Edited By Mahima,Updated: 26 Nov, 2024 09:19 AM
हर साल सर्दियों में राजधानी दिल्ली में प्रदूषण को लेकर हाय-तोबा मचती है, फिर प्रदूषण कम होने पर इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। सुप्रीम कोर्ट की सरकार को लगाई गई फटकारें भी फाइलों में दफन हो जाती हैं और फिर से खुलने के लिए सर्दियों के...
नेशनल डेस्क: हर साल सर्दियों में राजधानी दिल्ली में प्रदूषण को लेकर हाय-तोबा मचती है, फिर प्रदूषण कम होने पर इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। सुप्रीम कोर्ट की सरकार को लगाई गई फटकारें भी फाइलों में दफन हो जाती हैं और फिर से खुलने के लिए सर्दियों के मौसम का इंतजार करने लगती हैं। कई शोध कहते हैं कि प्रदूषण के कण फेफड़ों के जरिए खून में पहुंचते हैं और कैंसर जैसी बीमारियां पैदा कर सकते हैं। यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि भारत में सर्दियों का प्रदूषण कितने लोगों को निगल जाता है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में बढ़ता प्रदूषण इंसानी जिंदगी ही नहीं अपितु देश की अर्थव्यवस्था को भी भारी नुकसान हो रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रदूषण से हर साल 95 अरब डॉलर का नुकसान होता है। यह राशि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) का लगभग 3 फीसदी हिस्सा है।
कैसे उठाना पड़ता है आर्थिक नुकसान
मीडिया रिपोर्ट में डलबर्ग नाम की ग्लोबल कंसल्टेंसी फर्म के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा है कि 2019 में भारत में प्रदूषण के कारण 95 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था। इसका कारण काम की उत्पादकता में कमी, छुट्टियां लेना और समय से पहले मौत बताया गया था। यह रकम भारत के बजट का लगभग 3 फीसदी और देश के सालाना स्वास्थ्य खर्च का दोगुना है। रिपोर्ट में कहा गया कि 2019 में भारत में 3.8 अरब कार्य दिवसों का नुकसान हुआ, जिससे 44 अरब डॉलर की चपत लगी। रिपोर्ट के अनुसार अगर पिछले 25 सालों में भारत ने प्रदूषण को आधा भी कम किया होता, तो 2023 के अंत तक भारत की जीडीपी 4.5 फीसदी ज्यादा होती। लांसेट हेल्थ जर्नल की एक रिपोर्ट में कहा गया कि 2019 में प्रदूषण से स्वास्थ्य पर पड़े असर ने देश की जी.डी.पी. की रफ्तार को 1.36 फीसदी कम कर दिया।
बाजारों में लोगों की आवक हो जाती है कम
प्रदूषण से कंज्यूमर इकोनॉमी पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है। स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से लोग बाजारों और रेस्तराओं में कम जा रहे हैं। इसका सालाना नुकसान 22 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। दिल्ली जो इस समस्या का केंद्र है, अकेले अपनी जी.डी.पी. का 6 फीसदी हर साल प्रदूषण के कारण खो रही है। दिल्ली के रेस्तरां कारोबारी प्रदूषण को सेहत और संपत्ति दोनों के लिए खतरा मानते हैं। उनका कहना है कि प्रदूषण के कारण लोग घरों से बाहर नहीं निकल पाते है जिसके चलते कारोबार पर गहरा असर पड़ता है।
विदेशी पर्यटन पर भी भारी असर
भारत के विभिन्न हिस्सों में फैला प्रदूषण भी विदेशी पयर्टन को भी कमजोर कर रहा है। सर्दियों में भारत आने वाले पर्यटक धुंध और कोहरे का अनुभव करते हैं, जिससे भारत की छवि खराब हो रही है। इंडियन एसोसिएशन ऑफ टूर ऑपरेटर्स के राजीव मेहरा का कहना है कि दिल्ली में हर साल औसतन 275 दिन खराब हवा दर्ज की जाती है। जिससे पर्यटक यहां आने से गुरेज करने लगे हैं। प्रदूषण रोकने के लिए स्कूलों को बंद करना या निर्माण कार्य पर रोक लगाने जैसे आपातकालीन कदम उठाए जाने से भी आर्थिक नुकसान होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर प्रदूषण पर कदम नहीं उठाए गए, तो स्थिति और खराब हो सकती है। 2023 की डलबर्ग रिपोर्ट के मुताबिक 2030 तक वायु प्रदूषण से मरने वालों की संख्या और बढ़ सकती है। इसलिए समय रहते भारत को प्रदूषण से निपटने के लिए सही दिशा में काम करना होगा।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
इंस्टिट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस (आई.ई.ई.एफ.ए.) से ताल्लुक रखने वाली विभूति गर्ग के हवाले से एक रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदूषण की लागत बहुत बड़ी है, इसे पैसों में नहीं तोला जा सकता है। इस तरह दिल्ली स्थित सस्टेनेबल फ्यूचर्स कोलैबोरेटिव के भार्गव कृष्णा का कहना है कि प्रदूषण का असर हर स्तर पर देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि काम पर ना जा पाना, बीमारियों का इलाज, समय से पहले मौत और इससे परिवारों पर पड़ने वाला असर, ये सब प्रदूषण की वजह से हो रहा है।