Edited By Rahul Rana,Updated: 18 Nov, 2024 02:48 PM
वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जो पूरी दुनिया में कई लोगों की जान ले रही है, खासकर बच्चों की। भारत में यह समस्या और भी बढ़ गई है, जहां वायु प्रदूषण के कारण हर दिन पांच साल से कम उम्र के 464 बच्चों की मौत हो रही है। यह आंकड़ा तंबाकू और...
नेशनल डेस्क। वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जो पूरी दुनिया में कई लोगों की जान ले रही है, खासकर बच्चों की। भारत में यह समस्या और भी बढ़ गई है, जहां वायु प्रदूषण के कारण हर दिन पांच साल से कम उम्र के 464 बच्चों की मौत हो रही है। यह आंकड़ा तंबाकू और मधुमेह से होने वाली मौतों से भी अधिक है।
भारत में मौतों की चौंकाने वाली संख्या
स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर (SoGA) 2024 रिपोर्ट के अनुसार, भारत में वायु प्रदूषण की वजह से पांच साल से कम उम्र के 169,400 बच्चों की मौत हुई थी। वायु प्रदूषण कुपोषण के बाद बच्चों की मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण बन गया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2021 में वायु प्रदूषण ने वैश्विक स्तर पर 8.1 मिलियन मौतें कराई, और इनमें भारत और चीन की हिस्सेदारी 55% थी।
वायु प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य समस्याएं
वायु प्रदूषण का असर सिर्फ बच्चों तक ही सीमित नहीं है। यह अस्थमा, फेफड़ों के विकार, हृदय रोग, फेफड़ों का कैंसर, स्ट्रोक और मधुमेह जैसी कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। प्रदूषण के कारण इन बीमारियों की संख्या बढ़ती जा रही है और यह लोगों की जीवन गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है।
भारत में प्रदूषण का स्तर
भारत में वायु प्रदूषण का स्तर बहुत अधिक है। यहां सभी 1.4 बिलियन लोग PM2.5 (एक प्रकार का प्रदूषक तत्व) के अस्वास्थ्यकर स्तर के संपर्क में हैं, जोकि सबसे हानिकारक प्रदूषक है। PM2.5 छोटे कण होते हैं जो सांस के जरिए फेफड़ों में पहुंचकर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं।
कौन है सबसे ज्यादा प्रभावित?
वायु प्रदूषण से सबसे अधिक प्रभावित होने वाले लोग बच्चे, वरिष्ठ नागरिक और बाहरी काम करने वाले कर्मचारी होते हैं। बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, इसलिए वे प्रदूषण के ज्यादा शिकार होते हैं।
क्या किया जा सकता है?
वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण है सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) को अपनाना, जिसका उद्देश्य वायु प्रदूषण को कम करना है। इसके अलावा जल और स्वच्छता की स्थिति में सुधार करना और बच्चों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाना भी जरूरी है। इसके साथ ही जलवायु परिवर्तन को उलटने के लिए कदम उठाना भी अहम है।
सरकार और नागरिक समाज को मिलकर प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए प्रयास करने होंगे ताकि आने वाली पीढ़ी स्वस्थ जीवन जी सके।