का नेतृत्व और गठबंधन की एकता मजबूत है। उन्होंने यह भी दावा किया कि बिहार में NDA का रुख जीत की ओर है और इस बार पार्टी 225 सीटें जीतने में सफल रहेगी।
गरीबों के लिए मासिक पेंशन की घोषणा
महागठबंधन की रणनीति NDA के खिलाफ एक मजबूत और आक्रामक प्रचार अभियान चलाने की है। राजद के नेता तेजस्वी यादव ने पहले ही चुनावी वादों की झड़ी लगाई है। उन्होंने 'माई बहिन मान योजना' के तहत परिवार की महिला मुखिया को 2,500 रुपये प्रति माह देने और 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने का वादा किया है। इसके अलावा, उन्होंने गरीबों के लिए मासिक पेंशन की घोषणा की है, साथ ही युवाओं के लिए रोजगार सृजन की योजना भी पेश की है। तेजस्वी यादव ने बिहार में पलायन को रोकने के लिए भी कई योजनाएं बनाई हैं, जो उनके समर्थकों के बीच लोकप्रिय हो रही हैं। महागठबंधन को इस बात का पूरा यकीन है कि इसके वादे बिहार के लोगों को आकर्षित करेंगे और एक मजबूत चुनावी मुकाबला करेंगे।
निर्मला सीतारमण ने बिहार के लिए की कई महत्वपूर्ण घोषणाएं
बिहार चुनाव में केंद्रीय बजट का भी महत्वपूर्ण प्रभाव रहेगा। इस साल केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बिहार के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं, जिनमें मखाना बोर्ड की स्थापना, ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट का निर्माण और वेस्टर्न कोशी क Canal जैसी परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता शामिल है। इसके अलावा, आईआईटी पटना के विस्तार और बिहार में राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी, उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान (NIFTEM) की स्थापना की योजना भी बनाई गई है। यह घोषणाएं बिहार के मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए NDA के पक्ष में हो सकती हैं। NDA के समर्थकों का मानना है कि केंद्र से मिल रही इस तरह की मदद राज्य में गठबंधन की स्थिति को और मजबूत करेगी। वहीं, महागठबंधन इन घोषणाओं को केवल चुनावी घोषणाएं मानता है और इन्हें ज्यादा महत्व नहीं दे रहा।
क्या NDA फिर से जीत पाएगा?
जैसे-जैसे बिहार चुनाव नजदीक आ रहा है, भाजपा और उसके सहयोगी दल अपनी हालिया सफलताओं को यहां भी भुनाने के लिए जोर-शोर से प्रचार कर रहे हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत के बाद, भाजपा अपने मजबूत नेतृत्व और गठबंधन की एकता को बिहार चुनाव में भी साबित करना चाहती है। यह चुनाव बिहार की राजनीति में अहम मोड़ लाने वाला साबित हो सकता है, क्योंकि यहां की राजनीति का असर राष्ट्रीय स्तर पर भी हो सकता है। NDA और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर होने वाली है। बिहार के अगले चुनाव में यह देखना होगा कि क्या बीजेपी और उसके सहयोगी दल बिहार की सत्ता में फिर से बने रहते हैं, या महागठबंधन सत्ता में आने में सफल होता है।
बिहार चुनाव 2025 में क्या दांव पर है?
बीजेपी और उसके सहयोगी दल इस चुनाव को अपनी रणनीतिक सफलता के तौर पर देख रहे हैं। यदि वे बिहार में जीतते हैं, तो यह न केवल NDA की स्थिति को और मजबूत करेगा, बल्कि बिहार में केंद्र की राजनीतिक पकड़ को भी बनाए रखेगा। दूसरी ओर, महागठबंधन के लिए यह चुनाव अपने वादों को पूरा करने का अवसर है, जिससे वे बिहार की राजनीति में मजबूत पहचान बना सकते हैं।